सबसे बड़ा अधर्म है गोहत्या – राघवेश्‍वर भारती

पन्ना, 08 जनवरी। उपकारी पर उपकार करना धर्म है, उपकारी का आभार न मानना अधर्म है और उपकारी पर हिंसा करना अथवा हत्या करना विश्‍व का सबसे बड़ा अधर्म है। विश्‍व मंगल गोग्राम यात्रा के मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में आगमन पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए गोकर्ण पीठ के जगदगुरू शंकराचार्य श्री राघवेश्‍वर भारती स्वामी ने यह वाक्य कहे।

उन्होंने कहा कि विश्‍व में गाय से बढकर कौन उपकारी है? गोमाता का दूध तो अमृत है, साथ ही गोमाता का त्याज्य भी हमारे और धरतीमाता के लिए वरदान है। उन्होंने कहा कि गोमाता कि हत्या केवल कू्ररता ही नहीं, हमारी मूर्खता है। क्योंकि हम गाय का वध करने के साथ ही, स्वयं के सुखी जीवन के आयाम को भी नश्ट कर रहे है।

श्री राघवेश्‍वर भारती ने कहा कि गोमाता हीरे से बढकर है क्योंकि हीरे से कुछ भी उत्पादन नहीं होता, लेकिन गाय से मिलने वाला गोबर, गोमूत्र और दूध आदि बहुत उपयोगी है।

यात्रा के राष्‍ट्रीय मार्गदर्शक श्री सीताराम केदिलाया ने कहा कि यह यात्रा भारत की प्राचीन सोच को नये ढंग से सबके सामने लाने का एक सफल प्रयास है। उन्होंने कहा कि गोमाता पूरे विश्‍व को जोडने वाली शक्ति है। भारत की कृषि नीति, शिक्षा नीति, उद्योग नीति और अर्थ नीति गो और ग्राम आधारित होनी चाहिए। तभी हमारे मंगल जीवन की कल्पना की जा सकेंगी और भारत विश्‍व का मार्गदर्शन करने में सक्षम होगा।

श्री केदिलाया ने कहा कि सऊदी अरब की राजधानी से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रियाज नामक स्थान पर एक गोषाला है, जिसमें 26 हजार गोवंश है जिसमें से पांच हजार भारतीय गायें है। उन्होंने बताया कि वहां का राजपरिवार भारतीय नस्ल की गायों के दूध का ही उपयोग करते है। गायों की मृत्यु के बाद उन्हें विधिपूर्वक दफनाया भी जाता है।

विश्‍व मंगल गोग्राम यात्रा शुक्रवार को मध्यप्रदेश के सागर से निकल कर दमोह होते हुए छत्रसाल और भगवान प्राणनाथ की धरती पन्ना पहुंची जहां यात्रा का भव्य स्वागत किया गया।

परेड ग्राउंड में आयोजित सभा की अध्यक्षता कर्नाटक राज्य के मंडया जिले के शंकरय्या मंदिर के स्वामी श्री बसवप्पा नंदी स्वामी ने की। सभा को महाकौशल प्रांत के गौरवाध्यक्ष व समन्वय आश्रम के संस्थापक स्वामी अखिलेश्‍वरानंद गिरि, मध्यप्रदेश गोसेवा आयोग के अध्यक्ष और यात्रा के राष्‍ट्रीय सचिव श्री मेघराज जैन आदि ने संबोधित किया।

यात्रा के विभाग संयोजक श्री अमित नूना ने बताया कि पूरे विभाग में 1916 गांवो तक संपर्क किया गया और तीन लाख उन्नीस हजार हस्ताक्षरों का संग्रह किया गया। इस अभियान में 114 सभाऐं हुई और इस कार्य में 495 समयदानी कार्यकर्ताओं ने सहयोग दिया। संग्रहीत हस्ताक्षर श्री राघवेश्‍वर भारती स्वामी को सौंपे गये।

5 COMMENTS

  1. गाय हिन्दुओ के लिए पवित्र रही थी, है और रहेगी. पंडितो ब्राम्हणों के कहने से नहीं बल्कि हमेशा से रही है. आज भी हमारे घर की पहली रोटी गाय और आखरी रोटी कुत्ता की होती है.

    गाय को कभी नाथ नहीं पहनाई जाती है. मैं कही गाय को नाथ मैं नहीं देखा. अगर ऐसा है तो वोह शर्मनाक है. गाय को हम पूजते है.
    विज्ञानं भी सिद्ध कर चूका है की गाय का गोबर हर लिहाज से प्रथ्वी के लिए उपुक्यत है. गाय आस्था, विश्वास और श्रद्धा योग्य है.

