खाते हो जिस थाली में,
उसी में तुम छेद करते हो।
दिया है फिल्म इंडस्ट्री ने सब,
उसी से मन भेद रखते हो।।
ये थाली तुमने अकेले नहीं,
सबने मिलकर ही बनाई है।
सबने छप्पन भोग बनाकर,
ये थाली सबने सजाई है।।
अब तो छाज तो छाज़,
छलनी भी बोलने लगी है।
जिसमे बहात्तर छेद है पहले,
थाली में भी छेद करने लगी है
चुपचाप कुछ बैठे हुए हैं,
जरा भी मुंह खोलते नहीं।
शायद मुंह में दही जमा है,
इसलिए वे बोलते नहीं है।।
महाराष्ट्र किसी के बाप का नहीं
तेरे मेरे बाप का भी नहीं
फिल्म इंडस्ट्री है उसी की
जिसके मां बाप होते हैं वहीं।।
कंगना के कंगन में धार है,
ये तलवार से अब कम नहीं,
ये देश की छत्रानी बनी है,
किसी विर्णग्ना से कम नहीं।।
संसद के उच्च सदन से,
आते हैं भड़काऊ बयान।
देश के लिए बेहतर होगा,
न दे भविष्य में ऐसे बयान।।
करोना से लड़ना है अब
कंगना के बयानों से नहीं।
तभी देश करोना से मुक्त होगा,
आपस में कभी लड़ने से नहीं।।
आर के रस्तोगी