स्वस्थ रखें अपना लिवर


डॉ रुप कुमार बनर्जी
होमियोपैथिक चिकित्सक

      लिवर हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है जो पेट के दाहिनी ओर नीचे की तरफ होता है। यह शरीर की कई क्रियाओं को नियंत्रित रखता है। अगर इसी में ही किसी तरह की कोई कमी आ जाए तो शरीर ही ठीक ढंग से काम करना बंद कर देता है। जिसके फलस्वरूप शरीर का इम्यूनिटी पावर कम होकर हमे तमाम प्रकार की बीमारियां घेर सकती हैं । लिवर खराब होने के सबसे बड़े कारण शराब, अधिक धूम्रपान , ज्यादा ख़ट्टा खाना, नमक का अत्यधिक सेवन करना आदि है। इसलिए समय रहते इसके लक्षणों को पहचाने और इसका उचित इलाज करवाएं।
      लिवर को खराब करने वाले कारण :–
– दूषित खाना और पानी
– मसालेदार और चटपटे खाने
– शरीर में विटामिन बी की कमी
– नियमित रूप से मांस मछली एवं अल्कोहल का सेवन
– बिना चिकित्सक से पूछे अपने मन से खरीदे गए मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक दवाईयों का अधिक सेवन
– मलेरिया या  टायफायड
– अत्यधिक मात्रा में बाहर का खाना जंक फूड इत्यादि का सेवन
लिवर खराब होने के लक्षण :-
– लिवर वाली जगह दर्द होना
– छाती में जलन और भारीपन
– भूख न लगना और लगातार, बदहजमी, पेट में गैस
– आलसपन और कमजोरी
– पेट में सूजन आना
– मुंह का स्वाद खराब
– हल्का सा बुखार बने रहना।
लिवर की बीमारी को ठीक करने का प्राकृतिक उपाय :-
• सुबह उठकर खुली हवा में गहरी सांसे ले और नंगे पैर घास पर चलें। इससे काफी फायदा मिलेगा। 
– सब्जियों में मूली, मूली का पत्ता पालक, तुरई, लौकी, शलगम, गाजर, कद्दू, पपीते आदि की सब्जी से फायदा मिल सकता है।
• रोज हल्का गर्म नींबू पानी का सेवन करें।
• इसके अलावा रोज सब्जियों का सूप पिएं
• फल जैसे अमरूद, तरबूज, नाशपाती, मौसमी, अनार,कीवी सेब, पपीता, आलूबुखारा आदि लिवर के लिए फायदेमंद है।
• सलाद, अंकुरित दाल का भी  सेवन करें और भाप में पके हुए या फिर उबले हुए पदार्थ खाएं।
•  गुड़ का सेवन भी लिवर के लिए फायदेमंद हो सकता है। (मधुमेह अथवा मोटापे से ग्रस्त मरीज बिना चिकित्सक की सलाह के गुड कतई ना लें)
• आंवला भी लिवर के लिए काफी फायदेमंद है। इसलिए आंवले खाएं। यदि आपको मधुमेह की बीमारी नहीं है अथवा आप मोटापा से ग्रसित नहीं है तो आंवले का मुरब्बा भी ले सकते हैं।
•  कैफीन और शराब का सेवन ना ही करें तो बेहतर है । शराब और कैफीन  लिवर में विषयुक्त पदार्थों को जमाने के सबसे बड़े जिम्मेदार हैं जो हमें अपनी पूरी क्षमता से काम करने से रोकते हैं। अलकोहल और केफ़िनेनेटेड पेयों का सेवन नहीं करके अपने लिवर को साफ़ करें।
बहुत सारा पानी पिएं:-

 अपने लिवर को साफ़ करने के लिए कम से कम 3 लीटर पानी पिएँ। बहुत सारा पानी पीना हाइड्रेटेड यानि पानी से परिपूर्ण रखेगा जो प्राकृतिक रूप से कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होगा। ये लिवर को विषाक्त और बचे हुए पदार्थों को जल्दी बाहर निकालने में सहायक होगा, और इससे  लिवर को तेजी से काम करने और अपनी ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी।


अपने आहार में नीबू शामिल करें :-

दिन में एक बार चाय या पानी में निम्बू का रस लें। निम्बू का रस पित्त की उस उत्पत्ति में सहायक होता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायक होता है। ये अग्नाशय की पथरी (gallstones) को विकसित होने से रोकता है और  हाजमे को बढ़ाता है और आपके लिवर को आमाशय के रसों (gastric juices) के अनुरूप चलने देता है।
ग्रीन टी पिएं :- इसमें काफी मात्रा में केटेकाइन्स (catechins) पाए जाते हैं, ये एक प्रकार का प्लांट एंटीऑक्सीडेंट होता है जो लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता हैं और लिवर में वसा के जमाव को कम करने में सहायक होता है। फलों का ताजा जूस पीएं ( जिनको शुगर है वह नहीं पीएं )।  इससे फैटी लिवर की बीमारी की संभावनाएं घट जाती हैं।
स्वास्थ्यप्रद भोजन खायें l ऐसे आहारों से बचें जो  लिवर को नुकसान पहुचाते हों। वे आहार जो प्रोसेस्ड होते हैं और जिनमें बहुत सारे प्रिज़रवेटिव, फैट्स और कोलेस्ट्रोल होतें हैं वे लिवर को वसा अवशेषों से संकुलित (congested) और भरा हुआ बना सकते हैं। प्रोसेस्ड या फैटी आहारों से बच कर अपने लिवर को साफ़ करें जिससे आपका लिवर खुद को मुक्त कर सके और अपनी कोशिकाओं का पुनर्निर्माण कर सके।
     फ़ास्ट फ़ूड से बचें, विशेषतः, डीप फ्राइड आहारों और प्रिजर्व्ड मीट से बचे (जैसे सॉसेज, बेकन आदि) बुरे फैट्स से बचें: फैटी रेड मीट, डीप फ्राइड आहार, और प्रोसेस्ड आहार, इन सबसे बचना चाहिए l
       सूखे मेवे जैसे बादाम, आखरोट , पिस्ता , चिलगोजा इत्यादि में एल-आर्जिनिन (l-arginine) जो एक प्रकार का अमीनो एसिड होता है और ओमेगा-3 फैटी एसिड का उच्च स्तर पाया जाता है जो लिवर को बीमार होने से बचाता है। कुल मिलाकर स्वस्थ सादा घर का बना भोजन ही करें और अपना जिगर स्वस्थ रखें l यही उचित होगा।


ध्यान दें :- यदि आपको किसी भी प्रकार की कोई बीमारी है तो अपने चिकित्सक से परामर्श लेना अति आवश्यक है क्योंकि खान-पान में परहेज के साथ-साथ उचित दवा लेना भी अति आवश्यक है ।

प्रस्तुतकर्ता :- विनय कुमार मिश्र 

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