क्या प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे का निधन भारत के लिए व्यक्तिगत क्षति हैं ?

डॉ. संतोष कुमार

जापान के भूतपूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो की कल एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान गोली मार कर हत्या कर दी गयी। उनके निधन से ने केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में उनके प्रशंषको में  एक धक्का सा लगा है। भारत शिंज़ो अबे की मृत्यु को एक व्यक्तिगत क्षति के रूप में देखता है। भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का शिंज़ो अबे के साथ एक खास रिश्ता था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में शिंज़ो अबे के निधन पर दुःख व्यक्त करते हुए भारत के लिए एक बड़ी क्षति बताया और दिवंगत आत्मा के सम्मान में 9 जुलाई को राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। 

भारत-जापान द्विपक्षीय सम्बन्ध जो आज प्रत्येक स्तर अधिक  स्थिर, मजबूत और बहु-आयामी दिखाई देता हैं उसका पूरा श्रेय शिंज़ो अबे को जाता है। शिंज़ो अबे ने जापान के प्रधानमंत्री रहते हुए चार दफा भारत की राजनीतिक यात्रा की और भारत को एक सामरिक या स्ट्रेटेजिक पार्टनर से ग्लोबल स्ट्रेटेजिक पार्टनर घोषित किया। उन्होने अपने प्रधनमंत्री कार्यकाल 2006-2007 और 2012-2020 के दौरान भारत-जापान संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विदेश नीति और अंतरार्ष्ट्रीय संबंधो के विशेषज्ञों का मानना है कि शिंज़ो आबे भारत के एक खास मित्र थे, जिन्होंने दोनों देशों के बीच सामरिक संबंधों को गहरा करने के लिए गहन प्रयास किये।  

हालाँकि दो देशो के दरम्यान कूटनीतिक सम्बन्ध 1952 में स्थापित हुए थे। तब से अब तक का इतिहास काफी दिलचस्प और उतार चढाब वाला रहा है। साल 1998 में जब भारत  के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेयी ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया तो जापान ने उस के विरोध में भारत पर आर्थिक और व्यापारिक प्रतिबंध लगा दिए थेI साल 1998-2002 तक का दौर भारत-जापान सम्बन्धो में स्थिरता का दौर रहा था I किन्तु जब शिंज़ो अबे 2007 में पहली दफा जापान के प्रधनमंत्री बने तब न केवल शिंज़ो अबे ने भारत के साथ अपने द्विपक्षीय सम्बन्धो को सामान्य किया बल्कि एक नई दिशा भी दी।

ये शिंज़ो अबे ही थे जिन्होंने सन 2007 QUAD का आईडिया दिया जो कि एक सिक्योरिटी डायलाग हैं। लेकिन तब  QUAD के आईडिया को वास्तविक रूप नहीं दिया जा सका। किन्तु जब 2017 शिंज़ो अबे पुनः जापान के प्रधानमंत्री बने और भारत, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड स्टेट्स के सहयोग से क्वाड की स्थापना की। जिसका का मूल उद्देश्य चीन के बढ़ते आर्थिक और सैन्य प्रभाव को रोकने के साथ साथ एशिया पसिफ़िक रीजन में शांति स्थापित करना है।

प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे को अबेनॉमिक्स’ के लिए भी याद किया जायेग। अबीसोनोमिक्स एंड मोदिएकोनॉमिक्स को दुनिया भर के अर्थशास्त्री आज भी याद करते हैं।  जिसने दोनों देशो की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और इसे उच्च विकास पथ अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।आज जापान भारत में चौथा सबसे बड़ा निवेशक हैं। जिसका पूरा श्रेय शिंज़ो अबे और मोदी की दोस्ती को जाता हैं।  

भारत-जापान सम्बन्ध आज जिस स्तर पर हैं उसका पूरा श्रेय शिंज़ो अबे को जाता हैं। और भारत उनके योगदान की सराहना भी करता हैं। यही कारण की 2021 में शिंज़ो अबे को भारत ने पदम् विभूषण जो कि भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान हैं से नवाजा था। इसके अलावा जब 2017 भारतीय प्रधानमंत्री की जापान यात्रा के दौरान  शिंज़ो अबे ने मोदी के निजी निवास पर दावत के लिए भी आमंत्रित किया था। 2015 में जब शिंज़ो अबे भारत के दौरे पर थे तब मोदी जी शिंज़ो अबे को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणशी  लेकर गए जहाँ उन्होंने गंगा आरती में भी हिस्सा लिया। शिंज़ो अबे ने 2017 में अपनी भारत यात्रा के दौरान मोदी के गृह नगर अहमदाबाद में मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रैन प्रोजेक्ट की नींव रखी थी। जो की एक जॉइंट वेंचर हैं। जिसे जापान फण्ड कर रहा हैं। 2014 शिंज़ो अबे रिपब्लिक परेड में चीफ गेस्ट के तौर पर भी पधारे थे। ये सब घटनाएं बताती हैं की भारत का रिश्ता शिंज़ो अबे के साथ कोई मामूली रिश्ता नहीं था। एक ऐसा रिश्ता था जो कुछ खास था, जो हमेशा भारत के साथ खड़ा रहता थ। एक ऐसे समय जब विश्व राजनीती में उथल पथल मची हो और विश्व एक दफा पुनः शीत युद्ध जैसी स्थति की और अग्रसर हो ऐसे समय में एक ऐसे मित्र को खो देना वाकई भारत के लिए बहुत बड़ी क्षति हैं। जिस क्षति को आने वाले समय में भरना मुमकिन ही नहीं शायद नामुमकिन होगा। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,020 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress