जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग,सरकार बनाने की पीडीपी की कोशिशों को झटका

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अनिल अनूप

एक नाटकीय घटनाक्रम में बुधवार(21नवम्बर) रात को जम्मू और कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया गया. जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार की रात राज्य विधानसभा को भंग करने का फ़ैसला लेते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गयी है. एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी है.इससे पहले मुख्यधारा के तीन दलों ने साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया गया, वहीं, इसका विरोध करते हुए भारतीय जनता पार्टी समर्थित पीपल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया था. राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक संक्षिप्त बयान में घोषणा की कि वे जम्मू और कश्मीर के संविधान से मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए विधानसभा को भंग कर रहे हैं, जिसका कार्यकाल अभी दो साल बाकी था. विधानसभा को भंग करने की घोषणा से तुरंत पहले पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा किया था. वहीं, बीजेपी भी पीडीपी के विद्रोही विधायकों और सज्जाद लोन के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में जुटी थी. पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने  राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा था कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने उनकी पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का फैसला किया है. लोन ने इसका विरोध करते हुए राज्यपाल को पत्र लिख कर बीजेपी की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया. उन्होंने 18 विधायकों के साथ बीजेपी के 25 विधायकों की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया और कहा कि यह बहुमत से अधिक है.वहीं, मुफ्ती ने अपने पत्र में लिखा कि उनकी पार्टी के 29 विधायकों के अलावा नेशनल कांफ्रेंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर उनकी संख्या 56 हो जाती है.महबूबा ने राज्यपाल (जो शादी समारोह में शामिल होने के लिए चंडीगढ़ में थे) को भेजे पत्र में लिखा, “चूंकि मैं श्रीनगर में हूं. इसलिए तुरंत आपसे मिलना संभव नहीं होगा. इसलिए हम सरकार बनाने के दावे के लिए आपकी सुविधा के मुताबिक आपसे जल्द मुलाकात का समय मांगते हैं.”विधानसभा भंग होने से पहले पूर्व वित्त और शिक्षा मंत्री अल्ताफ बुखारी के पीडीपी-नीत गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा चल रही थी. 87-सदस्यीय जम्मू और कश्मीर विधानसभा में बीजेपी के 25 (सभी जम्मू से) विधायक हैं और कश्मीर घाटी की पीपल्स कांफ्रेस के दो विधायकों के समर्थन का पार्टी दावा करती है. मुफ्ती ने कहा कि विचित्र है कि फैक्स से भेजे गए पत्र को राजभवन ने स्वीकार नहीं किया. उन्होंने कहा कि वे राज्यपाल से फोन पर संपर्क करने की कोशिश कर रही हैं. उधर, विधानसभा भंग किए जाने की घोषणा से कुछ ही देर पहले पीपुल्स कान्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी बीजेपी के 25 विधायकों तथा 18 से अधिक अन्य विधायकों के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा बुधवार को पेश किया था.लोन ने राज्यपाल को एक पत्र लिख कर कहा था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ें से अधिक विधायकों का समर्थन है. उनका कहना था ,‘‘जम्मू कश्मीर में सरकार गठन के लिए फोन पर हुई हमारी बातचीत के बाद मैं जम्मू कश्मीर राज्य विधानसभा में बीजेपी और 18 अन्य निर्वाचित सदस्यों के समर्थन से सरकार बनाने का औपचारिक रूप से दावा पेश करता हूं….’’ लोन ने कहा था कि जब उनसे कहा जाएगा तब वह बीजेपी विधायक दल तथा अन्य सदस्यों के समर्थन का पत्र पेश करेंगे.गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में भगवा पार्टी द्वारा समर्थन वापस लिये जाने के बाद पीडीपी-बीजेपी गठबंधन टूट गया था जिसके बाद 19 जून को राज्य में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगा दिया गया था. राज्य विधानसभा को भी निलंबित रखा गया था ताकि राजनीतिक पार्टियां नई सरकार गठन के लिए संभावनाएं तलाश सकें.सरकार बनाने के विवादित दावों के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने बुधवार रात राज्य विधानसभा को भंग करने की सिफारिश कर दी। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बयान में इस फैसले की घोषणा की. विधानसभा भंग किए जाने का मतलब यह हुआ कि अब राज्य में बिना चुनाव दोबारा सरकार का गठन नहीं किया जा सकता है. आइए इस पूरे मामले को 7 प्वाइंट के ज़रिए समझने की कोशिश करते हैं-
1. राज्यपाल की इस घोषणा के साथ ही पीडीपी-कांग्रेस की कोशिशों को झटका लगा है. विधानसभा भंग किए जाने का मतलब है कि राज्य में दोबारा चुनाव के बाद ही सरकार बनाई जा सकती है.
2. 19 दिसंबर को राज्यपाल शासन की 6 महीने की मियाद पूरी हो रही थी. इससे पहले राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 87 सदस्यीय विधानसभा को भंग नहीं करने का फैसला किया था. ऐसे में 19 दिसंबर तक सभी पार्टियों के पास सरकार बनाने का समय था.
3. इससे कुछ ही समय पहले जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था.
4. मुफ्ती ने आज राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लिखे पत्र में कहा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं।
5. उन्होंने लिखा, ‘‘आपको मीडिया की खबरों में पता चला होगा कि कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है। नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है।’’
6. इस साल 16 जून को पीडीपी-बीजेपी गठबंधन से बीजेपी अलग हो गई थी. जिसके बाद से यहां राज्यपाल शासन लगा हुआ था.
7. PDP के पास 28 विधायक हैं, जबकि नेशनल कांफ्रेंस के पास 15 और कांग्रेस के 12 विधायक हैं.

