राहुल को खत

-सतीश मिश्रा-
rahul

आदरणीय राहुल गांधी जी,
सादर नमो नमो
टीवी पर देखा,
आप कह रहे थे कि आपने
इस देश को भोजन का अधिकार दिया
आप बड़े आदमी हैं।
आप कह रहे हैं तो प्रामाणिक
रूप से ही कह रहे होंगे
परन्तु हे सोनियानन्दन..!
जहां तक मेरा विश्वास है,
मैं और मेरा परिवार तो उस समय से
भोजन करता आ रहा है जब
आपश्री का जन्म भी नहीं हुआ था
बल्कि आपके
स्वर्गीय पिताजी का विवाह भी नहीं हुआ था
और मैं ही क्यों
मेरे पिताजी भी रोज़ भोजन करते थे,
उनके पिताजी भी करते ही होंगे,
ऐसा मेरा विश्वास है
तो फिर आपने भोजन का अधिकार
किसको दिया..?
हे नेहरुकुलभूषण
आप होते कौन हैं,
हमें भोजन का अधिकार देने वाले..?
जिस परमात्मा ने जन्म दिया है
उसने हमारे भोजन का भी प्रबंध कर दिया है
बस आप तो यह ध्यान रखो कि
हमारा भोजन आपकी पार्टी वाले न खा जाएं
हे परमप्रतापी राजीवांश
आप में बहुत एनर्जी है, इसे यों जगह-जगह घूमकर
और वोटों के लिए चिल्ला-चिल्ला कर खर्च मत करो,
बल्कि जल्दी से शादी-वादी करके
किसी सुकन्या को आपके दो-चार बच्चों की मां बनने का अधिकार दे दो।
क्योंकि सत्ता तो आती जाती रहती है,
परन्तु ये जवानी का मौसम एक बार गुज़र गया
तो फिर ढूंढ़ते रह जाओगे…
मुझे इसका अच्छा खास अनुभव
हो चुका है इसलिए
हे कांग्रेसकुलगौरव
मेरा पॉलिटिक्स से कोई लेना देना नहीं है,
मैं तो स्नेहवश आपको सावधान कर रहा हूं..
क्योंकि नेहरू के बाद इंदिरा,
इंदिरा के बाद राजीव
और राजीव के बाद आप
परन्तु आपके बाद कौन ?
ज़रा अपनी परंपरा का भी ध्यान रखो..
गांधी परिवार बच्चे पैदा नहीं करेगा तो
भारत में राज करने के लिए प्रधानमंत्री बनने,
क्या आसमान से कोई फरिश्ता आयेगा..?
थोड़े में बहुत कह दिया है और मुफ्त में कह दिया है।
अगर बात पसन्द आये तो
इस बार इलेक्शन में कमल का बटन दबा देना
और नहीं आये तो कोई बात नहीं

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