डॉ. शुभ्रता मिश्रा
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस मनाया जाता है। विश्व शिक्षक दिवस-2020 की थीम “टीचर्स: लीडिंग इन क्राइसिस, रीइमेजिनिंग द फ्यूचर“ है। इसका तात्पर्य यह है कि विश्व में गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों की कमी निकट भविष्य में एक सुंदर भावी विश्व की पुनर्संरचना में संकट उत्पन्न कर सकती है। यह बात शतप्रतिशत सच है, क्योंकि जिस समाज में बुद्धिमान शिक्षक होते हैं, वहां कभी नैतिक पतन की गुंजाइश भी नहीं होती है। शिक्षक को कभी एक पद या कर्मचारी नहीं माना गया, बल्कि वह जीवंत संस्था होता है, जो एक ओर स्वयं गुणों की खान होता है, तो दूसरी ओर समृद्ध पीढ़ियों का युग निर्माता भी होता है।
इतिहास पर दृष्टि डालें तो सबसे पहले यूनेस्को और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने 5 अक्टूबर, 1966 को पैरिस में आयोजित हुए एक अंतरसरकारी सम्मेलन में ‘टीचिंग इन फ्रीडम’ नामक एक संधि पर संयुक्त रुप से हस्ताक्षर किए थे। इस संधि में शिक्षकों की गुणवत्ता स्तर संबंधी सिफारिशों जैसे शिक्षकों के शिक्षा मानकों, उनके उच्च अध्ययनों, भर्ती प्रक्रिया, रोजगार स्थिति, वेतन और उनके काम करने की एक निर्धारित प्रक्रिया को शामिल किया गया था। दो दशकों तक ये सिफारिशें विभिन्न विचार विमर्शों के चक्रव्यूहों में फंसी रहीं। अंततः 12 अक्टूबर 1997 को यूनेस्को की 29वीं आमसभा में इनको अंगीकृत किया। यूनेस्को ने अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से दुनिया के सभी शिक्षकों को प्रभावित करने वाले आवश्यक राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार करते हुए शिक्षकों को भूमण्डलीय नागरिक की संज्ञा दी। शिक्षकों के माध्यम से देश एक दूसरे से विचार विनिमय कर सकते हैं। अतः शिक्षकों के प्रति सहयोग को बढ़ावा देने और भावी पीढ़ियों की आवश्यकतापूर्तियों हेतु उनकी महत्ता के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से यूनेस्को ने 5 अक्टूबर को ‘अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस’ घोषित किया।
संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में 5 अक्टूबर 1994 को पहला विश्व शिक्षक दिवस पूरी दुनिया ने मनाया था। तब से लगातार इसे प्रतिवर्ष लगभग सौ से अधिक देशों में मनाया जा रहा है। यूनिसेफ, यूएनडीपी, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और शिक्षा अंतरराष्ट्रीय द्वारा एक साथ मिलकर प्रतिवर्ष 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसमें कार्यरत एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों को उनके विशेष योगदान के लिये सम्मानित किया जाता है। इसके अलावा दुनिया के सभी स्कूल-कॉलेजों और संस्थाओं में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यूनेस्को और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा विश्व शिक्षक दिवस मनाने हेतु सालभर एक अभियान भी चलाते हैं जिससे लोगों में शिक्षकों की बेहतर समझ तथा छात्रों और समाज के विकास में उनकी भूमिका निभाने में सहायता मिल सके।
इस वर्ष देश की नई शिक्षा नीति 2020 आई है, इसलिए इसमें अंतर्निहित शिक्षकों संबंधी तथ्यों के कारण इस साल विश्व शिक्षक दिवस भारत के लिए विशेष मायने रखता है। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की गुणवत्ता स्तर में वृद्धि करने के लिए बहुत से प्रावधान शामिल किए गए हैं। नई स्कूली शिक्षा व्यवस्था में शिक्षक पात्रता परीक्षा के स्वरूप में भी बदलाव हुए हैं। अब यह परीक्षा चार भागों फाउंडेशन, प्रीपेरेटरी, मिडल और सेकेंडरी में विभाजित की गई है। इनके लिए सभी विषयों की परीक्षाओं और एक पात्रता परीक्षा का आयोजन राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी करेगी। नई शिक्षा नीति के अनुसार अब स्थानीय भाषा में साक्षात्कार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा होगा। इसके माध्यम से इस बात का पता चल सकेगा कि शिक्षक क्षेत्रीय भाषा में बच्चों को आसानी और सहजता के साथ पढ़ाने में सक्षम है या नहीं। नई शिक्षा नीति में शिक्षक बनने के लिए चार वर्षीय बीएड डिग्री साल 2030 से न्यूनतम अर्हता रखी गई है। वर्ष 2022 तक राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद शिक्षकों के लिए एक साझा राष्ट्रीय व्यवसायी मानक तैयार करेगी। इसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श किया जाएगा। शिक्षकों की पदोन्नति के लिए इन मानकों की समीक्षा एवं संशोधन 2030 में होगा और इसके बाद प्रत्येक 10 वर्ष में पदोन्नति होगी। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की भर्ती पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा होगी और पदोन्नति योग्यता आधारित होगी। समय-समय पर कार्य-प्रदर्शन के आकलन के आधार पर शैक्षणिक प्रशासक बनने की व्यवस्था होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होने से देश की शिक्षा व्यवस्था और उसके मूल आधार शिक्षकों की उत्कृष्टता को एक नई दिशा की ओर बढ़़ाया जा सकेगा। इससे देश की शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल सकारात्मक परिवर्तन होंगे और भारत सही अर्थों में विश्व शिक्षक दिवस मनाने की ओर अग्रसर है।
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस काफी बढ़िया पोस्ट लिखी है।