जन-जागरण

मन की बात, अब देश की आवाज है

man ki batआखिर मोदी चाहते क्या है ? इस बात को लेकर विचार कांति के सारे पुर्जे अब चलायमान हो गये है। कंाग्रेस ने तो मान लिया है कि इसका तोड उनके पास नही है और जिस तरह से बडे नेताओं में अपना चेहरा चैनलों पर दिखाने की होड लगी है उससे तो यही प्रतीत होता है कि मोदी के ब्रहमास्त्र का जबाब उनके पास नही है। एक मात्र उपलब्धि जो कि उनके खाते में है भूमि अधिग्रहण की, वह भी इसलिये है कि राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नही है लेकिन जैसे ही समय बदलेगा , भूमि अधिग्रहण का जश्न औधें मुंह गिर जायेगा। अब तक जो सबसे ज्यादा चर्चित पक्ष मोदी का रहा ,वह था मन की बात का , जिसे लेकर न्यायालय तक के चक्कर विरोधियों ने लगाये लेकिन कुछ बात नही मानी गयी। वह भी बेकार गयी और मन की बात का रूतबा और बढ गया बल्कि अब तो लोग जो इसपर ध्यान नही देते थे, उनको भी लगने लगा कि जरूर इस कार्यक्रम में एैसा कुछ है कि रोक लगाने की बात की जा रही है।
इस देश ने इस कार्यक्रम के जरिये कही गयी बातों को सराखों पर बिठाया है। चाहे मोदी की अपील स्वच्छता के लिये हो , गैस सिलेंडर की सब्सिडी छोडने को लेकर , सडक सुरक्षा को लेकर , बेटियों का बचाओ को लेकर , सेल्फी को लेकर , पर्यटन को लेकर , उनके अनुभवों को लेकर , योग के आयामों को लेकर , आयुष अपनाने को लेकर , खादी अपनाने को लेकर जो बाते कही उसे लोगों ने माना , अच्छा रिस्पांस दिया । इतना ही नही जन धन योजना को लेकर जो रिस्पांस दिखा उसे मोदी का ही जादू कहा जा सकता हॅै। कुछ भी हो यह भी सच है कि मोदी ने जो कहा उससे कहीं लोगों ने उन्हें करके दिखाया । यही कारण है कि आज पूरी दुनिया कहती है कि भारत का प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी नही भारत का बांड एम्बेसडर है जिसे इंकार करने की हिम्मत किसी भी देश में नही है।
सबसे खास बात यह है मोदी देश के पहले एैसे प्रधानमंत्री है जो अपने मन की बात लोगों से शेयर करते है। अमूनन प्रधानमंत्री के पास इतना समय कहां होता है कि वह किसी की चिठ्ठी पतरी पढे लेकिन जब उन्होने मन की बात में हरियाणा के प्रधान की चिट्ठी व सेल्फी की बात की तो लगा कि वह इस पर पैनी नजर भी रखते है। यही कारण है कि बेटियांे के साथ सेल्फी की विचारधारा पनपी और देश का हर वर्ग सोशल मीडिया पर इस काम में जुटा है। मोदी जी ने इतना ही नही किया उन्होनें सैनिको की समस्या, सुभाष चन्द्र बोस से जुडी चीजें व उनके परिवार का आथ्तिय अनुभव भी मन की बात में शेयर किया जिससे लोगों में प्रधानमंत्री के प्रति विश्वास बढा।
मोदी जी ने पिछले दिनों मन की बात में क्या बातें प्रमुख रूप् से कही उनके कुछ अंश प्रस्तुत किये जा रहें है जिन्हें देश ने सराखों पर बिठाया है।
संस्कारों को बच्चों में पिरोये
मेरे प्यारे देशवासियो, भूकंप की भयंकर घटना ने मुझे बहुत विचलित कर दिया था। मन बात करना नहीं चाहता था फिर भी मन की बात की थी। आज जब मैं मन की बात कर रहा हूं, तो चारों तरफ भयंकर गर्म हवा, गर्मी, परेशानियां उसकी खबरें आ रही हैं। मेरी आप सब से प्रार्थना है कि इस गर्मी के समय हम अपना तो ख्याल रखें… हमें हर कोई कहता होगा बहुत ज्यादा पानी पियें, शरीर को ढक कर के रखें… लेकिन मैं आप से कहता हूं, हम अपने अगल-बगल में पशु-पक्षी की भी दरकार करें। ये अवसर होता है परिवार में बच्चों को एक काम दिया जाये कि वो घर के बाहर किसी बर्तन में पक्षियों को पीने के लिए पानी रखें, और ये भी देखें वो गर्म ना हो जाये। आप देखना परिवार में बच्चों के अच्छे संस्कार हो जायेंगें। और इस भयंकर गर्मी में पशु-पक्षियों की भी रक्षा हो जाएगी।
परीक्षा परिणामों पर बधाई,की खुशामद
ये मौसम एक तरफ गर्मी का भी है, तो कहीं खुशी कहीं गम का भी है। एग्जाम देने के बाद जब तक नतीजे नहीं आते तब तक मन चैन से नहीं बैठता है। अब सी.बी.एस.ई., अलग-अलग बोर्ड एग्जाम और दूसरे एग्जाम पास करने वाले विद्यार्थी मित्रों को अपने नतीजे मिल गये हैं। मैं उन सब को बधाई देता हूं। बहुत बहुत बधाई। मेरे मन की बात की सार्थकता मुझे उस बात से लगी कि जब मुझे कई विद्यार्थियों ने ये जानकारी दी, नतीजे आने के बाद कि एग्जाम के पहले आपके मन की बात में जो कुछ भी सुना था, एग्जाम के समय मैंने उसका पूरी तरह पालन किया था और उससे मुझे लाभ मिला। खैर, दोस्तो आपने मुझे ये लिखा मुझे अच्छा लगा। लेकिन आपकी सफलता का कारण कोई मेरी एक मन की बात नहीं है… आपकी सफलता का कारण आपने साल भर कडी मेहनत की है, पूरे परिवार ने आपके साथ जुड करके इस मेहनत में हिस्सेदारी की है। आपके स्कूल, आपके टीचर, हर किसी ने प्रयास किया है। लेकिन आपने अपने आप को हर किसी की अपेक्षा के अनुरूप ढाला है। मन की बात, परीक्षा में जाते-जाते समय जो टिप मिलती है न, वो सभी प्रकार की थी। लेकिन मुझे आनंद इस बात का आया कि हां, आज मन की बात का कैसा उपयोग है, कितनी सार्थकता है। मुझे खुशी हुई। मैं जब कह रहा हूं कहीं गम, कहीं खुशी… बहुत सारे मित्र हैं जो बहुत ही अच्छे मार्क्स से पास हुए होंगे। कुछ मेरे युवा मित्र पास तो हुए होंगे, लेकिन हो सकता है मार्क्स कम आये होंगे। और कुछ ऐसे भी होंगे कि जो विफल हो गये होंगे।
