लाइवलीहुड कॉलेज अर्थात कौशल उन्नयन

1
628

 

-मनोज कुमार

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से निकल कर धुर नक्सली जिला कांकेर के रास्ते में लाइवलीहुड कॉलेज का नाम लिखा पढ़ा तो एकबारगी समझ में ही नहीं आया कि यह कौन सा कॉलेज है और किस प्रकार की पढ़ाई होती है। कार अपनी र$फ्तार से चल रही थी और मन में जिज्ञासा उससे कहीं अधिक गति से। मैं जल्द से जल्द लाइवलीहुड कॉलेज के बारे में जान लेना चाहता था। तभी कार एक होटल के करीब रूकी। साथ के लोगों का ध्यान खाने-पीने में था तो मैं किसी ऐसे व्यक्ति को तलाश कर रहा था जो मुझे लाइवलीहुड कॉलेज के बारे में बता सके। इतने में देखा कि दो युवक लाइवलीहुड कॉलेज के बारे में बात कर रहे हैं। मेरी जिज्ञासा को शांत करने का इससे बेहतर अवसर नहीं मिल सकता था। मैं उन युवको के करीब गया और उनसे इस कॉलेज के बारे में पूछा तो उन्होंने तपाक से कहा-शायद आप हमारे छत्तीसगढ़ के नहीं हैं? मैंने हां में सिर हिलाया तो उन्होंने बताया कि इस लाइवलीहुड कॉलेज ने युवाओं की जिंदगी में रोमांचक बदलाव लाया है। 8-10वीं पास युवाओं से लेकर एमए,एमकाम युवाओं को इस कॉलेज में उनकी रूचि के अनुरूप विभिन्न ट्रेड में प्रशिक्षण दिया जाता है। अभी तक प्रशिक्षण के अभाव में रोजगार नहीं मिल पाता था लेकिन अब मुश्किल आसान हो गई है। अब हमारे पास रोजगार है और हम स्वयं के उद्यमी भी हैं।
युवकों से चर्चा के बाद यह तो पता चल गया कि लाइवलीहुड कॉलेज, औपचारिक शिक्षा देने वाले कॉलेजों से अलग है किन्तु इसके बारे में जब विस्तार से जानने का मौका मिला तो लगा कि छत्तीसगढ़ ने विकास के रास्ते बनाना खुद सीख लिया है। लाइवलीहुड कॉलेज मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन योजना का एक उपक्रम है। राज्य के सभी 27 जिलों में लाइवलीहुड कॉलेज की स्थापना की गई है और इन कॉलेजों में राज्य के युवाओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। मोटेतौर पर अब तक एक लाख से अधिक युवाओं को विभिन्न कार्यों का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण उपरांत कुछेक ने राज्य के उद्योगों में नौकरी प्राप्त कर ली है तो अनेक ऐसे हैं जिन्होंने स्वयं का उद्यम स्थापित कर जीवोकोपार्जन कर रहे हैं। लाइवलीहुड कॉलेज में ट्रेनिंग प्राप्त करने वालों में लडक़े और लड़कियां दोनों हैं। लाइवलीहुड कॉलेज का यह कांसेप्ट वास्तव में रोजगार की दिशा खोलने के लिए अनूठा है।
जब उद्देश्य बड़ा हो और इरादा मजबूत हो, तो कोई भी लक्ष्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। कांकेर का केशरी इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है। कल तक रेलगाड़ी में सफर करना उसके लिए सपना था, आज वही केसरी दूसरे राज्य में जाकर अपने कौशल के बूते 10-12 हजार रुपये महीना कमा रहा है। केशरी अकेला नहीं है बल्कि 70 युवाओं को अत्याधुनिक मशीनों पर प्लास्टिक टंकी, टेबल, कुर्सी, मोबाईल व अन्य प्लास्टिक से बनने वाले उत्पादों के निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया। छह महीने के प्रशिक्षण में वे अपने अपने कामों में इतना दक्ष हो गए कि तुरत-फुरत में हरियाणा की कम्पनी ने अपने पास बुला लिया।
इसी तरह लाइवलीवुड कालेज से प्रषिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार को अपनाने वाले कटघोरा विकासखण्ड के ग्राम डोंगरी का कृष्णादास महंत, विकासखंड करतला के ग्राम तरदा का नोहरलाल पटेल,विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा के ग्राम लालपुर का राजू सिंह को भी किसी बड़े उद्योग में काम मिलने का इंतजार है लेकिन अभी भी वे बेरोजगार नहीं है। इलेक्ट्रिक कामों में प्रशिक्षण प्राप्त कर विद्युत सुधार कार्य से महीने में 5 से 8 हजार रूपये की आमदनी कर रहे हैं। लोमेष कश्यप ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद स्वयं का लाइट डेकारेशन का प्रतिष्ठान स्थापित कर 7 सात हजार रूपये तक कमाई कर लेता है।

