ओलंपिक में भारतीय महिलाओं ने बचाया देश का मान-सम्मान

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टोक्यो ओलंपिक 2020 में कुल 205 देशों ने हिस्सा लिया है । खेलों के इस महाकुंभ में शामिल सभी देशों के खिलाड़ी अपने देश के खाते में एक एक पदक जोड़ने के लिए तन मन से लगे हुए हैं । भारत ने अपने कुल 119 एथलीट टोक्यो ओलंपिक के लिए भेजे हैं, इन 119 खिलाड़ियों में 67 पुरुष और 52 महिला खिलाड़ी शामिल हैं । वहीं चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश जहां टोक्यो ओलंपिक में पदकों की ढेर लगा रहे हैं वही इस बार ओलंपिक में भारत अभी 10वें दिन की समाप्ति तक कुल 2 पदक ही जीत पाया है, हालाकिं अभी आगे का खेल जारी है । रियो ओलंपिक 2016 में भी भारत को मात्र 2 पदकों से ही संतुष्ट होना पड़ा था ।

राष्ट्रीय स्तर के खेलों और ओलंपिक में महिलाओं की अपनी एक अहम भूमिका है । पीटी उषा से लेकर पी वी सिंधु तक ने एक नया इतिहास रचा है और महिला खिलाडियों के लिए एक मिसाल बन कर सामने आए हैं ।  इस वर्ष टोक्यो ओलंपिक में भी भारत को पहला पदक दिलाने वाली एक महिला एथलीट ही हैं, जिनका नाम मीराबाई चानू है ।  मीराबाई चानू इन दिनों सबकी जुबां पर हैं, मीराबाई ने टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीत कर देश का सर गर्व से ऊँचा किया है । इसके बाद पी वी सिंधु ने कांस्य पदक हासिल करते हुए भारत के खाते में दूसरा पदक जोड़ दिया है ।  टोक्यों ओलंपिक के 11वें दिन महिला हॉकी टीम ने भी स्वर्ण पदक विजेता रही ऑस्ट्रेलियाई टीम को हराकर सेमीफाईनल में अपनी जगह पक्की की है । ऐसे कई अवसर रहे हैं, जब विकट से विकट परिस्थितियों में भी हार न मानते हुई भारतीय महिला खिलाड़ियों ने देश की लाज बचाई है ।

आज भी भारत के कई हिस्सों में अधिकतर महिलाओं को कमतर आंका जाता है या पुरुषों पर महिलाओं से अधिक विश्वास जताया जाता है, लेकिन वर्ल्ड चैम्पियनशिप या ओलंपिक का इतिहास उठाकर देखें तो हम पाएंगे कि ऐसी कई ढेर सारी महिलाएं रही हैं, जिन्होंने अपने खेल प्रतिभा व देश प्रेम के दम पर भारत का सर गर्व से ऊँचा किया है । इसमें कर्णम मल्लेश्वरी, मेरी कॉम, साइना नेहवाल… आदि जैसे प्रतिभावान और कर्मठ खिलाड़ी मौजूद हैं ।

पी वी सिंधु

रियो ओलंपिक 2016 के खेलो में बैडमिंटन की दुनियाँ में एक नया सितारा उभर कर आयाजिसकी पुरी दुनिया मुरीद हो गई। रियो ओलंपिक में पी वी सिंधु ने बैडमिंटन में रजत पदक जीता था । सिंधु  ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं। वहीं टोक्यो ओलंपिक 2020  में पी वी सिंधु ने कांस्य जीतते हुए भारत को दूसरा पदक दिलाया है । ऐसे में दो ओलंपिक मेडल जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला एथलीट भी बन चुकी हैं । सिंधू को पद्म श्री और बेहतरीन बैडमिंटन के लिए अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

मीराबाई चानू

टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत की वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने रजत पदक जीतते हुए इतिहास रचा है । दरअसल टोक्यो ओलंपिक में मीराबाई ने भारत की लाज बचाई है, टोक्यो ओलंपिक में भारत को पहला पदक मीराबाई चानू ने ही दिलाया है । हालांकि वेटलिफ्टिंग में ये दूसरी बार है जब भारत ने ओलंपिक में मेडल जीता है । इससे पहले सिडनी ओलंपिक 2000  में कर्णम मल्लेश्वरी ‌ने कांस्य पदक जीता था ।  मीराबाई चानू ने  पदक जीतते हुए वेटलिफ्टिंग में 21 साल का सूखा खत्म किया है ।

कर्णम मल्लेश्वरी

कर्णम मल्लेश्वरी ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला एथलीट हैं।  सिडनी ओलंपिक 2000  में कर्णम मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग ने कांस्य पदक जीता था ।  कर्णम मल्लेश्वरी को ’द आयरन लेडी’ के नाम से भी जाना जाता है ।  इसके बाद ही महिलाओं ने इस क्षेत्र में अपने सपने सजोने शुरू किए थे ।

मैरी कॉम

पांच बार वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियन रही मैरी कॉम एक ऐसा नाम हैजो हर खिलाड़ीखासकर महिला खिलाड़ियों के लिए मिसाल है ।  मैरी कॉम अकेली ऐसी महिला बॉक्सर थी जिन्होंने समर 2012 के ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था। इसमें उन्होंने कांस्य पदक जीता था। मैरी कॉम का मुक्केबाजी में एक अहम योगदान रहा हैजिसके लिए मैरी कॉम को सरकार ने वर्ष 2003 में अर्जुन पुरस्कार और 2006 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है ।  साल  2009 में उन्हे भारतीय खेलों का सबसे बड़ा पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से भी सम्मानित किया गया है । हालांकि टोक्यो ओलंपिक 2020 में मैरीकॉम क्वार्टरफाइनल में कोलंबिया की इंग्रिट वालेंसिया से हारकर बाहर हो चुकी हैं ।

