—विनय कुमार विनायक
कमल हमेशा कीचड़ में खिलता
बिना खाद पानी के हीं
मगर रुआब गुलाब से कम नहीं!
कमल प्रतीक है हिन्दू संस्कृति का,
कमल राजा है तमाम भारतीय फूलों का!
गुलाब टहनी से टूटते हीं
कुम्हला जाता कोट-टाई-बंडी में टंककर!
मगर कमल का क्या कहना
कमल पर जल ढुलकता मोती सा बनकर!
कमल और गुलाब में नहीं समानता,
कमल राष्ट्रीय फूल है देश का मांगलिक
गुलाब की पहचान खून चूसनेवालों का!
कीचड़ में उगे कमल में लक्ष्मी विराजती,
पद्मासन में बैठते सृष्टि पिता ब्रह्मा जी!
कमल की औकात अपने बलबूते की
औकात किसी की होती निजी स्थिति!
जिसकी औकात पुरानी साइकिल की थी
अब चार्टर विमान में उड़ने की नियति!
औकात जिसकी ढिबरी लालटेन की थी
वो घोटाला करके अरबों का मालिक बन बैठे,
साइकिल और लालटेन औकात बताती
उनकी जिसने सिर्फ लिया दिया कुछ नहीं!
—विनय कुमार विनायक