जोे कुछ बनूं सीखूं देश के लिये
उन्होनें कहा कि जो उत्तीर्ण हुए हैं उनके लिए मेरा इतना ही सुझाव है कि आप उस मोड पर हैं जहां से आप अपने कैरियर का रास्ता चुन रहे हैं। अब आपको तय करना है आगे का रास्ता कौन सा होगा। और वो भी, किस प्रकार के आगे भी इच्छा का मार्ग आप चुनते हैं उसपर निर्भर करेगा। आम तौर पर ज््यादातर विद्यार्थियों को पता भी नहीं होता है क्या पढना है, क्यों पढना है, कहां जाना है, लक्ष्य क्या है। ज््यादातर अपने सराउंन्डिंग में जो बातें होती हैं, मित्रों में, परिवारों में, यार-दोस्तों में, या अपने मां-बाप की जो कामनायें रहती हैं, उसके आस-पास निर्णय होते हैं। अब जगत बहुत बडा हो चुका है। विषयों की भी सीमायें नहीं हैं, अवसरों की भी सीमायें नहीं हैं। आप जरा साहस के साथ आपकी रूचि, प्रकृति, प्रवृत्ति के हिसाब से रास्ता चुनिए। प्रचलित मार्गों पर ही जाकर के अपने को खींचते क्यों हो? कोशिश कीजिये। और आप खुद को जानिए और जानकर के आपके भीतर जो उत्तम चीजें हैं, उसको संवारने का अवसर मिले, ऐसी पढाई के क्षेत्र क्यों न चुनें? लेकिन कभी ये भी सोचना चाहिये, कि मैं जो कुछ भी बनूंगा, जो कुछ भी सीखूंगा, मेरे देश के लिए उसमें काम आये ऐसा क्या होगा?
म्यूजियम बनाने की वकालत की
बहुत सी जगहें ऐसी हैं… आपको हैरानी होगी… विश्व में जितने म्यूज्यिम बनते हैं, उसकी तुलना में भारत में म्यूज्यिम बहुत कम बनते हैं। और कभी-कभी इस म्यूज्यिम के लिए योग्य व्यक्तियों को ढूंढना भी बडा मुश्किल हो जाता है। क्योंकि परंपरागत रूप से बहुत पॉपुलर क्षेत्र नहीं है। खैर, मैं कोई, कोई एक बात पर आपको खींचना नहीं चाहता हूं। लेकिन, कहने का तात्पर्य है कि देश को उत्तम शिक्षकों की जरूरत है तो उत्तम सैनिकों की भी जरूरत है, उत्तम वैज्ञानिकों की जरूरत है तो उत्तम कलाकार और संगीतकारों की भी आवश्यकता है। खेल-कूद कितना बडा क्षेत्र है, और खिलाडियों के सिवाय भी खेल कूद जगत के लिए कितने उत्तम ह्यूमन रिसोर्स की आवश्यकता होती है। यानी इतने सारे क्षेत्र हैं, इतनी विविधताओं से भरा हुआ विश्व है। हम जरूरत प्रयास करें, साहस करें। आपकी शक्ति, आपका सामर्थ्य, आपके सपने देश के सपनों से भी मेलजोल वाले होने चाहिये। ये मौका है आपको अपनी राह चुनने का।
विफलता सफलता का शिलान्यास करता है
जो विफल हुए हैं, उनसे मैं यही कहूंगा कि जिन्दगी में सफलता विफलता स्वाभाविक है। जो विफलता को एक अवसर मानता है, वो सफलता का शिलान्यास भी करता है। जो विफलता से खुद को विफल बना देता है, वो कभी जीवन में सफल नहीं होता है। हम विफलता से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। और कभी हम ये क्यों न मानें, कि आज की आप की विफलता आपको पहचानने का एक अवसर भी बन सकती है, आपकी शक्तियों को जानने का अवसर बन सकती है? और हो सकता है कि आप अपनी शक्तियों को जान करके, अपनी ऊर्जा को जान करके एक नया रास्ता भी चुन लें।
मुझे हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति श्रीमान ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी की याद आती है। उन्होंने अपनी किताब ‘माई जर्नी दृ ट्रांस्फोर्मिंग ड्रीम्स इनटू एक्शन’, उसमें अपने जीवन का एक प्रसंग लिखा है। उन्होंने कहा है कि मुझे पायलट बनने की इच्छा थी, बहुत सपना था, मैं पायलट बनूं। लेकिन जब मैं पायलट बनने गया तो मैं फेल हो गया, मैं विफल हो गया, नापास हो गया। अब आप देखिये, उनका नापास होना, उनका विफल होना भी कितना बडा अवसर बन गया। वो देश के महान वैज्ञानिक बन गये। राष्ट्रपति बने। और देश की आण्विक शक्ति के लिए उनका बहुत बडा योगदान रहा। और इसलिये मैं कहता हूं दोस्तो, कि विफलता के बोझ में दबना मत। विफलता भी एक अवसर होती है। विफलता को ऐसे मत जाने दीजिये। विफलता को भी पकडकर रखिये। ढूंढिए।
विश्वास जगाने का प्रयास कीजिये
उन्होनें कहा कि विफलता के बीच भी आशा का अवसर समाहित होता है। और मेरी खास आग्रहपूर्वक विनती है मेरे इन नौजवान दोस्तों को, और खास करके उनके परिवारजनों को, कि बेटा अगर विफल हो गया तो माहौल ऐसा मत बनाइये की वो जिन्दगी में ही सारी आशाएं खो दे। कभी-कभी संतान की विफलता मां-बाप के सपनों के साथ जुड जाती है और उसमें संकट पैदा हो जाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिये। विफलता को पचाने की ताकत भी तो जिन्दगी जीने की ताकत देती है। मैं फिर एक बार सभी मेरे सफल युवा मित्रों को शुभकामनाएं देता हूं। और विफल मित्रों को अवसर ढूंढने का मौका मिला है, इसलिए भी मैं इसे शुभकामनाएं ही देता हूं। आगे बढने का, विश्वास जगाने का प्रयास कीजिये।
पूरे देश ने सरकार के काम का बारीकी से विश्लेषण किया,
पिछली मन की बात और आज जब मैं आपके बीच बात कर रहा हूं, इस बीच बहुत सारी बातें हो गईं। मेरी सरकार का एक साल हुआ, पूरे देश ने उसका बारीकी से विश्लेषण किया, आलोचना की और बहुत सारे लोगों ने हमें डिस्टिंक्शन मार्क्स भी दे दिए। वैसे लोकतंत्र में ये मंथन बहुत आवश्यक होता है, पक्ष-विपक्ष आवश्यक होता है। क्या कमियां रहीं, उसको भी जानना बहुत जरूरत होता है। क्या अच्छाइयां रहीं, उसका भी अपना एक लाभ होता है। लेकिन मेरे लिए इससे भी ज््यादा गत महीने की दो बातें मेरे मन को आनंद देती हैं। हमारे देश में गरीबों के लिए कुछ न कुछ करने की मेरे दिल में हमेशा एक तडप रहती है। नई-नई चीजें सोचता हूं, सुझाव आये तो उसको स्वीकार करता हूं। हमने गत मास प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, अटल पेंशन योजना सामाजिक सुरक्षा की तीन योजनाओं को लॉन्च किया। उन योजनाओं को अभी तो बीस दिन नहीं हुए हैं, लेकिन आज मैं गर्व के साथ कहता हूं… शायद ही हमारे देश में, सरकार पर भरोसा करके, सरकार की योजनाओं पर भरोसा करके, इतनी बडी मात्रा में सामान्य मानवी उससे जुड जाये… मुझे ये बताते हुए खुशी होती है कि सिर्फ बीस दिन के अल्प समय में आठ करोड बावन लाख से अधिक लोगों ने इन योजनाओं में अपना नामांकन करवा दिया, योजनाओं में शरीक हो गये। सामाजिक सुरक्षा की दिशा में ये हमारा बहुत अहम कदम है। और उसका बहुत लाभ आने वाले दिनों में मिलने वाला है।
बीमा का प्लान अपनाये
जिनके पास अब तक ये बात न पहुंची हो उनसे मेरा आग्रह है कि आप फायदा उठाइये। कोई सोच सकता है क्या, महीने का एक रुपया, बारह महीने के सिर्फ बारह रुपये, और आप को सुरक्षा बीमा योजना मिल जाये। जीवन ज्योति बीमा योजना – रोज का एक रुपये से भी कम, यानी साल का तीन सौ तीस रुपये। मैं इसीलिए कहता हूं कि गरीबों को औरों पर आश्रित न रहना पडे। गरीब स्वयं सशक्त बने। उस दिशा में हम एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं। और मैं तो एक ऐसी फौज बनाना चाहता हूं, और फौज भी मैं गरीबों में से ही चुनना चाहता हूं। और गरीबों में से बनी हुई मेरी ये फौज, गरीबी के खिलाफ लडाई लडेगी, गरीबी को परास्त करेगी। और देश में कई वर्षों का हमारे सर पर ये बोझ है, उस गरीबी से मुक्ति पाने का हम निरंतर प्रयास करते रहेंगे और सफलता पायेंगे।
मुझे किसान टीवी चैनल से आनंद आ रहा
दूसरी एक महत्वपूर्ण बात जिससे मुझे आनंद आ रहा है, वो है किसान टीवी चैनल। वैसे तो देश में टीवी चैनेलों की भरमार है, क्या नहीं है, कार्टून की भी चैनलें चलती हैं, स्पोर्ट्स की चैनल चलती हैं, न्यूज की चलती है, एंटरटेनमेंट की चलती हैं। बहुत सारी चलती हैं। लेकिन मेरे लिए किसान चैनल महत्वपूर्ण इसलिए है कि मैं इससे भविष्य को बहुत भली भांति देख पाता हूं। मेरी दृष्टि में किसान चैनल एक खेत खलियान वाली ओपन यूनिवर्सिटी है। और ऐसी चैनल है, जिसका विद्यार्थी भी किसान है, और जिसका शिक्षक भी किसान है। उत्तम अनुभवों से सीखना, परम्परागत कृषि से आधुनिक कृषि की तरफ आगे बढना, छोटे-छोटे जमीन के टुकडे बचे हैं। परिवार बडे होते गए, जमीन का हिस्सा छोटा होता गया, और तब हमारी जमीन की उत्पादकता कैसे बढे, फसल में किस प्रकार से परिवर्तन लाया जाए – इन बातों को सीखना-समझना जरूरी है। अब तो मौसम को भी पहले से जाना जा सकता है। ये सारी बातें लेकर के, ये टी० वी० चैनल काम करने वाली है और मेरे किसान भाइयों-बहिनों, इसमें हर जिले में किसान मोनिटरिंग की व्यवस्था की गयी है। आप उसको संपर्क जरूर करें।
मछुआरों से की अपील किसान चैनल से जुडे
मेरे मछुवारे भाई-बहनों को भी मैं कहना चाहूंगा, मछली पकडने के काम में जुडे हुए लोग, उनके लिए भी इस किसान चैनल में बहुत कुछ है, पशुपालन भारत के ग्रामीण जीवन का परम्परागत काम है और कृषि में एक प्रकार से सहायक होने वाला क्षेत्र है, लेकिन दुनिया का अगर हिसाब देखें, तो दुनिया में पशुओं की संख्या की तुलना में जितना दूध उत्पादन होता है, भारत उसमें बहुत पीछे है। पशुओं की संख्या की तुलना में जितना दूध उत्पादन होना चाहिए, उतना हमारे देश में नहीं होता है। प्रति पशु अधिक दूध उत्पादन कैसे हो, पशु की देखभाल कैसे हो, उसका लालन-पालन कैसे हो, उसका खान पान क्या हो – परम्परागत रूप से तो हम बहुत कुछ करते हैं, लेकिन वैज्ञानिक तौर तरीकों से आगे बढना बहुत जरूरी है और तभी जा करके कृषि के साथ पशुपालन भी आर्थिक रूप से हमें मजबूती दे सकता है, किसान को मजबूती दे सकता है, पशु पालक को मजबूती दे सकता है। हम किस प्रकार से इस क्षेत्र में आगे बढें, किस प्रकार से हम सफल हो, उस दिशा में वैज्ञानिक मार्गदर्शन आपको मिले।
