धर्म परिवर्तन, अश्लीलता और वैश्यावृत्ति का अड्डा बना इंस्टाग्राम

मुंबई में रहने वाली बिहार की शालिनी (परिवर्तित नाम) अच्छे जीवनसाथी की कामना से पिछले वर्ष छठ पूजा के लिए अपने गांव गई थी। पूजा करने से लेकर नाक से मांग तक का सिंदूर लगाए अपनी फोटो उसने इंस्टाग्राम पर लगाईं। ठीक एक साल बाद अब शालिनी; शाजिया बनकर माशाल्लाह कहती नजर आती है। इकबाल नामक मुस्लिम लड़का जो इंस्टाग्राम पर स्वैगी नाम से पेड प्रमोशन करने का दावा करता है, शालिनी उसके प्रेम जाल में फंसकर धर्म परिवर्तन कर चुकी है।

छोटे शहरों और गांवों से मुंबई, दिल्ली जैसे महानगरों में आने वाली लड़कियां यहां के चाल-चलन और आधुनिकता से प्रभावित होकर इंस्टाग्राम पर रील्स बनाकर अपने फॉलोअर्स बढ़ा रही हैं। कोई पाक-कला को बढ़ावा दे रहा है तो कोई अपने हुनर को। हालांकि इनका प्रतिशत बहुत कम है। अधिसंख्य लड़कियां अर्धनग्न होकर अपनी फोटो डालने और नृत्य के नाम पर अश्लील भाव-भंगिमाओं का प्रदर्शन कर रही हैं। इनके फॉलोअर्स की संख्या लाखों में है। ऐसी कई लड़कियां सॉफ्ट पोर्न इंडस्ट्री का जाना-माना चेहरा तक बन चुकी हैं। 90 प्रतिशत इनमें हिन्दू लड़कियां हैं जिन्हें सबसे अधिक प्रतिसाद यहां उपस्थित मुस्लिम युवा दे रहे हैं। ये वही मुस्लिम युवा हैं जो उर्फी जावेद को कपड़े उतारने पर इस्लाम का वास्ता देते हैं किन्तु हिन्दू लड़कियों की नग्न तस्वीरों पर उनका उत्साहवर्धन करते हैं।

इंस्टाग्राम के रील्स सेक्शन में तो अश्लील वीडियो भरे पड़े हैं। सर्वाधिक चिंतनीय बात यह है कि कई वीडियो भारतीय परिवार परंपरा के संबंधों को कलंकित कर रहे हैं। देवर-भाभी, चाचा-भतीजी, मामी-भांजा, ससुर-बहु जैसे पवित्र संबंधों और उनकी मर्यादाओं को तार-तार किया जा रहा है। कहानी के नाम पर इनके बीच अवैध संबंधों को दिखाकर समाज में परिवार प्रबोधन और उसकी परंपरा को नष्ट करने का सुनियोजित कुचक्र चल रहा है।  

कई वेबसाइट्स और मीडिया संस्थानों ने भारत में चल रही सोशल वैश्यावृत्ति को लेकर शोध किए हैं जिनसे चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इंस्टाग्राम के माध्यम से लड़कियों को वैश्यावृत्ति के दलदल में उतारा जा रहा है। इसी एप के माध्यम से लड़कियां या उनके दलाल ग्राहक ढूंढ़ते हैं। यहीं चैट के माध्यम से सौदा पटता है और यह धंधा फलता-फूलता है। भारत की कानून-व्यवस्था यहां बेबस दिखाई देती है क्योंकि इंस्टाग्राम का अल्गोरिदम चैट पढ़ने की अनुमति उन्हें नहीं देता। पुलिस को किसी अप्रिय घटना के बाद इस नेक्सस की जानकारी हो पाती है किन्तु अब यह नेक्सस इतना बड़ा हो चुका है कि महानगरों से निकल कर इसने छोटे शहरों तक पहुंच बना ली है।

