भगवान राम कृष्ण काल्पनिक नहीं थे

—विनय कुमार विनायक
अक्सर लोग कहा करते कि राम कृष्ण ब्राह्मणी कल्पना प्रसूत थे
फिर क्यों राम कृष्ण कृषक खत्ती-खत्तीय या क्षत्री-क्षत्रिय सपूत थे?
क्यों नहीं याजक ब्राह्मणों ने उन्हें कहा है अपने ब्राह्मण वर्ण के?
क्यों राम के श्वसुर और सीता के पिता जनक थे हलवाहा कर्म से?

क्यों सीता की संज्ञा हल के फाल की जोत सीत पर रखी गई थी?
क्यों जनक सुता सीता कृषक पुत्री सी खुद घर आंगन बुहारती थी?
क्यों रामानुज लक्ष्मण औ’ कृष्ण अग्रज बलराम अंश नाग शेष के?
क्यों कृष्ण कृषक गोपालक और बलराम हलधर किसान के वेश में!

क्यों कृष्ण ने वेद अवेस्ता के ईरानी देव इन्द्र की पूजा बंद कराई?
क्यों गोवर्द्धन यानि ‘गोवर धम्म वर्धन’ गोतम धम्म प्रथा चलाई?
क्यों शेषनाग क्षीरसागर में विशजन आराध्य विष्णु की पालना बने?
क्यों शेष ने नागछत्र से बालकृष्ण की रक्षा की उफनती यमुना में?

क्यों पशुपति नाथ महादेव नागों को गले का हार बनाए फिरते थे?
क्यों ये किंवदंती प्रसिद्ध है कि धरती टिकी हुई है नाग के फण पे!
क्योंकि भारत के आरंभिक निवासी ब्राह्मण नहीं नागवंशी राजन थे
नागवंशी कहलाते इक्ष्वाकु हर्यक शिशुनाग शाक्य मौर्य पद्म नंद थे!

पूरी भारतीय भूमि नागों की,भारत के आरंभिक नागरिक थे नाग ही,
मोहन जोदड़ो हडप्पा की सिन्धु सभ्यता नगर निवासी नागों की थी!
‘हाथी घोड़ा पालकी सबै भूमि गोपाल की’ये लोकोक्ति क्यों कही गई?
क्यों अन्न धन गोधन भूधन स्वर्ण धन दान कृषक वृत्ति बताई गई?

भारत में जो बाद में आए वो आक्रांता बने योद्धा व याजक जाति के,
निश्चय ही राम कृष्ण थे बुद्ध महावीर के अर्हत अरिहंत संस्कृति के!
बुद्ध के पूर्व सत्ताईस बुद्ध हुए, महावीर के पूर्व तेईस जैन तीर्थंकर थे,
वे सब नागवंशी खत्ती क्षत्रिय राजकुमार,एक भी नहीं ब्राह्मण कुमार थे!

वैदिक ब्राह्मण संस्कृति के पूर्व से ही जैन बौद्ध परंपरा चल रही थी,
श्रीकृष्ण महावीर के पूर्ववर्ती जैन तीर्थंकर अरिष्टनेमिनाथ के शिष्य थे!
सिंधुघाटी सभ्यता में आदिनाथ ऋषभदेव की वृषभ युक्त मूर्ति मिली,
ऋषभदेव तीर्थंकर महादेव शिवशंकर व कृष्ण योगेश्वर अवैदिक योगी!

राम जैन ग्रंथ बौद्ध जातक में, राम की उपस्थिति बौद्ध देशों में भी
राम की आराधना जावा सुमात्रा बाली इंडोनेशिया इस्लाम देशों में भी!
ऐसे में राम कृष्ण की ऐतिहासिकता को कभी नकारी नहीं जा सकती,
भारतवर्ष में वर्ण व्यवस्था और जातिप्रथा वैदिक ब्राह्मण धर्म से चली!

ये वैदिक ब्राह्मण धर्म बौद्ध जैन व आजीवक परंपरा में आकर मिली,
कोई वैदिक ब्राह्मण ऋषि बौद्ध जैन व चार्वाक के पूर्ववर्ती लगते नहीं!
वाल्मीकि रामायण का ऋषि वशिष्ठ विदेशी शक हूण यवन से संरक्षित
यवन सबर बर्बर के सहारे कानकुब्ज नरेश विश्वरथ को किए पराजित!

ईरानी इन्द्र प्रदत्त कामधेनु गौ के अंगों से उद्भूत शक हूण वशिष्ठ के
विदेशी आक्रांता यूनानी यवन, ईरानी शक पह्लव,चीनी कुषाण हूण थे!
बुद्ध महावीर के बाद नंद मौर्य विक्रमादित्य गुप्त के खूब बहाए खून वे
भारत था रक्तरंजित शक मग वशिष्ठ,भार्गव परशुराम के खूनी जुनून से!

वशिष्ठ परशुराम याजक थे ऐसे, जिन्हें वैदिकों ने कलि तक जीवित रखे
आबू के अग्निकुण्ड से परवर्ती मौर्य परमार राजपूत बनानेवाले वशिष्ठ थे!
वैदिक ब्राह्मणों ने इन्हें अमर अस्त्रों जैसा हर काल में इस्तेमाल किए थे
सतयुग से त्रेता तक सहस्रार्जुन सहित क्षत्रियों के हंता परशुराम कमाल के?

राम ने परशुराम को सीता स्वयंवर में किए पराजित,द्वापर में पुनर्जीवित,
क्षत्रियों के गोत्रपिता कश्यप ने परशुराम को महेंद्राचल पर किए निर्वासित!
वशिष्ठ का क्या कहना जनक पूर्वज निमि का शाप से किया था शरीरपात,
राम पूर्वज हरिश्चन्द्र पिता सत्यव्रत त्रिशंकु व कल्माषपाद से विश्वासघात!

इस तरह विप्र याजकों ने बहुत प्रयास किया क्षत्रियों पर वर्चस्व जमाने का
पर पूर्ण हुई नहीं इच्छा,नायकत्व रहा इक्ष्वाकु हैहय शाक्य कोली नागों का!
भारतवर्ष में क्षत्रिय इतिहास स्वायंभुव मनु के मनुर्भरत कुल से आरंभ हुआ
प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव से वैवस्वत मनु वंशी क्षत्रिय मूल निवासी था!
—विनय कुमार विनायक,

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