विधानसभा भंग होने के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर हमला किया. इस मसले पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती, उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद समेत अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र पर निशाना साधा . उमर अब्दुल्ला ने चुटकी लेते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर राज भवन में फैक्स मशीन की जरूरत है. एक और ट्वीट की श्रृंखला में राज्य के पूर्व सीएम ने केंद्र पर निशाना साधा और साजिश की संभावना जताई.नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि उनकी पार्टी पांच महीनों से विधानसभा भंग किये जाने का दबाव बना रही थी। यह कोई संयोग नहीं हो सकता कि महबूबा मुफ्ती के दावा पेश किये जाने के कुछ ही मिनटों के भीतर अचानक विधानसभा को भंग किये जाने का आदेश आ गया।उमर ने मजाकिया अंदाज में कहा,‘‘ जम्मू कश्मीर राजभवन को तत्काल एक नयी फैक्स मशीन की जरूरत है।’’महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट के जरिए ये भी बताया कि राजभवन की फैक्स मशीन नहीं चल रही है. महबूबा ने कई ट्वीट करके कहा कि पिछले पांच महीनों से राजनीतिक संबद्धताओं की परवाह किये बगैर, ‘‘हमने इस विचार को साझा किया था कि विधायकों की खरीद फरोख्त और दलबदल को रोकने के लिए राज्य विधानसभा को भंग किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमारे विचारों को नजरअंदाज किया गया। लेकिन किसने सोचा होगा कि एक महागठबंधन का विचार इस तरह की बैचेनी देगा।’’ उन्होंने यह भी कहा कि, ‘‘आज की तकनीक के दौर में यह बहुत अजीब बात है कि राज्यपाल आवास पर फैक्स मशीन ने हमारा फैक्स प्राप्त नहीं किया लेकिन विधानसभा भंग किये जाने के बारे में तेजी से बयान जारी किया गया।’’
गुलाम नबी आज़ाद, कांग्रेस नेता.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एक लोकप्रिय सरकार का गठन करने के लिए वार्ता प्रारंभिक चरण में थी और केन्द्र की भाजपा सरकार इतनी चिंतित थी कि उन्होंने विधानसभा भंग कर दी।
आजाद ने कहा, ‘‘स्पष्ट है कि बीजेपी की नीति यही है कि या तो हम हों या कोई नहीं।’’
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, मैंने दोपहर में कहा था कि ये सिर्फ सुझाव है अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. एक प्रस्ताव दिया था और बीजेपी ने विधानसभा भंग कर दी.पीडीपी के बागी विधायक इमरान अंसारी ने कहा, ‘अगर राजयपाल ने हमे फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाया होता, तो हम अपने सदस्य दिखाते. अब हालात अलग है. चुनाव ही अब विकल्प है. अगर महबूबाजी को लगता है कि यह असंवैधानिक है तो इस लोकतान्त्रिक देश में उनके पास बहुत सारे विकल्प है.’प्रोफेसर सैफुद्दीन सोज़ ने कहा, ‘मह्बूबाजी को कोर्ट जाना चाहिए. राजयपाल ने जो किया है वह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है.

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