साइना नेहवाल

साइना नेहवाल बैडमिंटन की दुनियाँ में एक चमकता सितारा हैंजिन्होंने देश के तमाम बेटियों के सपनों को एक नई उड़ान दी है । साइना नेहवाल ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैंजिन्होंने लंदन ओलंपिक 2012 में कांस्य पदक जीता था। पहले साइना ने 2008 में BWF वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप जीती थी। उसी साल उन्होंने पहली बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई भी किया था।

साक्षी मलिक

साक्षी मलिक पहली भारतीय महिला पहलवान हैं जिन्होंने ओलंपिक में रेसलिंग के क्षेत्र में भारत को पदक दिलाया है ।  साक्षी ने रियो ओलंपिक 2016 में यह पदक जीता था । साक्षी ने ओलंपिक पदक जीता ही महिलाओं के प्रति धारणाओं को बदल दिया और देश का सर गर्व से ऊँचा किया । ख़ास बात यह रही कि रियो ओलिंपिक में भारत को केवल दो ही मेडल हासिल हुए थेऔर दोनों ही मैडल महिलाओं ने दिलाए थे । जिसमें पहला मेडल रेसलिंग में भारत की साक्षी मलिक दिलाया था । इसके आलावा कॉमनवेल्थ गेम2014 में साक्षी मलिक ने देश के लिए सिल्वर मेडल जीता था ।

लवलीना बोरगोहेन

मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए अगले पदक की उम्मीद बनकर सामने आई हैं । 23 वर्षीय लवलीना ने टोक्यो ओलंपिक 2020  में भारत के लिए एक पदक पक्का कर दिया है। दरअसल लवलीना ने चेन निएन-चिन को हराकर वेल्टरवेट वर्ग के सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया है। ऐसे में एक पदक लगभग तय हो चुका है। इससे पहले मुक्केबाज  विजेंदर सिंह और मैरी कॉम ओलंपिक में भारत को पदक दिला चुके हैं ।

     उपयुक्त सभी खिलाड़ियों ने ओलंपिक के आलावा अन्य खेल प्रतियोगिताओं व महोत्सवों में भारत का सर गर्व से ऊँचा किया है । इनके अलावा पी टी उषा, हिमा दास, सानिया मिर्ज़ा, विनेश फोगाट, गीता फोगाट, दीपा कर्मकार, पूजा रानी जैसे तमाम प्रतिभाशाली खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल प्रतिभा से लोगों को प्रभावित किया है और अपनी उपलब्धियों से एक मील का पत्थर गढ़ा है । लगभग सभी महिला खिलाड़ी अपने क्षेत्र में पहली दफा सम्बंधित उपलब्धि हासिल करने वाली व्यक्तित्व हैं । ऐसे में उन्होंने खेल के क्षेत्र में महिलाओं को बढ़-चढ़ कर भागीदारी लेने व अपनी क्षमता पहचानने हेतु प्रोत्साहित किया है ।

    यदि देखा जाय तो सिडनी ओलंपिक 2000 के बाद ओलंपिक में भारतीय महिलाओं का एक नया युग शुरू हुआ है । ऐसे कई अवसर रहे हैं, जब भारत की महिला खिलाडियों ने अहम मौके पर पदक जीत कर भारत के मान-सम्मान को बढाया है । वहीं महिलाओं के प्रति बनी विकृत धारणाओं को तोड़ा है । वहीं देखा जा सकता है कि आज भी हमारे देश के कई क्षेत्रों में महिलाओं को एक निश्चित दायरे के अंतर्गत ही देखा जाता है कि उनके लिए क्या उपयुक्त है और क्या नही ? उसके अनुसार ही उनका जीवन यापन होता है । वहीं मेरी कॉम, पी वी सिंधु जैसे तमाम खिलाडियों ने अपनी प्रतिभा और प्रतिनिधित्व से महिलाओं के प्रति लोगों का नजरियाँ बदलने की कोशिश की है, ठीक वैसे ही जब एक परिवार संकट या असामान्य स्थिति में होता है तो घर की महिला उसे संभालने हेतु आखिरी समय तक लड़ती रहती है, उसे संभालती हैं । आज भी निम्न व मध्यमवर्गीय परिवारों में देखने को मिल जाएगा कि महिलाएं घर की रसोई से लेकर बाजार तक की क्रिया कलाप में आर्थिक व्यवस्था को अपने अनुसार व्यवस्थित करती हैं और बचत करती हैं । कभी विकट परिस्थिति होती हैं तो वे महिलाएं हमारी उम्मीदों से परे सामने आकर घर का मान बचाती है, वही प्रतिनिधित्व पिछले कई सालों में कई दफा ओलंपिक व दूसरे खेल प्रतियोगिताओं में देखने को मिला है । ऐसे में आज महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर सरकार और जनमानस को विश्वास करते हुए एक नए सिरे से उनके सपनों को उड़ान देने की कोशिश की जानी चाहिए | 

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