योग दिवस पर बोले
उन्होने कहा कि मेरे प्यारे देश वासियों! याद है 21 जून ? वैसे हमारे इस भू-भाग में 21 जून को इसलिए याद रखा जाता है कि ये सबसे लंबा दिवस होता है। लेकिन 21 जून अब विश्व के लिए एक नई पहचान बन गया है। गत सितम्बर महीने में यूनाइटेड नेशन्स में संबोधन करते हुए मैंने एक विषय रखा था और एक प्रस्ताव रखा था कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग-दिवस के रूप में मनाना चाहिए। और सारे विश्व को अचरज हो गया, आप को भी अचरज होगा, सौ दिन के भीतर भीतर एक सौ सतत्तर देशों के समर्थन से ये प्रस्ताव पारित हो गया, इस प्रकार के प्रस्ताव ऐसा यूनाइटेड नेशन्स के इतिहास में, सबसे ज्यादा देशों का समर्थन मिला, सबसे कम समय में प्रस्ताव पारित हुआ, और विश्व के सभी भू-भाग, इसमें शरीक हुए, किसी भी भारतीय के लिए, ये बहुत बडी गौरवपूर्ण घटना है। लेकिन अब जिम्मेवारी हमारी बनती है। क्या कभी सोचा था हमने कि योग विश्व को भी जोडने का एक माध्यम बन सकता है ? वसुधैव कुटुम्बकम की हमारे पूर्वजों ने जो कल्पना की थी, उसमें योग एक कैटलिटिक एजेंट के रूप में विश्व को जोडने का माध्यम बन रहा है। कितने बडे गर्व की,खुशी की बात है। लेकिन इसकी ताकत तो तब बनेगी जब हम सब बहुत बडी मात्रा में योग के सही स्वरुप को, योग की सही शक्ति को, विश्व के सामने प्रस्तुत करें। योग दिल और दिमाग को जोडता है, योग रोगमुक्ति का भी माध्यम है, तो योग भोगमुक्ति का भी माध्यम है और अब तो में देख रहा हूं, योग शरीर मन बुद्धि को ही जोडने का काम करे, उससे आगे विश्व को भी जोडने का काम कर सकता है।
योग दिवस मनाये , जन जन तक पहुचंये
हम क्यों न इसके एम्बेसेडर बने! हम क्यों न इस मानव कल्याण के लिए काम आने वाली, इस महत्वपूर्ण विद्या को सहज उपलब्ध कराएं। हिन्दुस्तान के हर कोने में 21 जून को योग दिवस मनाया जाए। आपके रिश्तेदार दुनिया के किसी भी हिस्से में रहते हों, आपके मित्र परिवार जन कहीं रहते हो, आप उनको भी टेलीफोन करके बताएं कि वे भी वहां लोगो को इकट्ठा करके योग दिवस मनायें। अगर उनको योग का कोई ज्ञान नहीं है तो कोई किताब लेकर के, लेकिन पढकर के भी सबको समझाए कि योग क्या होता है। एक पत्र पढ लें, लेकिन मैं मानता हूं कि हमने योग दिवस को सचमुच में विश्व कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, मानव जाति के कल्याण के रूप में और तनाव से जिन्दगी से गुजर रहा मानव समूह, कठिनाइयों के बीच हताश निराश बैठे हुए मानव को, नई चेतना, ऊर्जा देने का सामर्थ योग में है।मैं चाहूंगा कि विश्व ने जिसको स्वीकार किया है, विश्व ने जिसे सम्मानित किया है, विश्व को भारत ने जिसे दिया है, ये योग हम सबके लिए गर्व का विषय बनना चाहिए। अभी तीन सप्ताह बाकी है आप जरूर प्रयास करें, जरूर जुडे और औरों को भी जोडें, ये मैं आग्रह करूंगा।
सेना के लोगों के लिये पेशन पर बात की
मैं एक बात और कहना चाहूंगा खास करके मेरे सेना के जवानों को, जो आज देश की सुरक्षा में जुटे हुए उनको भी और जो आज सेना से निवृत्त हो करके अपना जीवन यापन कर रहे, देश के लिए त्याग तपस्या करने वाले जवानों को, और मैं ये बात एक प्रधानमन्त्री के तौर पर नहीं कर रहा हूं। मेरे भीतर का इंसान, दिल की सच्चाई से, मन की गहराई से, मेरे देश के सैनिकों से मैं आज बात करना चाहता हूं। वन-रैंक, वन-पेंशन, क्या ये सच्चाई नहीं हैं कि चालीस साल से सवाल उलझा हुआ है? क्या ये सच्चाई नहीं हैं कि इसके पूर्व की सभी सरकारों ने इसकी बातें की, किया कुछ नहीं? मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। मैंने निवृत्त सेना के जवानों के बीच में वादा किया है कि मेरी सरकार वन-रैंक, वन-पेंशन लागू करेगी। हम जिम्मेवारी से हटते नहीं हैं और सरकार बनने के बाद, भिन्न-भिन्न विभाग इस पर काम भी कर रहे हैं। मैं जितना मानता था उतना सरल विषय नहीं हैं, पेचीदा है, और चालीस साल से उसमें समस्याओं को जोडा गया है। मैंने इसको सरल बनाने की दिशा में, सर्वस्वीकृत बनाने की दिशा में, सरकार में बैठे हुए सबको रास्ते खोजने पर लगाया हुआ है। पल-पल की खबरें मीडिया में देना जरूरी नहीं होता है। इसकी कोई रनिंग कमेंट्री नहीं होती है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं यही सरकार, मैं फिर से कहता हूं – यही सरकार आपका वन-रैंक, वन-पेंशन का मसला, सोल्यूशन लाकर के रहेगी – और जिस विचारधारा में पलकर हम आए हैं , जिन आदर्शों को लेकर हम आगे बढें हैं, उसमें आपके जीवन का महत्व बहुत है।
सैनिको से अपील किया कि सावधान रहें।
