अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेट की नई सनसनी शेफाली वर्मा

शेफाली की आक्रामक बल्लेबाजी से छूटते हैं गेंदबाजों के पसीने

योगेश कुमार गोयल

            भारतीय महिला क्रिकेट टीम विश्व कप के फाइनल में भले ही आस्ट्रेलिया से हार गई हो लेकिन क्रिकेट इतिहास में पहली बार टी-20 विश्व कप के फाइनल में पहुंचने में सफल रही और इसमें टीम इंडिया की 16 वर्षीया खिलाड़ी शेफाली वर्मा का भी बड़ा योगदान रहा। युवा सलामीबाज बल्लेबाज शेफाली का बल्ला विश्व कप फाइनल में भले ही नहीं चल सका लेकिन उसने अपने बल्ले से विश्व कप के शुरूआती चार मैचों में जिस तरह की धूम मचाई, उसी के चलते उसे अब महिला क्रिकेट टीम की नई ‘रन मशीन’ कहा जाने लगा है। 3 मार्च को आईसीसी द्वारा जारी ताजा रेंकिंग में शेफाली को 19 स्थानों की छलांग लगाते हुए महिला टी-20 की नंबर-1 बल्लेबाज बनने का गौरव भी हासिल हुआ था लेकिन फिलहाल वह विश्व कप में टीम इंडिया की हार के बाद इस रैंकिंग में तीसरे स्थान पर खिसक गई है। मिताली राज के बाद महिला टी-20 अंतर्राष्ट्रीय बल्लेबाजी रैंकिंग में शीर्ष स्थान पहुंचने वाली शेफाली दूसरी भारतीय बल्लेबाज बनी थी। टी-20 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत के खिलाफ 54 गेंदों पर 78 रनों की पारी खेलने वाली ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज बेथ मूनी दो स्थानों की छलांग के साथ शीर्ष पर पहुंच गई हैं जबकि दूसरे स्थान पर न्यूजीलैंड की सुजी बैट्स और तीसरे पर शेफाली हैं।

            शेफाली ने टी-20 विश्व कप की चार पारियों में 47, 46, 39 और 29 रनों की तूफानी पारियां खेलते हुए कुल 161 रन बनाए और लगातार दो बार प्लेयर ऑफ द मैच रहते हुए हर किसी को अपनी बल्लेबाजी से हैरान कर दिया था। महिला टी-20 इंटरनेशनल में कम से कम 200 रन बना चुकी क्रिकेटरों की बात की जाए तो पिछले साल सितम्बर माह में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पर्दापण के बाद से शेफाली ने 18 टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में 146.96 के स्ट्राइक रेट से 485 रन बनाए हैं। शेफाली का यह स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा है। उनके बाद नंबर आता है साउथ अफ्रीका की चोले ट्रियोन का, जिसने 140 के स्ट्राइक रेट के साथ 756 रन बनाए हैं। शेफाली ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टी-20 मुकाबले से भारतीय टीम में पदार्पण किया था। अपने डेब्यू मैच में वह सिर्फ 4 गेंद ही खेल पाई थी लेकिन अगले मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 33 गेंदों पर 46 रन बनाकर वह दुनिया की नजरों में आई थी। टीम इंडिया महिला टी-20 की कप्तान हरमनप्रीत कौर का शेफाली के संदर्भ में कहना है कि महिला टीम को शेफाली जैसी ही युवा सनसनी बल्लेबाजों की जरूरत है।

            हरियाणा के रोहतक शहर की रहने वाली शेफाली पिछले कुछ ही मैचों में अपने विस्फोटक प्रदर्शन के चलते अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेट की नई सनसनी बनकर उभरी है। गत वर्ष उसने वेस्टइंडीज के खिलाफ टी-20 सीरीज में 24 घंटे के भीतर दो धमाकेदार अर्धशतक ठोंककर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अर्धशतक जड़ने वाली भारत की सबसे युवा खिलाड़ी बनने का गौरव भी हासिल किया था और अपने ही आदर्श सचिन तेंदुलकर का 30 वर्ष पुराना रिकॉर्ड तोेड़ते हुए अपने बुलंद इरादों का परिचय भी दिया था। शेफाली की धमाकेदार बल्लेबाजी को देखते हुए कहा जाने लगा है कि वह भारतीय महिला क्रिकेट टीम की अगली सुपरस्टार होंगी। शेफाली के साथ एक मैच में साझेदारी कर चुकी विश्व की दिग्गज खिलाड़ी डेनियल वायट ने तो शेफाली के संबंध में कुछ माह पहले कहा भी था कि संभवतः एक साल में वह भारत की अगली सुपरस्टार बनने जा रही हैं। उस समय डेनियल वायट का कहना था कि शेफाली की बल्लेबाजी को देखकर लगता ही नहीं कि वह इतनी युवा है लेकिन कोच ने बताया कि वह केवल 15 साल की है।

