बलात्कार नहीं है भारत की संस्कृति

—विनय कुमार विनायक
बलात्कार नहीं है भारत की संस्कृति,
इस देश में नारी पूजन की है रीति!

बड़े-बड़े युद्ध लड़े भारतीय जनों ने
पर यौन शोषण की नहीं थी प्रवृत्ति!

रण में राम ने जीता था लंका को
और लौटा लंका स्थापित की शांति!

विश्व स्तरीय युद्ध हुआ महाभारत,
किन्तु इज्जत लुटी नहीं नारियों की!

भीष्म ने त्याग दिया था अस्त्र-शस्त्र,
जब सामने आई शिखण्डी अर्ध स्त्री!

यवन सिकंदर भी था भारत आक्रांता,
किन्तु नारियों पर नहीं डाली कुदृष्टि!

हिंसक अशोक बना था बौद्ध अहिंसक,
जब समर भूमि में आई रानी पद्मिनी!

शक,हूण, कुषाण, पहलव भी थे आक्रांता
पर अपना ली भारतीय हिन्दू धर्मनीति!

पुष्यमित्र शुंग ने हत्या की श्रमणों की
पर श्रमण साध्वी नारी सुरक्षित ही रही!

तभी राजपूत आपस में लड़ा करते थे
किन्तु नारी देख झुक जाती थी मूंछें!

प्रथम बलात्कार की घटना तब घटी
जब अरबी आक्रांता कासिम ने लूटी!

सिंधराज दाहिरसेन की दो बेटियों को
युद्धबंदी बनाके खलीफा को भेंट दी!

बलात्कार की परम्परा अरबी कासिम,
गजनी,गोरी, गुलाम, खिलजी से चली!

तुगलक,सैयद, लोदी,मुगल में फली-फूली
चंगेज, तैमूर,बख्तियार ने आग लगा दी!

बालिका हत्या,बाल विवाह,जौहर कुप्रथा
भारतीयों को इन आक्रांताओं ने दी थी!

चित्तौड़ की रानी पद्मावती सती हुई थी
जब बुरी नजर लगी शैतान खिलजी की!

अंग्रेज भी थे भारतीय नारियों के हितैषी
जिसने बंद कराई सती प्रथा की कुरीति!

आज बलात्कार फ्रोंट पेज की घटना है
जो आए दिन रोज की है बदनीयती!

अब तो यह पता चलना मुश्किल है कि
बलात्कारी देशी है या विदेशी पीढ़ी की!

अनपढ़ है नहीं, जाहिल है नहीं तो फिर
कौन सी पढ़ाई पढ़के हो रहा है वहशी!

संस्कृति ज्ञान नहीं, चरित्र निर्माण नही
निज मां बहन सी दिखे ना पराई बेटी!

बंद हो ऐसी पढ़ाई जो पैदा नही करती
राम,कृष्ण,बुद्ध,जिन,गोविंद सी हस्ती!

शिक्षा दो कि ‘या देवी सर्वभूतेषु’ गूंजे
‘यत्रनार्यस्तु पूजयन्ते रमन्तेतत्र देवता’

कि देवत्व को आने दो दानवता मिटे
देश, धर्म, नारी पर खतरा कैसे बढ़ी?

कौन दिलाएगा इस कुकृति से मुक्ति
क्या नहीं जरूरी संस्कृति जगाने की?

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