काँग्रेस के राज में दस गुना ज्यादा बढ़ी महँगाई?

आज पड़ोस की दुकान पर आजकल के राजनैतिक माहौल पर चर्चा हो रही थी, हमारा दुकानदार भी बहुत कुशाग्र बुद्धि का प्राणी है। और फिर आजकल बातों बातों में महँगाई का जिक्र न आए तो लगता है कि शायद बात अधूरी ही रह गई। तो जी, वो 70 साल का दुकानदार लगा अपने तेज दिमाग और तीव्र स्मरणशक्ति के पेंच खोलने। “भाईसाहब! जब काँग्रेस सरकार ने सोनिया गाँधी और सरदार मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार को 2003 के चुनाव में अनपेक्षित तरीके से औंधे मुँह गिराकर भारत की राजगद्दी संभाली थी तब के समय की चीजों के दाम सुनो। और फिर अब के दाम भी देखो।”

और ये कहते हुए उस दुकानदार ने एक खुले कागज का पुर्जा मेरे हाथ में थमाया तो उसके विश्लेषण देखकर मैं भी दंग रह गया। फिर दुकानदार बड़े जोश में बोला, “एक नजर आप भी देख लो निकम्मी सरकार की नीच करतूत। भाईसाहब, इस लिस्ट में मैने 1999 की कीमतें भी लिखी हैं जब काँग्रेस का धत्ता दिखाकर भारतीय जनता पार्टी अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में भारतीय सत्ता पर काबिज हुई थी।”

वस्तुएं 1999 की कीमतें (रुपये में) 2003 की कीमतें (रुपये में) भाजपा सरकार ने 5 सालों में कीमतें बढ़ाईं (% में) 2009-10 की कीमतें (रुपये में) काँग्रेस सरकार ने 5 सालों में कीमतें बढ़ाईं (% में)
दूध 19 19 0% 30 55%
चीनी 18 20 10% 50 150%
पैट्रोल 31 33 5% 47 50%
उड़द की दाल 25 30 20% 90 200%
गोल्ड फ्लेक सिगरेट 17 19 2% 35 90%
आटा 11 12 10% 20 60%
चावल 9 10 10% 22  
माचिस 0.50 0.50 0% 1 100%
पनीर 60 75 25% 130 80%
चिकन 60 70 15% 130 90%
रिफाइंड तेल 60 70 15% 120 70%
देसी घी 150 150 0% 250 70%
5 वर्षों में सरकार ने औसत महँगाई बढ़ाई     8%   80%

मतलब ये हुआ कि जहाँ भारतीय जनता पार्टी के 5 साल के राज में खाने-पीने व दूसरी जरूरी चीजों के दाम बढ़े 8% यानि 1 रुपये में 8 पैसे, तो वहीं भ्रष्ट काँग्रेस के 5 वर्ष के राज में दाम बढ़े 80% यानि 1 रुपये में 80 पैसे।

“इसका मतलब समझे जी” दुकानदार ने मुझसे पूछा। मैने भी तपाक से जवाब दिया – “हाँ अंकल जी। मतलब तो ये साफ है कि काँग्रेस सरकार के इस भ्रष्ट और लुटेरे मंत्रियों की मंडली ने शरीफ सरदार की नाक के नीचे उधोगपतियों, पूँजीपतियों व बड़े-बड़े घरानों को फायदा पहुँचाने के लिए ढेरों पैसा है खाया, अमीरों को छप्पन भोग तो गरीबों को पतीला है चटाया।

अब तो दुकानदार का गुस्सा तीसरे माले पर था। इस बीच वहाँ दो-चार लोग और इकट्ठे हो चुके थे इसलिए मैने भी गरम लोहे पर हथोड़ा दे ही मारा – “ हाँ अंकल आपकी लिस्ट के हिसाब से तो काँग्रेस के इस अंधेर राज में इन गरीबों की जरूरत की चीजों के दाम तो पाँच साल में लगभग दोगुने हो चुके हैं।”

खीझते हुए दुकानदार फिर बोला, “वही तो मैं भी रोना रो रहा हूँ। अरे वो भी क्या दिन थे जब आजादी से पहले हम लोग एक आने में पूरी दुकान ही खरीद कर ले आते थे। और आज देखो आने तो दूर आज तो पैसे भी देखने को नहीं मिलते।… अरे मैने भी दुनिया देखी है जब भी चुनाव हुए, महँगाई बढ़ती देखी है लेकिन बस मामूली, इस बार की तरह नहीं जो कि दोगुनी हो चुकी है।” इस पर एक और आदमी बीच में कूद पड़ा और बोला, “भइया ये सरकार तो डंके पीटती है – आम आदमी की सरकार, गरीबों की सरकार। अब देखो साले उसी गरीब आम आदमी के पेट पर लात मार रहे हैं।”