            अगर बात की जाए शेफाली द्वारा सचिन का 30 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़े जाने की तो सचिन तेंदुलकर ने अपना पहला टेस्ट अर्धशतक 16 साल और 214 दिन की उम्र में बनाया था जबकि शेफाली यह उपलब्धि केवल 15 साल और 285 दिन की आयु में ही हासिल करने में सफल रही। शेफाली ने करीब पांच साल पहले क्रिकेटर बनने की भी उस वक्त ठानी थी, जब उसने रोहतक के लाहली में रणजी मैच खेलने आए क्रिकेट के भगवान माने जाते रहे सचिन तेंदुलकर को देखा था। उसके बाद उसने पिछले साल उन्हीं सचिन का 30 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़कर अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेट में तहलका मचा दिया था। वर्ष 2013 में सचिन तेंदुलकर हरियाणा के लाहली गांव में अपना आखिरी रणजी ट्रॉफी मैच खेलने आए थे। शेफाली अपने पिता के साथ वह मैच देखने स्टेडियम गई थी। मैच खेलते वक्त सचिन के विस्फोटक प्रदर्शन से वह इतनी प्रभावित हुई कि उसने तभी एक प्रोफैशनल क्रिकेटर बनने की ठान ली थी। सचिन को देखने के बाद इन पांच वर्षों की उसकी कड़ी मेहनत और क्रिकेट के प्रति उसके समर्पण का ही परिणाम है कि वह भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सलामी बल्लेबाज बन गई है। उसकी आक्रामक बल्लेबाजी से अब मैदान पर विरोधी टीम के अच्छे-अच्छे गेंदबाजों के भी पसीने छूटते हैं।

            शेफाली ने 10 नवम्बर 2019 को भी वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए पहले टी-20 मुकाबले में 49 गेंदों पर 73 रनों की शानदार पारी खेलते हुए अर्धशतक जड़कर इतिहास रचा था। अपनी उस विस्फोटक पारी के दौरान शेफाली ने छह चौके और चार छक्के लगाए थे और भारत ने वेस्टइंडीज पर 84 रनों से बड़ी जीत दर्ज की थी। वह उसके कैरियर का पांचवां टी-20 मैच था और अर्धशतक लगाने के साथ ही वह क्रिकेट के किसी भी प्रारूप में सबसे कम आयु में अर्धशतक लगाने वाली पहली भारतीय बल्लेबाज बन गई थी। अगले ही दिन 11 नवम्बर को वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए दूसरे मुकाबले में भी उसने दस चौके और दो छक्के लगाते हुए 35 गेंदों पर 69 रनों की नाबाद पारी खेलकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी। भारतीय टीम में डेब्यू करने वाली वह दूसरी सबसे कम उम्र की खिलाड़ी है। उसने आठ वर्ष की आयु में हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा रोहतक में चलाए जा रहे रामनारायण क्रिकेट क्लब से क्रिकेट खेलने की शुरूआत की थी। घरेलू क्रिकेट में खेलते हुए वर्ष 2018-19 में अंडर-19 के 50-50 ओवर के मैचों में 70 से भी कम गेंदों में तीन शतक, अंडर-23 में खेलते हुए 50-50 ओवर के मैचों में तीन शतक तथा नागालैंड के खिलाफ सीनियर टी-20 मुकाबले में खेलते हुए 56 गेंदों में 128 रनों की शानदार पारी खेलकर वह अपनी प्रतिभा का परिचय पहले ही दे चुकी थी। शेफाली ने बेंगलुरू स्थित नेशनल क्रिकेट एकेडमी में नेशनल कैंप में भी बेहतर प्रदर्शन किया था और उसी के आधार पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पांच टी-20 मैचों के लिए भारतीय महिला टी-20 टीम में उसका चयन हुआ था।

            शेफाली ने जब क्रिकेट खेलना शुरू किया, उस दौरान उसे बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। सबसे बड़ी दुविधा तो यही थी कि रोहतक शहर में उस समय लड़कियों के लिए कोई क्रिकेट एकेडमी नहीं थी और सभी क्रिकेट एकेडमियों ने एक लड़की होने के कारण उसे अपने यहां दाखिला देने से इन्कार कर दिया था। आखिरकार शेफाली ने अपने बाल कटवाकर एक लड़के के रूप में ही क्रिकेट की ट्रेनिंग लेनी शुरू की। जब वह लड़कों के साथ क्रिकेट की प्रैक्टिस करती थी तो उसे और उसके परिजनों को पड़ोसियों तथा रिश्तेदारों के ताने सुनने पड़ते थे लेकिन इन तानों से बेपरवाह शेफाली ने हार नहीं मानी। उसके पिता के मुताबिक प्रैक्टिस के दौरान कई बार गेंद उसके हेलमेट पर लगती थी और ऐसे ही कई अवसरों पर खेलते समय उसके हेलमेट की जाली भी टूट जाती थी लेकिन शेफाली ने अपना खेल निरन्तर जारी रखा। गेंद पर एकाग्रता बढ़ाने के लिए वह अपने घर में ही हैंगिग बॉल से (रस्सी के सहारे बॉल लटकाकर) प्रतिदिन करीब डेढ़ घंटे तक अभ्यास करती थी। आज उसकी उसी कड़ी मेहनत और जुनून का ही नतीजा है कि कई दिग्गज क्रिकेटर अब उसके खेल की तारीफ कर रहे हैं

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