मेरे लिए आपके जीवन के साथ जुडना आपकी चिंता करना ये सिर्फ न कोई सरकारी कार्यक्रम है, न ही कोई राजनितिक कार्यक्रम है, मेरे राष्ट्रभक्ति का ही प्रकटीकरण है। मैं फिर एक बार मेरे देश के सभी सेना के जवानों को आग्रह करूंगा कि राजनैतिक रोटी सेंकने वाले लोग चालीस साल तक आपके साथ खेल खेलते रहे हैं। मुझे वो मार्ग मंजूूर नहीं है, और न ही मैं कोई ऐसे कदम उठाना चाहता हूं, जो समस्याओं को जटिल बना दे। आप मुझ पर भरोसा रखिये, बाकी जिनको बातें उछालनी होंगी, विवाद करने होंगे, अपनी राजनीति करनी होगी, उनको मुबारक। मुझे देश के लिए जीने मरने वालों के लिए जो कर सकता हूं करना है – ये ही मेरे इरादे हैं, और मुझे विश्वास है कि मेरे मन की बात जिसमें सिवाय सच्चाई के कुछ नहीं है, आपके दिलों तक पहुंचेगी। चालीस साल तक आपने धैर्य रखा है – मुझे कुछ समय दीजिये, काम करने का अवसर दीजिये, और हम मिल बैठकर के समस्याओं का समाधान करेंगे। ये मैं फिर से एक बार देशवासियों को विश्वास देता हूं।
छुट्टियों को पर्यटन से जोडा
छुट्टियों के दिनों में सब लोग कहीं न कहीं तो गए होंगे। भारत के अलग-अलग कोनों में गए होंगे। हो सकता है कुछ लोग अब जाने का कार्यक्रम बनाते होंगे। स्वाभाविक है ‘सीईंग इज बिलीविंग’ – जब हम भ्रमण करते हैं, कभी रिश्तेदारों के घर जाते हैं, कहीं पर्यटन के स्थान पर पहुंचते हैं। दुनिया को समझना, देखने का अलग अवसर मिलता है। जिसने अपने गांव का तालाब देखा है, और पहली बार जब वह समुन्दर देखता है, तो पता नहीं वो मन के भाव कैसे होते हैं, वो वर्णन ही नहीं कर सकता है कि अपने गांव वापस जाकर बता ही नहीं सकता है कि समुन्दर कितना बडा होता है। देखने से एक अलग अनुभूति होती है।
अनुभवों को पिरोये
आप छुट्टियों के दिनों में अपने यार दोस्तों के साथ, परिवार के साथ कहीं न कहीं जरूर गए होंगे, या जाने वाले होंगे। मुझे मालूम नहीं है आप जब भ्रमण करने जाते हैं, तब डायरी लिखने की आदत है कि नहीं है। लिखनी चाहिए, अनुभवों को लिखना चाहिए, नए-नए लोगों से मिलते हैं तो उनकी बातें सुनकर लिखना चाहिए, जो चीजें देखी हैं, उसका वर्णन लिखना चाहिए, एक प्रकार से अन्दर, अपने भीतर उसको समावेश कर लेना चाहिए। ऐसी सरसरी नजर से देखकर के आगे चले जाएं ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये भ्रमण अपने आप में एक शिक्षा है। हर किसी को हिमालय में जाने का अवसर नहीं मिलता है, लेकिन जिन लोगों ने हिमालय का भ्रमण किया है और किताबें लिखी हैं उनको पढोगे तो पता चलेगा कि क्या आनन्ददायक यात्राओं का वर्णन उन्होंने किया है।
यात्रा के अनुभव शेयर करें
मैं ये तो नहीं कहता हूं कि आप लेखक बनें! लेकिन भ्रमण की खातिर भ्रमण ऐसा न होते हुए हम उसमें से कुछ सीखने का प्रयास करें, इस देश को समझने का प्रयास करें, देश को जानने का प्रयास करें, उसकी विविधताओं को समझें। वहां के खान पान कों, पहनावे, बोलचाल, रीतिरिवाज, उनके सपने, उनकी आकांक्षाएं, उनकी कठिनाइयां, इतना बडा विशाल देश है, पूरे देश को जानना समझना है – एक जनम कम पड जाता है, आप जरूर कहीं न कहीं गए होंगे, लेकिन मेरी एक इच्छा है, इस बार आप यात्रा में गए होंगे या जाने वाले होंगे। क्या आप अपने अनुभव को मेरे साथ शेयर कर सकते हैं क्या? सचमुच में मुझे आनंद आएगा। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप इन्क्रेडिबल इंडिया हैश टैग, इसके साथ मुझे अपनी फोटो, अपने अनुभव जरूर भेजिए और उसमें से कुछ चीजें जो मुझे पसंद आएंगी मैं उसे आगे औरों के साथ शेयर करूंगा। देखें तो सही आपके अनुभवों को, मैं भी अनुभव करूं, आपने जो देखा है, मैं उसको दूर बैठकर के देखूं। जिस प्रकार से आप समुद्रतट पर जा करके अकेले जा कर टहल सकते हैं, मैं तो नहीं कर पाता अभी, लेकिन मैं चाहूंगा आपके अनुभव जानना और आपके उत्तम अनुभवों को, मैं सबके साथ शेयर करूंगा।
रक्षाबंधन पर बोले कि बीमा कराकर बहनों को तोहफा दें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से लेकर, मॉनसून, साफ-सफाई, सुरक्षा योजनाएं और बेटी बचाओ तक कई मुद्दों को छुआ। पीएम ने कहा, रक्षाबंधन के त्योहार के मौके पर 12 रुपये वाली या 330 रुपये वाली जन सुरक्षा योजनाएं जीवनभर के लिए अपनी बहनों को गिफ्ट दे सकते हैं।
खुशिया जताकर मनोबल बढाया
पीएम ने इंक्रेडिबल इंडिया हैशटैग पर मिले जबरदस्त रिस्पॉन्स पर खुशी जताई। उन्होंने कहा आप लोगों ने एक से बढ़कर एक लाखों फोटो भेजे। पीएम ने कहा, मैं कह सकता हूं कि, एक से बढकर एक दृश्य देखने को मिले, भारत कितनी विविधताओं से भरा हुआ है। स्थापत्य हो, कला हो, प्रकृति हो, झरने हों, पहाड हों, नदी हो, समुद्र हों। शायद भारत सरकार ने कभी सोचा नहीं होगा कि टूरिज्म की दृष्टि से, लोग इतना बडा काम कर सकते हैं, जो आप लोगों ने किया है। और कुछ तो मुझे भी इतना भा गए कि मैंने भी उसको तम-जूममज कर दिया।प्रधानमंत्री ने कहा, मैं समझता हूं, शायद आप लोगों ने आंध्र प्रदेश के बेलम की गुफाओं का फोटो पोस्ट नहीं किया होता, तो देश के कई लोगों को शायद पता नहीं होता कि ऐसी कोई चीज हमारे देश में है। मध्य प्रदेश में ओरछा की फोटो हो, हम राजस्थान को तो हमेशा पानी के संकट वाला प्रदेश मानते हैं, लेकिन वहां से जब कोई मैनाल के झरहे का फोटो भेजता है, तो बडा ही आश्चर्य होता है। यानी सचमुच में एक अद्भुत काम हुआ है। इसको हम आगे बढाएंगे, जारी रखेंगे। दुनिया देखेगी, हमारे देशवासी देखेंगे, हमारी नई पीढी देखेगी।
