क्या तृणमूल कांग्रेस के ” अमर सिंह ” बनने जा रहे हैं शुभेंदु अधिकारी ??

तारकेश कुमार ओझा

तृणमूल कांग्रेस के युवा तुर्क शुभेंदु अधिकारी क्या राजनीतिक अनिर्णय की ऐसी  स्थिति में फंस चुके हैं , जहां से आगे का रास्ता उनके लिए  कठिन साबित हो सकता है । क्या शुभेंदु अधिकारी तृणमूल कांग्रेस के ” अमर सिंह “‘ साबित होने वाले हैं । पश्चिम बंगाल के  राजनीतिक हलकों में  इन दिनों कुछ ऐसे ही कयास  लगाए जा रहे हैं । राजनीतिक करियर के  लिहाज से देखें तो तृणमूल कांग्रेस के शुभेंदु अधिकारी और समाजवादी नेता  स्व . अमर सिंह में काफी समानता देखी जा सकती है । दोनों अपनी – अपनी पार्टी नेताओं के  दुलारे तो समर्थकों के  प्यारे रहे हैं । लेकिन नंबर दो की  हैसियत को लेकर जिस तरह समाजवादी पार्टी में  अमर सिंह की आजम खान से कभी नहीं पटी उसी तरह शुभेंदु की  तृणमूल कांग्रेस में  कभी मुकुल राय तो कभी अभिषेक बंद्योपाध्याय के साथ शीतयुद्ध चलने की  अटकलें हमेशा मीडिया की सुर्खियां बनती रही । विभिन्न पदों के  साथ ही शुभेंदु अधिकारी ने बागी तेवरों के  साथ मंत्रीमंडल तो छोड़ दिया लेकिन आगे की  राह चुनने में  हो रही देरी से उनके कार्यकर्ताओं व समर्थकों में बेचैनी बढ़ती जा रही है । उधर टी एम सी नेतृत्व ने भी शुभेंदु समर्थकों के पर चुन – चुन कर  कतरने शुरू कर दिए हैं । माना जा रहा है कि यह परिस्थिति शुभेंदु के  लिए असुविधाजनक साबित हो सकती है । जानकारों का मानना है कि भविष्य की  राह चुनने में  शुभेंदु अधिकारी जितना देर लगाएंगे उनके लिए परिस्थितियां उतनी ही प्रतिकूल होती जाएंगी । क्योंकि बेशक  शुभेंदु तृणमूल कांग्रेस के  एक वर्ग खास तौर से युवाओं में  लोकप्रिय तो हैं लेकिन सत्ता ,  पद और पावर से हटने के  बाद लक्षमण सेठ और सुशांत घोष जैसे राजनेताओं का हश्र भी उनके सामने है। नजदीकियों का मानना है कि शुभेंदु के  सामने चुनौतियां कम नहीं है । मजबूत विकल्प के  तौर पर ज्यादा संभावना उनके भाजपा में जाने की ही है । लेकिन इसमें एक तो अल्पसंख्यक मतदाताओं के  बिदकने का खतरा है , वहीं पहले टी एम सी छोड़ कर भाजपा में गए हाशिये पर पड़े  तमाम राजनेताओं के उदाहरण भी उनके सामने है । समझा जाता है कि शुभेंदु समर्थकों के  सामने ऐसी ही तमाम उलझने हैं ।

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