आज के समय में संजय जोशी भाजपा कार्यकर्ताओं के दिलों की धड़कन बने हुए हैं क्योंकि वे अपने कार्यकर्ताओं पर कभी गुस्सा नहीं करते अगर कोई कार्यकर्ता गलती कर भी देता है तो उसे बड़े प्रेम से इस कदर समझाते हैं कि कार्यकर्ता को बुरा भी ना लगे और उसे अपनी गलती का एहसास भी हो जाए और कार्यकर्ता दोबारा गलती ना करें | उनके समझाने का तरीका कुछ इस प्रकार है :- बात है 16 नवम्बर 2019 की श्री संजय जोशी जी चेन्नई से दिल्ली विमान द्वारा आने वाले थे और उनका विमान इंडिगो 6 ई 2622 सुबह के 3:00 बजे दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचने वाला था | सुबह मुझे और गाड़ी चालक बलराज वत्स को दिल्ली हवाई अड्डे लेने जाना था मैंने सुबह 2:00 बजे का अलार्म भी लगा था अलार्म बजा भी, लेकिन मैंने सोचा 5 मिनट बाद उठता हूं | आलस्य के कारण दोबारा नींद लग गई, उधर श्री संजय जोशी जी हवाई अड्डे के बाहर आये जब हम लोग दिखाई नहीं दिए तो उन्होंने फोन लगाया, फोन से आवाज आई कहां हो मैं उत्तर देने की स्थिति में नहीं था फिर भी हिम्मत करके बोला, बस घर से निकल रहे हैं श्री संजय जोशी जी ने तुरंत बात समझ ली और कहा आप वहीं रुको मैं टैक्सी लेकर आता हूं | मेरे मन में बहुत से सवाल पैदा होने लगे सोचने लगा पता नहीं आज क्या होगा, आज तो डांट पड़ना स्वाभाविक था | लेकिन श्री संजय जोशी जी ने आने के बाद मुझे कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप अपने रूम में चले गए | मैंने सोचा थोड़ी देर बाद कुछ कहेंगे, लेकिन बाद में भी कुछ नहीं कहा | अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने स्वयं कहा आज गलती हो गई हम समय पर पहुँच नहीं पाये | इतना सुनते ही मुस्कुराते हुए बोले नींद लग गई होगी, कोई बात नहीं | कुछ दिनों के बाद पूरे स्टाफ के लिए टाइटन कंपनी की घड़ी मंगवाई गई और सबको एक-एक घड़ी पहनने को दे दी | पुरे स्टाफ को समझ गया था कि घड़ी क्यों दी है | उस दिन के बाद से सभी लोग समय से 15 मिनट से पहले पहुँचने का प्रयास करते हैं | उनके कार्य करने का यही तरीका सभी के दिलों को छू जाता है और कार्यकर्ता संजय जोशी जी को अपने दिल में बसा लेते हैं | भाजपा के ज्यादातर कार्यकर्त्ता संजय जोशी जी को राजनैतिक गुरु के रूप में मानते है और संजय जोशी जी भी अपने कार्यकर्ताओं को एक सच्चे गुरु की भांति सही राह दिखाते है | वे अपेक्षा रखते है कि उनका हर एक कार्यकर्त्ता अच्छे पद प्रतिष्ठा प्राप्त करे | आज के समय में अनेकों कार्यकर्त्ता मंत्री, मुख्यमंत्री व केबिनेट मंत्री के रूप में स्थापित है | किसी कवि ने क्या पंक्ति कही है कि :-
होती है लालसा हर गुरु की, कि मेरा दीक्षित मुझसे आगे बढ़े |
और भीष्म सा लड़े मुझसे, जीते तो मान रहे, हारे तो मान बढ़े ||
वे अपने कार्यकर्ताओं से बहुत ज्यादा स्नेह करते है | मिलते समय हर कार्यकर्ता को वे उसके नाम से बुलाते हैं जिससे कार्यकर्ता को लगता है कि संजय जोशी जी मुझे व्यक्तिगत रूप से जानते है | मिलते समय घर परिवार के हाल-चाल पहले जानते हैं, उसके बाद काम की बात करते है यही कारण है कि हर कार्यकर्ता उनको अपने दिल की बात बिना किसी झिझक के बता देता है | इसी कारण से उनको देश के हर कोने की सटीक और सही जानकारी प्राप्त होती है | बाकी जगह कार्यकर्ता किसी नेता से मिलने जाते हैं तो डर के कारण वही बात बताते हैं जो सामने वाले नेता को पसंद आए | इसी कारण से सही जानकारी नेता के पास नहीं पहुंच पाती | इसी कारण से कभी-कभी नेता गलत फेसले ले लेता है | लेकिन जो आंकड़े व जानकारी श्री संजय जोशी जी के पास आती है वह जानकारी सटीक व शत प्रतिशत सही होती है | क्योंकि यहां पर कार्यकर्ता किसी डर से नहीं बल्कि अपने दिल से बात बताता है | अगर नीचे की स्थिति सही नहीं है तो, कार्यकर्ता निसंकोच बता देता है कि यहां की स्थिति खराब है | यह जानकर संजय जोशी जी कार्यकर्ता से नाराज नहीं होते बल्कि वहां की स्थिति को कैसे ठीक किया जा सके उसके बारे में उसी कार्यकर्ता से ही सुझाव लेने का प्रयास करते हैं | जिसके कारण कार्यकर्ता का मनोबल बढ़ता है और उसे यह लगता है कि मेरी आवाज अब ऊपर तक जाएगी और आने वाला निर्णय कार्यकर्ताओं के पक्ष में जायेगा | इसी तरह कार्यकर्ता बड़ी शांति से अपने दिल की बात श्री संजय जोशी जी के सामने रखते है और ख़ुशी ख़ुशी अपने घर चला जाते है |
लेखक
बालकृष्ण उपाध्याय