भाजपा के संगठनात्मक मजबूती के साथ बढ़ता मध्यप्रदेश

0
103

 संगठन ही शक्ति है ,किसी भी पार्टी का संगठनात्मक ढांचे की सफलता ही  उसके राजनितिक विकास का निर्धारण करता है।.हर पार्टी के संगठन की संरचना अलग -अलग होती है ,लेकिन सफलता उसे ही प्राप्त होती है जिसके संगठन की पहुंच समाज के आखरी व्यक्ति तक होती है ।समय के साथ संगठनात्मक संरचना में भी बदलाव हुआ है ।

विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अपनी पहचान बनाने  वाली भाजपा ने एक आनोखा प्रयोग वर्ष 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में पन्ना प्रमुख के रूप में किया था।उस समय इसकी शुरुआत 50-60 वोटरों पर एक प्रमुख की नियुक्ति के रूप में हुई थी , जो आगे चल कर पन्ना प्रुख के रूप में परिवर्तित हो गया ।मध्यप्रदेश में बूथ प्रबंधन में माहिर भाजपा एक कदम आगे जाकर काम कर रही है। पार्टी ने प्रदेश के सभी 65 हजार बूथों को तीन भागों में बांटकर बूथ की टोलियों को काम सौंपे हैं। इसके लिए प्रदेश भाजपा ने विभिन्न  विधानसभा चुनावों और  लोकसभा चुनावों को आधार बनाकर ए, बी और सी श्रेणी में बूथों को बांटा है। यह प्रयोग मप्र में भाजपा पहली बार कर रही है। इससे पहले भाजपा सभी बूथ पर एक जैसी रणनीति के साथ काम करती आई है।भाजपा ने तीन भागों में बांटे बूथों पर अलग-अलग रणनीति अपना रही है। सभी 65 हजार बूथ पर सीधे लाभ देने वाली सरकारी योजनाओं के जरिए भाजपा लोगों को जोड़ने की तैयारी कर रही है। भाजपा के बूथ प्रभारी, पन्ना प्रभारी और बूथ की टोलियों को निर्देश दिए गए हैं कि सरकार की ऐसी योजनाएं जिनमें लोगों को व्यक्तिगत फायदा मिला है, उनके लाभार्थियों तक पहुंचकर लाभ गिनाए जाएं और पार्टी के पक्ष में जोड़ा जाए। खास तौर पर संबल योजना, तीर्थ दर्शन योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, उज्ज्वला योजना, आवास योजना के हितग्राहियों को टारगेट किया जा रहा है।भाजपा के इस बूथ प्रबंधन में जातीय समीकरण को भी खासी तवज्जो दी जा रही है। यह ध्यान रखा जा रहा है कि बूथ पर जिन जाति-वर्गों के मतदाता हैं, उनका बूथ टोली में पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो।इस सामाजिक संतुलन के साथ भाजपा अपने हर बूथ जितने के लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ रही है ।

किसी भी राज्य ,संगठन या परिवार का विकास उसके मुखिया के कुशल निर्देशन  ,दूरदर्शी  दृष्टीकोण व राजनितिक इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है । मध्यप्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में प्रदेश के मुखिया के साथ केंद्र सरकार का भी बहुमूल्य योगदान है। आज प्रदेश में  किसान ,नौजवान ,दलित व शोषित वर्ग लोग सभी के बारे में सोचने वाली सरकार है ।प्रदेश के चौमुखी विकास के लिए सरकार दिन रात कार्य कर रही है ।

     मध्यप्रदेश ने केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में कार्य करते हुए आर्थिक विकास दर के नये आयाम को प्राप्त किया है . आर्थिक और वित्तीय दृष्टि से मध्यप्रदेश में हर क्षेत्र में प्रगति है। राजस्व संग्रहण भी बढ़ा है । पूँजीगत व्यय में भी वृद्धि हुई है । प्रदेश की औद्योगिक विकास दर भी बढ़ी है ।प्रदेश की आर्थिक वृद्धि दर अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2022-23 में 16.43 प्रतिशत है . इसके पहले 2021-22 में कोविड की परिस्थतियों के बावजूद यह वृद्धि दर 18.02 प्रतिशत थी। वर्ष 2001-02 में यह मात्र 4.43 प्रतिशत थी ।इस वर्ष राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 13 लाख 22 हजार 821 करोड़ रूपए होने का अनुमान है।यह वर्ष 2001-02 में 71 हजार 594 करोड़ रूपए था  ।इस प्रकार सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में तब और अब में 18 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है ।वर्ष 2022-23 में मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति आय एक लाख 40 हजार 583 रूपए होने का अनुमान लगया है ।जो वर्ष 2011-12 में प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ कर 38 हजार 497 रूपये हुई थी। इसके पहले वर्ष 2001-02 में मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 11 हजार 718 रूपए थी ।ऋण और जीएसडीपी अनुपात की चर्चा करें, तो इस क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश का प्रदर्शन अच्छा है। ताजा आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि वर्ष 2005 में जो ऋण जीएसडीपी अनुपात 39.5 प्रतिशत था वह वर्ष 2020-21 में 22.6 प्रतिशत रहा । राज्य का पूँजीगत व्यय 37 हजार 89 से बढ़ कर अब 45 हजार 685 करोड़ रूपये हो गया है ।यह वृद्धि 23.18 प्रतिशत है और राज्य के इतिहास में सर्वाधिक पूँजीगत व्यय है। कोविड की परिस्थितियों में भी राज्य के राजस्व को बढ़ाने का प्रयास करते हुए आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के विजन के साथ कार्य किया गया ।गत तीन वर्ष में यह प्रतिवर्ष 7.94 प्रतिशत के कम्पाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) से बढ़ा है ।राजकोषीय समेकन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में निरंतर राजस्व बढ़ाने का कार्य हुआ है । प्रायोरिटी सेक्टर लैंडिंग के विस्तार का कार्य भी हुआ है।