योगदिवस पर खुशी शेयर की
पीएम ने कहा, 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस उनके मन को उसी तरह आंदोलित कर गया जिस तरह से न्छ में यह विषय रखने के मौके पर उन्हें महसूस हुआ था। उन्होंने कहा, तब ऐसा ही लग रहा था जैसे चलो भाई एक बात हो जाए। लेकिन 21 जून का जो दृश्य देखा, जहां-जहां सूरज गया, जहां-जहां सूरज की किरणें गईं, दुनिया का कोई भूभाग ऐसा नहीं था, जहां योग के द्वारा सूर्य का स्वागत न हुआ हो। हम दावे से कह सकते हैं कि योग अभ्यासुओं की दुनिया में सूरज कभी ढलता नहीं है।
पीएम ने कहा, मैं देश के नौजवानों को विशेष करके आईटी प्रोफेंशनल को आग्रह करता हूं, आप सब नौजवान मिल-जुल करके ऑनलाइन योगा एक्टीविटी की कुछ योजना बनाइए। योग से संबंधित संस्थाओं का परिचय हो, योग गुरुओं की जानकारी हो, योग के संबंध में जानकारी हो। योग सीखना हो तो कहां सीख सकते हैं, योग टीचर चाहिए तो कहां से मिलेगा, एक डाटाबेस तैयार करना चाहिए और मैं मानता हूं, आप कर सकते हैं।श्
प्रधानमंत्री ने कहा, श्एक साल पहले चारों तरफ से एक ही स्वर सुनाई देता था, कुछ नहीं होता, कुछ नहीं होता, कुछ नहीं होता। आप कल्पना कर सकते हैं सरकार में आयुष एक डिपार्टमेंट है, कभी किसी का उस तरफ ध्यान नहीं जाता। 2-5 साल में एकाध बार कहीं छोटी-मोटी खबर अखबार में आ जाए तो आ जाए। एक कोने में, छोटा सा डिपार्टमेंट, लेकिन योग दिवस को उसने लीड किया। छोटे से डिपार्टमेंट ने इतना बडा काम आयोजित करके दिखाया। अगर लक्ष्य सामने हो तो छोटी-सी-छोटी इकाई भी कितना उत्तम काम करती है, इसका नमूना है।
शौचालयों के टारगेट के करीब है हम
पीएम ने कहा, पिछले साल उन्होंने 15 अगस्त को लाल किले पर से स्कूलों में शौचालय के लिए अपील की थी। उन्होंने दावा किया कि जो काम 60 साल में नहीं हो पाया वो एक साल में करने का आह्वान करना बडा साहस तो था, करीब साढे चार लाख टॉयलेट बनाने थे और हम लक्ष्य के करीब पहुंच गए हैं।मतलब सरकार, लोग, सरकारी मुलाजिम, सब कोई देश के लिए काम करना चाहते हैं। निस्वार्थ भाव से सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय, अगर हम संकल्प ले करके चलते हैं, तो सरकार भी दौडती है, सरकार के लोग भी दौडते हैं और जनता-जनार्दन पलक-पावडे बिछा करके उनका स्वागत भी करती है।
जनसुरक्षा में तीन लाख लोग जुडे
प्रधानमंत्री ने कहा, जन सुरक्षा की तीन योजनाओं में काफी कम समय में 10 करोड से भी ज्यादा लोग जुड गए हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि रक्षाबंधन के त्योहार के मौके पर 12 रुपये वाली या 330 रुपये वाली जन सुरक्षा योजनाएं जीवनभर के लिए अपनी बहनों को गिफ्ट दे सकते हैं।उन्होंने मॉनसून पर बात करते हुए कहा कि कई लोगों ने उन्हें सुझाव भेजे कि श्मन की बात में इस पर कुछ बातें करें। पीएम ने कहा, बूंद बूंद पानी का बहुमूल्य होता है। हमें एक नागरिक के नाते, समाज के नाते, बूंद बूंद पानी बचाने का स्वभाव बनाना ही पडेगा। उन्होंने कहा, इस वर्षा के मौसम में वृक्षारोपण, पेड लगाने का अभियान सामाजिक संगठनों के द्वारा, युवकों के द्वारा बहुत बडी मात्रा में होना चाहिए। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने लोगों से बरसात के दिनों में बीमारियों से बचने के लिए पानी उबाल कर पीने का सुझाव दिया।
कचडे से सामग्री बनाने पर विचार , बनी अमृत योजना
पीएम मोदी ने कहा, हमने तीन नई योजनाओं को लॉन्च किया, खासकर शहरी जनों के लिए। हमारे देश में करीब 500 छोटे-मोटे शहर हैं। कूडे-कचरे में से भी सम्पति बन सकती है, खाद बन सकता है, ईंटें बन सकती हैं, बिजली बन सकती है। गंदे पानी को भी शुद्ध करके खेतों में दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है उस अभियान को आगे बढाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा, अमृत योजना के तहत हम अपने शहरों को जीवन जीने योग्य बनाने के लिए बडा अभियान उठाया है। देश में, दुनिया की बराबरी कर सके ऐसी स्मार्ट सिटी होनी चाहिए और दूसरी तरफ देश के गरीब से गरीब व्यक्ति को भी रहने के लिए अपना घर होना चाहिए।
बेटियों की सेल्फी सोशल मीडिया पर डालो