माहौल में खुलापन आया तो एक और आदमी चिल्लाया, “अरे लात नहीं, ये सरकार आम आदमी का खून चूस रही है। जानते हो ये जो चीनी मंत्री है ना – शरद पवार! इसकी और इसके रिश्तेदारों की भी सैंकड़ों चीनी की मिलें हैं और अपने और अपने संबंधियों के धंधे के फायदे के लिए इन्होंने आपस में साजिश करके पहले तो चीनी का पुराना स्टॉक तो अपने गुप्त गोदामों में छुपा कर नकली पूर्ति की कमी पैदा कर दी और जब माँग बढ़ने लगी तो पूर्ति की कमी से इन धोखेबाज, मक्कार और कालाबाजारियों ने आगले माल की कीमतें खुद ही बढ़ा दीं जिससे इन सभी को खरबों का फायदा हुआ और जनता को नुकसान!”

मैने भी बात का जायका बढ़ाने के लिए थोड़ा सा मसाला उसमें और डाल दिया, “अरे उसके बाद तो चीनी मंत्री… मेरा मतलब कृषि मंत्री ने लोगों को बहुत सी भविष्यवाणियाँ भी सुनाई जिनमें से कुछ तो मुझे भी याद हैं, जैसे – मैं कोई ज्योतिषी नहीं जो बता सकूँ कि महँगाई कब कम होगी। कुछ दिन बाद शरद जी की दूसरी भविष्यवाणी – “जल्दी ही खाने-पीने की चीजों के दामों में कमी होगी।” इसी बीच एक बयान और आया जिसमें साफ कहा गया था कि भारतीय लोग ज्यादा खाने लगे हैं इसलिए विश्व में खाने-पीने की चीजों की कमी हो गई है। और जब दो महीने तक भी कीमतें कम होने की जगह बढ़ने लगीं तो फिर शरद पवार जी ने भारतीय जनता को चीनी कम खाने की सलाह दे डाली और साथ ही कह डाला – चीनी नहीं खाओगे तो मर नहीं जाओगे। बताइए क्या इतने बड़े पद पर आसीन मंत्री को उस जनता से ये शब्द कहने चाहिए जिसने उसे अपना प्रतिनिधि चुनकर उसपर भरोसा दिखाकर उसे अपना सब कुछ सौंप दिया।”

इस पर एक औरत पीछे से चिल्लाई – गोली मार देनी चाहिए सारे… नेताओं को। और इससे पहले कि बात और गाली-गलौच तक आती मैने बीच-बचाव करते हुए कहा – “मैडम जी, ये क्या कह रही हैं आप खुले आम। अगर किसी मुखबिर ने सुन लिया तो समझो हम सब कल की सुबह नहीं देख पाएंगे।” मैं अपने घर की ओर भागा और पीछे से आवाजों को शोर मुझे काफी देर तक सुनाई देता रहा।

– मन सोमक्रिया

4 COMMENTS

  1. आम आदमी- कांग्रेस की इस “युपीऐ” रुपी खिचड़ी सरकार के शासन में,खिचड़ी खाने के लायक भी नहीं रहा ,भारतवर्ष का आम मध्यमवर्गी परिवार भी इस उचतम स्तर पर बढती महंगाई दर से त्रस्त है, जमाखोरों-मुनाफाखोरों ने इस सरकार के ढुलमुल रवैये का भरपूर फायदा उठाने में कोई भी कोर कसर बाकी नहीं रखी,जहाँ तक विरोधी दलों का सवाल है तो भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाते हुवे ,अनेकों बार केंद्र सरकार को सफलता पूर्वक घेरा है ,अभी तीन दिन पहले ही पेट्रोल डीजल के भाव बढ़ने तय थे, किन्तु बीजेपी के दबाव के कारण भाव बढ़ते बढ़ते रह गए,देश में जब जब कांग्रेस की सरकार बनी है ,महंगाई ने जनता का जीना दूभर किया है ,महंगाई भगाना है तो इस पार्टी की सरकार को भी भगाना होगा ,तभी इस समस्या का निदान होगा अन्यथा नहीं …विजय सोनी अधिवक्ता दुर्ग -छत्तीसगढ़

  2. कमजोर विपक्ष या कहे विपक्ष को लड़ना नहीं आता है. विपक्ष को मैनेजमेंट में डिग्री लेने होगी. इन्होने प्याज और लहसुन में अपनी सरकार खोई थी किन्तु आज हर चीज में आज लगी हुई है फिर भी विपक्ष लाचार देख रहे है.

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