किसानों के ऋण में 13.41 प्रतिशत और एमएसएमई क्षेत्र में 30.22 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2001-02 में कृषि विकास दर सिर्फ तीन प्रतिशत थी, जो अब 19 प्रतिशत हो गई है। राज्य ने वर्ष 2013-14 में 174.8 लाख टन की तुलना में वर्ष 2022-23 के अग्रिम अनुमान में 352.7 लाख टन गेहूँ उत्पादन की सफलता और गेहूँ के निर्यात में मध्यप्रदेश की 46 प्रतिशत भागीदारी की उपलब्धि भी अर्जित की है . धान की पैदावार 53.2 लाख से बढ़ कर 131.8 लाख टन हो गई है।

औद्योगिक विकास दर, जो वर्ष 2001-02 में महज 0.61 प्रतिशत थी, अब बढ़ कर 24 प्रतिशत है । स्ट्रीट वेण्डर्स के कल्याण का कार्य भी प्रदेश में बखूबी किया गया है ।मध्यप्रदेश सवा 5 लाख शहरी इलाकों के लघु व्यवसायियों (स्ट्रीट वेण्डर्स) को 521 करोड़ से ज्यादा राशि का ऋण देकर देश में सबसे आगे है। सिंचाई क्षमता 585 प्रतिशत बढ़ी है. वर्ष 2003 सिंचाई क्षमता 7 लाख 50 हजार हेक्टेयर थी, जो अब 45 लाख हेक्टेयर से अधिक है।किसनों के आय दुगुनी करने की लिए सरकार ने लगभग चार लाख किसान जिनके द्वारा बैंक से लिए कर्ज को समय पर न जमा करने के कारण डिफाल्टर हो चुके है ,उन्हें राहत देते हुए उनके व्याज को माफ़ करने का निर्णय लिया है ।इससे किसान आसानी से कर्ज को जमा कर सके ।

महिलाओ के विकास के लिए भी प्रदेश सरकार ने कई कार्य योजनाये संचालित की है ,जिनमे हाल ही में संचालित  मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना प्रमुख  है।इस खास योजना का लक्ष्य राज्य की महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना और उनके स्वास्थ्य में सुधार करना है।इसके साथ ही पारिवारिक निर्णयों में महिलाओं के प्रभाव को बढ़ाना भी इस योजना का उद्देश्य है । राज्य की करीब 1 करोड़ महिलाओं को इसके जरिए लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

     मध्यप्रदेश की खुशिहाली के लिए प्रदेश सरकार के साथ–साथ केंद्र सराकर भी कंधे से कन्धा मिला कर कार्य रही है ।चाहे जनजातीय समुदाय  के लिए विकास की बात हो या फिर उनके साक्षरता दर को ऊपर बढ़ाने की बात हो,हर क्षेत्र में सरकार लगातार आपेक्षित कार्य कर रही है। स्वच्छता के क्षेत्र में भी सरकार ने नया कीर्तमान स्थापित किया है. प्रदेश के सबसे घनी आबादी वाले महानगरो में से एक ‘इंदौर ‘ ने स्वच्छता इंडेक्स में पहला स्थान प्राप्त किया है । केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओ में से एक धार्मिक कारिडोर को भी प्रदेश सरकार ने उज्जैन में महाकालेश्वर कारिडोर के रूप में विकशित कर धार्मिक व पर्यटन के क्षेत्र में एक अलौकिक कार्य किया है ।केंद्र व राज्य सरकर के आपसी समन्वय से ही आज मध्यप्रदेश एक विकशित प्रदेश के रूप में आगे बढ़ रहा है ।

                                                                नीतेश राय

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here