livelihood collegeभानु प्रताप लाइवलीवुड कालेज में एक माह का प्रशिक्षण लेकर विद्युत उपकरण सुधारने,वायरिंग का कार्य सीखा है। आज खुद हाउस वायरिंग का ठेका लेकर कार्य करता है। इस कार्य से 7 से 8 हजार रूपये कमाई कर लेता है।
हुनर है तो कदर है की भावना को लाइवलीहुड कालेज में चरितार्थ किया है। हुनरमंद युवा अब प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्मनिर्भरता की राह में आगे बढ़ रहे हैं। प्रशिक्षण के अभाव में जहां पहले काम के लिए भटकना पड़ता था। वहीं अब प्रशिक्षित होकर मनचाहा रोजगार प्राप्त करने में कामयाब हो रहे हैं। काम के अभाव में उसे नाउम्मीदी एवं हताशा की परछाईया से पीछे छुड़ाने में सफलता मिल रही है। यह कहना है भिलाई स्थित लाइवलीहुड कालेज में प्रशिक्षण ले रहे कुमारी अनिता मित्रा ने बताया कि वह बारहवी पास है और वह काम की तलाश में कई प्रतिष्ठानों के पास गई किन्तु उसे अप्रशिक्षित एवं अनुभव के अभाव में काम पर नहीं रखा गया। उन्होंने कौशल उन्नयन अंतर्गत अस्पताल प्रबंधन का कोर्स कर अब कोण्डागांव के प्राइवेट अस्पताल में काम कर रही है। वेतन भी अच्छा मिल रहा है और उस पैसे से वह अपने छोटे भाई की पढ़ाई का खर्च उठाने के साथ ही परिवार की जरूरत का खर्च भी वहन कर ले रही है। लाईवलीहुड कॉलेज जांजगीर में सिलाई-कढ़ाई का नि:शुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर रही 60 महिलाएं भी गणवेश सिलाई का कार्य कर रहीं है। चार माह के प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को नि:शुल्क यूनीफार्म, प्रतिदिन नि:शुल्क स्वल्पाहार प्रदान किया जा रहा है। श्रीमती सरिता महंत ने बताया कि सिलाई प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वह स्वयं का सिलाई सेंटर खोलेंगी । इसी तरह कु. राधिका सूर्यवंशी ने का कहना है कि अब वो किसी पर आश्रित नही रहेंगी बल्कि स्वयं के साथ ही दूसरे लोगों को भी रोजगार दे सकेंगी। नैला की कुमारी प्रभा ने बताया कि सिलाई सिखाने वाली निजी संस्थाओं की फीस अधिक होनें के कारण उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी। लाईवलीहुड कालेज में नि:शुल्क आवसीय प्रशिक्षण की सुविधा मिलने से उनकी यह इच्छा पूरी हो गई है।
ये लोग महज एक बानगी हैं लाईवलीहुड कॉलेज की सफलता के। पूरे राज्य में, हर जिले में और अब तहसील और विकासखंड स्तर तक लाईवलीहुड कॉलेज की चर्चा होने लगी है। राज्य सरकार युवाओं को स्वयं में आत्मनिर्भर बनाना चाहती है और केन्द्र सरकार की मंशा के अनुरूप कौशल उन्नयन का यह रास्ता एक नयी सुबह का संकेत करती है। छत्तीसगढ़ राज्य की इस नयी पहल लाईवलीहुड कॉलेज की प्रक्रिया को समझने के लिए दूसरे राज्यों के मंत्री-अधिकारी आए और वे इस कौशल उन्नयन के नए मॉडल को अपने राज्य में भी आरंभ करना चाहते हैं। नक्सली समस्या से जूझते छत्तीसगढ़ के लिए लाईवलीहुड कॉलेज एक आशा की किरण है जो स्वयं में आत्मनिर्भर बनाता है।

From WWW.PRAVAKTA.COM/SEND-ARTICLES

Previous article’इन अंखियन जस जन-गन-मन देखा’: स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद
Next articleफ़िल्मी धुनों व धार्मिक भजनों का यह ‘कॉकटेल’
मनोज कुमार
सन् उन्नीस सौ पैंसठ के अक्टूबर माह की सात तारीख को छत्तीसगढ़ के रायपुर में जन्म। शिक्षा रायपुर में। वर्ष 1981 में पत्रकारिता का आरंभ देशबन्धु से जहां वर्ष 1994 तक बने रहे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से प्रकाशित हिन्दी दैनिक समवेत शिखर मंे सहायक संपादक 1996 तक। इसके बाद स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्य। वर्ष 2005-06 में मध्यप्रदेश शासन के वन्या प्रकाशन में बच्चों की मासिक पत्रिका समझ झरोखा में मानसेवी संपादक, यहीं देश के पहले जनजातीय समुदाय पर एकाग्र पाक्षिक आलेख सेवा वन्या संदर्भ का संयोजन। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी पत्रकारिता विवि वर्धा के साथ ही अनेक स्थानों पर लगातार अतिथि व्याख्यान। पत्रकारिता में साक्षात्कार विधा पर साक्षात्कार शीर्षक से पहली किताब मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा वर्ष 1995 में पहला संस्करण एवं 2006 में द्वितीय संस्करण। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से हिन्दी पत्रकारिता शोध परियोजना के अन्तर्गत फेलोशिप और बाद मे पुस्तकाकार में प्रकाशन। हॉल ही में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित आठ सामुदायिक रेडियो के राज्य समन्यक पद से मुक्त.

1 COMMENT

  1. इन लीवलीहुड कॉलेजों से निकलनेवाले छात्रों में से ही कुशाग्र छात्रों को सरकारी उपक्रमों में लगाना चाहिए. ता की समाज का सबसे पिछली पंक्ति का आदमी लाभान्वित हो.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here