  2. हिन्दू -मुस्लिम की पुराने विचार और पाखंड ता देखकर आज के आधुनिक युग में लगता है ये पंडित और मौलवी हंसी के पात्र बनकर
    रह गए है ,कभी कोई मौलाना फतवा निकलता है तो कोई पंडित पुराणी परंपरा की दुहाई देते रहते है ! अगर गाय सबसे उपयुक्त
    होती तो हर घर में गाय बंधी होती ! हजारो सालोसे ये पंडित और ब्राह्मण गरीब अनपढ़ लोगोंको गाय के बारेमे बढ़ा चढ़ा कर बताया
    है ! अब उनकी दुकान इस नए युग में नहीं चलने वाली !

  3. जब तक दुनियासे धर्म के कट्टर ठेकेदार पाखंड बाधा रहे है हम विकास की ओर बड़ने की गति धीमी हुयी है ! भारत जो २००० सालोसे
    परकीय आक्रमण कारीयोंसे गुलाम रहा ! जिसकी सबसे बड़ी वजह है धर्म जिसके वजहसे हम सिर्फ धर्म पूजा -पाठ में डूबे हुए थे !
    और आपसमे लड़ते रहे ! गरीब और अनपढ़ लोगोंको पंडित और ब्राह्मन लोगोने परलोक -नरक का डर दिखाकर सालोसे अपने धर्म की
    दूकान चलाई और आज भी चल रही है ! गाय बैल से खेती करने का जमाना लद गया , लेकिन अभीभी लोग पुराणी विचारधारा
    और पुराने विचारोंसे चिपके हुए है ! पहले अनाज की कमी होती थी और आज आबादी बढ़ी फिर भी हम अनाज निर्यात करने के काबिल
    हुए है सिर्फ आधुनिक तकनीक से खेती करनेसे ! हम इतने धर्मके पाखंड ता में डूबे होनेसे दुनियासे पिछड़े हुए है ! हमें अब भ्रामक
    बाते भूलकर आधुनिक विद्न्यान को अपनाना चाहिए ! नहीं तो दुनिया हमें रौंधाकर आगे निकल जाएगी और हम सिर्फ पूजा पाठ
    करते रहेंगे !

  4. क्या मानव हत्या से भी बड़ा है यह अधर्म?
    हमारे यहाँ तो गाय को नाथा नहीं जाता। बाबा जी जिस गाय की आरती उतार रहे हैं, उसे नाथ दिया गया है, मतलब नाक के बीच की हड्डी छेद कर रस्सी पहनाया गया है। ऐसा इसलिए करते हैं ताकि पशु गाय/बैल/भैंस को कंट्रोल किया जा सके।
    जरा देखिए तो आरती उतरवाते गैया की क्या दुर्दशा हो रही है। एक आदमी ने नाथ पकड़ कर खींचा हुआ है।

  5. लोग भूल रहे की हम इक्कीसवी सदी में जी रहे है ,और मध्य -युग से चली आ रही अंधश्रधा को हमें भूलकर नए ज़माने के
    साथ कदम मिलाके चलना है ! गाय सिर्फ एक उपयुक्त पशु है ,जैसे बैल ,भैस ,हम बे वजह पाखंड फैला रहे है ! भारतमे गाये
    लाखो की संख्यामे थी और अब भी है लेकिन पहले हमें अनाज का आयत करना पड़ता था ! अब नए तकनीक से और फसल पर केमिकल
    से हमारी फसल के उत्पादन में बढ़ोतरी हुयी है और अब हम अनाज निर्यात भी कर रहे है ! रही बात गाय के दूध की तो वैद्न्यानिक
    कहते है की दूध में ९८ प्रतिशत पानी होता है और बाकि में प्रोटीन ,उससे ज्यादा प्रोटीन के श्रोत है हरी सब्जी ,फल ,ड्राय फ्रूट ,सोयाबीन
    जैसे बहुत से पदार्थ है जिसमे दूध से कई गुना प्रोटीन और करबोहैद्रेड मिलता है ! गाय से ज्यादा इन्सान सुपेरिअर और उन्नत प्राणी
    है ,इसलिए गाय को ज्यादा महत्त्व देना उचित नहीं है ! हम आधुनिक निति नहीं अपनाते तो दुनियासे पिछड़ जायेंगे ! लेखक लिखता है की दुनियामे गाय से बढ़कर कौन उपकारी है ? तो सच में कहे तो सबसे उपकारी वैद्न्यानिक लोग है ! पहले महामरिसे ,चेचक ,हैजा ,काली
    खांसी ,प्लेग जैसे बिमारीसे लाखो लोग मरते थे ! लेकिन वैद्न्यानिक लोगोने ही नई दवां से हमें बचाया है ! इन्फ्लुन्ज़ा के बिमारीसे
    युरोपमे ४ करोड़ लोग मर गए थे ! लेकिन आज उस वायरस के लिए टिके मौजूद है ! आनेवाली नई नई बिमारियोंसे हमें वैद्न्यानिक
    ही बचायेंगे ! अगर वो नहीं होते तो हम न जाने कौनसे महामारी में ख़त्म हो गए होते !! इसलिए KISIKA UPKAR MAT BHULO !

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