ये तो चंद उदाहरण है कि किस प्रकार इंस्टाग्राम ने टेक्नोलॉजी और क्रिएटिविटी के नाम पर भारत के सांस्कृतिक जागरण और संस्कारों की बलि ले ली है। साथ ही धर्म परिवर्तन और लव जिहाद के बढ़ते मामलों में इसकी भूमिका और प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया है। फिर मात्र भारत ही नहीं, वैश्विक स्तर पर इस्लाम के व्यापक प्रचार-प्रसार में इसका उपयोग किया जा रहा है। बीते वर्ष मुंबई के बेहद पॉश इलाके से वैश्यावृत्ति में लिप्त कई देशी-विदेशी लड़कियों को पकड़ा गया था तो उन्होंने भी यह बताया था कि इंस्टाग्राम पर मुस्लिम लड़कों से दोस्ती के बाद वे बहलाने और धमकाने के चलते इस दलदल में फंस गई थीं। उनमें से कई ने इस्लाम भी कबूल कर लिया था। यह भी आश्चर्यजनक है कि इस्लाम के पुरोधा यूएई ने इंस्टाग्राम को इस्लाम विरोधी बताते हुए प्रतिबंधित किया है जबकि भारत सहित अन्य देशों ने इसका प्रयोग लव जिहाद, इस्लाम के प्रचार-प्रसार और धर्म परिवर्तन के लिए किया जा रहा है। भारत में इंस्टाग्राम के 229.6 मिलियन यूजर्स हैं और अमेरिका में इनका आंकड़ा 143.4 मिलियन है जबकि चीन, रूस और यूएई ने इंस्टाग्राम को अपने यहां प्रतिबंधित किया हुआ है। इसका प्रयोग करने वाले बहुसंख्य वर्ग की आयु 20 से 45 से बीच है। युवाओं के बीच इंस्टाग्राम, फेसबुक से अधिक लोकप्रिय हो गया है क्योंकि फेसबुक पर परिवार के बड़े सदस्यों की उपस्थिति ने उनके पलायन का रास्ता बना दिया है जबकि इंस्टाग्राम पर परिवार के बड़े-बुजुर्गों की उपस्थिति नगण्य है। ऐसे में इंस्टाग्राम पर बिना किसी झिझक के वे अपने कथित हुनर को बेच रहे हैं। युवा लड़कियों की कामुकता को सराहे जा रहे हैं और युवतियां लड़कों के शारीरिक शौष्ठव के गान गा रही हैं। तस्वीरों, वीडियो और रील्स के इतर इस एप में ऐसा कुछ नहीं है जिससे समाज में बौद्धिकता का संचार होता हो, पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों को सिखाया जाता हो, देशभक्ति के भाव का जागरण होता हो बल्कि इन सभी तत्वों का ह्रास अवश्य बड़े पैमाने पर हो रहा है। इंस्टाग्राम के गलत उपयोग से बच्चियां समय से पूर्व परिपक्व होने लगी हैं। उनकी मासूमियत खो गई है जिसकी चिंता बौद्धिक वर्ग ने भी समय-समय पर है किन्तु वैश्वीकरण और संचार क्रांति के इस युग में इसके दमन का मार्ग किसी को नहीं सूझ रहा। सरकार का इस ओर उदासीन होना और कड़े आईटी कानून का न होना, इंस्टाग्राम को बेलगाम ताकत दे रहा है। बड़े खिलाड़ियों, फ़िल्मी सितारों, राजनेताओं की उपस्थिति ने इंस्टाग्राम को लोकप्रिय किया और अब रील्स के बदले कमाई होने के चलते युवाओं ने इसे अपनाकर स्वयं के लिए कई मुसीबतें खड़ी कर ली हैं। इंस्टाग्राम पर लोकप्रिय होने की चाहत युवाओं को अवसाद में धकेल रही है। इससे युवाओं में आत्महत्या करने की प्रवृति भी बढ़ी है। अब यह सरकार और समाज की जवाबदेही है कि कैसे इंस्टाग्राम द्वारा फैल रहे जहर को समाप्त कर पीढियां बचाई जाएं।

– सिद्धार्थ शंकर गौतम

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ललितपुर(उत्तरप्रदेश) में जन्‍मे सिद्धार्थजी ने स्कूली शिक्षा जामनगर (गुजरात) से प्राप्त की, ज़िन्दगी क्या है इसे पुणे (महाराष्ट्र) में जाना और जीना इंदौर/उज्जैन (मध्यप्रदेश) में सीखा। पढ़ाई-लिखाई से उन्‍हें छुटकारा मिला तो घुमक्कड़ी जीवन व्यतीत कर भारत को करीब से देखा। वर्तमान में उनका केन्‍द्र भोपाल (मध्यप्रदेश) है। पेशे से पत्रकार हैं, सो अपने आसपास जो भी घटित महसूसते हैं उसे कागज़ की कतरनों पर लेखन के माध्यम से उड़ेल देते हैं। राजनीति पसंदीदा विषय है किन्तु जब समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भान होता है तो सामाजिक विषयों पर भी जमकर लिखते हैं। वर्तमान में दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, हरिभूमि, पत्रिका, नवभारत, राज एक्सप्रेस, प्रदेश टुडे, राष्ट्रीय सहारा, जनसंदेश टाइम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, सन्मार्ग, दैनिक दबंग दुनिया, स्वदेश, आचरण (सभी समाचार पत्र), हमसमवेत, एक्सप्रेस न्यूज़ (हिंदी भाषी न्यूज़ एजेंसी) सहित कई वेबसाइटों के लिए लेखन कार्य कर रहे हैं और आज भी उन्‍हें अपनी लेखनी में धार का इंतज़ार है।

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