प्रधानमंत्री ने मन की बात में कहा कि , मैं स्वयं तो सोशल मीडिया के द्वारा आप सब से जुडा रहता हूं, बहुत से नए-नए विचार आप लोगों से मुझे मिलते रहते हैं, सरकार के संबंध में अच्छी-बुरी जानकारियां भी मिलती रहती हैं। लेकिन कभी-कभार दूर सुदूर गांव में बैठा हुआ एक व्यक्ति भी, उसकी एकाध बात भी हमारे दिल को छू जाती है। आप जानते हैं सरकार की तरफ से एक “बेटी बचाओ-बेटी पढाओ” कार्यक्रम चल रहा है। लेकिन जब सरकार का कार्यक्रम कोई व्यक्ति, समाज, गांव अपना बना ले, तो उसकी ताकत कितनी बढ जाती है। पिछले दिनों, हरियाणा के बीबीपुर गांव के एक सरपंच श्रीमान सुनील जगलान जी, उन्हें एक बहुत बडा मजेदार कदम लिया। उन्होंने बेटी बचाने की स्पर्धा की अपने गांव में, और एक माहौल ऐसा बन गया कि हर पिता को अपनी बेटी के साथ सेल्फी निकाल करके सोशल मीडिया में रखने का मन कर गया। ये कल्पना मुझे अच्छी लगी उसके पीछे कुछ कारण भी है। पीएम ने कहा, देश के करीब 100 जिले ऐसे हैं जिनमें भी ये हालत चिंताजनक है। हरियाणा में सबसे ज््यादा। उन्होंने कहा, मैं भी आपसे आग्रह करता हूं कि आप भी अपनी बेटी के साथ, ‘रेडियो पर लोगों के साथ श्मन की बातश् में पीएम मोदी ने देशवासियों से सोशल मीडिया पर बेटियों के साथ सेल्फी शेयर करने कहा, जिसके बाद से ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है।
पीएम मोदी ने लिंग अनुपात में देश से सबसे पिछड़े राज्यों में शुमार हरियाणा में एक गांव सरपंच द्वारा शुरू की गई प्रतियोगिता का जिक्र करते हुए लोगों से इसका हिस्सा बनने की अपील की।प्रधानमंत्री ने कहा, कुछ दिन पहले हरियाणा के बीबीपुर गांव के सरपंच सुनील जागलान ने एक बेहद रोचक आईडिया पेश किया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर सेल्फी विद डॉटर नाम से अभियान शुरू किया, जिसमें पिता अपनी बेटी के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।
पीएम ने लोगों से इस अभियान में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा, श् मैं आग्रह करता हूं कि आप भी अपनी बेटी के साथ फोटो लेकर रुैमसपिमॅपजीक्ंनहीजमत लिखकर उसे शेयर करें। बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, इस विचार को ताकत देने वाली टैगलाइन भी लिखें। जो भी प्रेरक टैगलाइन होगी उसे मैं रीट्वीट करूंगा।उनके इस अपील के बाद ट्विटर पर गौरवांवित पिताओं और कुछ मामलों में माताओं की अपनी बेटियों के साथ ली गई सेल्फीज की मानो बाढ़ सी आ गई और रविवार दोपहर तक यह हैशटैग दुनिया भर में ट्विटर पर टॉप ट्रेंड बन गया है।रेडियो पर लोगों के साथ मन की बात में पीएम मोदी ने देशवासियों से सोशल मीडिया पर बेटियों के साथ सेल्फी शेयर करने कहा, जिसके बाद से ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है। पीएम मोदी ने लिंग अनुपात में देश से सबसे पिछड़े राज्यों में शुमार हरियाणा में एक गांव सरपंच द्वारा शुरू की गई प्रतियोगिता का जिक्र करते हुए लोगों से इसका हिस्सा बनने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा, कुछ दिन पहले हरियाणा के बीबीपुर गांव के सरपंच सुनील जागलान ने एक बेहद रोचक आईडिया पेश किया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर सेल्फी विद डॉटर नाम से अभियान शुरू किया, जिसमें पिता अपनी बेटी के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।
पीएम ने लोगों से इस अभियान में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा, मैं आग्रह करता हूं कि आप भी अपनी बेटी के साथ फोटो लेकर लिखकर उसे शेयर करें। बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, इस विचार को ताकत देने वाली टैगलाइन भी लिखें। जो भी प्रेरक टैगलाइन होगी उसे मैं रीट्वीट करूंगा।उनके इस अपील के बाद ट्विटर पर गौरवांवित पिताओं और कुछ मामलों में माताओं की अपनी बेटियों के साथ ली गई सेल्फीज की मानो बाढ़ सी आ गई और रविवार दोपहर तक यह हैशटैग दुनिया भर में ट्विटर पर टॉप ट्रेंड बन गया है।
देश में सड़क दुर्घटना की गंभीर स्थिति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इसे ध्यान में रखते हुए सरकार जल्द ही सड़क परिवहन और सुरक्षा विधेयक, राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति, राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा कार्ययोजना तथा सड़क दुर्घटना के पीडितों के उपचार के लिए चुनिंदा शहरों एवं राजमार्गों पर कैशलेस इलाज की व्यवस्था लागू करेगी।
सडक सुरक्षा पर बोले
आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी दो दिन पहले, दिल्ली की एक दुर्घटना के दृश्य पर मेरी नजर पड़ी। और दुर्घटना के बाद वो स्कूटर चालक 10 मिनट तक तड़पता रहा। उसे कोई मदद नहीं मिली। वैसे भी मैंने देखा है कि मुझे कई लोग लगातार इस बात पर लिखते रहते हैं कि आप सड़क सुरक्षा पर कुछ बोलिए। लोगों को सचेत कीजिए। प्रधानमंत्री ने कहा, हम सड़क परिवहन और सुरक्षा विधेयक लाने जा रहे हैं। आने वाले दिनों में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति और राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा कार्ययोजना को लागू करने की दिशा में भी हम कई महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए सोच रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा, एक और परियोजना हमने ली है, आगे चलकर इसका विस्तार भी होने वाला है, नकदरहित उपचार.. गुड़गांव, जयपुर और वड़ोदरा… वहां से लेकर मुंबई, रांची, रणगांव, मौंडिया राजमार्गों के लिए, हम एक नकदरहित उपचार व्यवस्था पेश कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक बार फिर अपने रेडियो कार्यक्रम श्मन की बातश् के जरिये देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा गुजरात में हुई हिंसा (पटेल आरक्षण की मांग को लेकर) ने देश को बहुत पीड़ा दी और उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों महात्मा गांधी और सरदार की भूमि गुजरात में हुई हिंसा ने बहुत पीड़ा दी। इसने पूरे देश को बेचैन किया, लेकिन बहुत कम समय ने गुजरात के नागरिकों ने हालातों को संभाला और गुजरात दोबारा शांति के मार्ग पर चल पड़ा। शांति, एकता और भाईचारा ही सही रास्ता है और विकास ही हमारी हर समस्या का समाधान है।
किसानों केा बधाई , शहीदों को श्रद्धाजली
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में अच्छे मॉनसून से बेहतर फसल की संभावना पर किसान भाईयों को बधाई दी। साथ ही करगिल विजय दिवस पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से सुझाव मांगे कि उन्हें इस स्वतंत्रता दिवस पर क्या बोलना चाहिए। प्रधानमंत्री ने शौचालय को रक्षा बंधन पर बहन के लिए तोहफे की पहल का भी जिक्र किया और इसरो द्वारा ब्रिटेन के पांच उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किए जाने की भी चर्चा की।
पीएम ने आगे कहा, भ्ूामि अधिग्रहण कानून के संबंध में विवाद चल रहा है, उसके विषय में सरकार का मन खुला है। मैं किसानों के हित के किसी भी सुझाव को स्वीकार करने के लिए तैयार हूं। भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार की बात राज्यों की तरफ से आई थी, लेकिन मैंने देखा कि इतने भम्र फैलाए गए और किसानों को भ्रमित कर दिया गया। मैं किसानों को भयभीत करने का कोई अवसर किसी को देना नहीं चाहता। किसानों के हक में मुझे हर सुझाव मंजूर है। लैंड बिल ऑर्डिनेंस की सीमा समाप्त हो रही है और मैंने तय किया कि इसे समाप्त होने दिया जाए। हम 13 बिंदुओं को नियमों के तहत लाकर आज से ही लागू कर रहे हैं, ताकि किसानों को नुकसान न हो। जय-जवान, जय-किसान ये नारा नहीं है, बल्कि हमारा मंत्र है।
पीएम ने देश के नागरिकों को ओणम और रक्षा बंधन की शुभकामनाएं देते हुए अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि जनधन योजना में बैकों का काम सराहनीय है। पीएम ने कहा, कि देश भर में सवा लाख बैंक मित्र कार्यरत हैं और वे बेहतर काम कर रहे हैं। इसके जरिए नौजवानों को रोजगार भी मिला है।
सूफी परंपरा पर बोले कहा अच्छा लगा
पीएम मोदी ने आगे कहा, पिछले दिनों मैं सूफी परंपरा के लोगों से मिला और उनकी बातें सुनकर बहुत अच्छा लगा। मुझे विश्वास है कि सूफी परम्परा जो प्रेम से, उदारता से जुडा हुआ है वे इस संदेश को दूर-दूर तक पहुंचाएंगे। ये परंपरा हर जगह पहुंचनी चाहिए। दुनिया को इस्लाम के सही स्वरुप को सही रूप में पहुंचाना सबसे अधिक आवश्यक हो गया है प्
प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि साइंस के क्षेत्र में, भारत कई दिशाओं में, बहुत ही उत्तम प्रकार के काम कर रहा है। सभी नौजवान मित्र साइंस की तरफ रूचि लें और हमारे एजुकेशनल इंस्टिट्यूशंस भी विद्यार्थियों को प्रेरित करें।
पीएम ने कहा, मैं चाहता हूं कि इंटरव्यू की परंपरा से एक स्तर से नीचे तो मुक्ति होनी चाहिए। करीब-करीब अब निर्णय अमल भी हो जायेगा कि इंटरव्यू के चक्कर से छोटी-छोटी नौकरियां छूट जाएंगी। गरीब को सिफारिश के लिए दौडना नहीं पडेगा। एक्सप्लॉइटेसन नहीं होगा और करप्शन भी नहीं होगा।
पीएम ने 1965 युद्ध के शहीदों को भी नमन किया और डेंगू से बचाव के प्रति भी लोगों को जागरूक किया। साथ ही अमेरिका में साइकिल रेस जीतने वाले महाजन बंधुओं को बधाई भी दी दरअसल, पीएम मोदी ने पिछले दिनों ट्वीट कर लोगों से इस बार चर्चा के विषय के बारे में सुझाव मांगे थे। उन्होंने ट्वीट में लिखा था, मुझे यकीन है कि 30 अगस्त को प्रसारित होने वाले अगले श्मन की बात कार्यक्रम के लिए आपके पास कई सुझाव और विचार हैं।
गुजरात पर चिंता व डेगू बचाव के तरीके बताये
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर रेडियो कार्यक्रम मन की बात के साथ भारत की जनता से मुखातिब हुए। इस मौके पर उन्होंने गुजरात के मौजूदा हालात पर बात करते हुए कहा कि पटेल और गांधी की भूमि पर जब कुछ होता है तो पूरा देश बैचेन हो जाता है। अपनी बात को पूरा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि शांति और विकास का रास्ता ही सही है और उन्हें यकीन है कि गुजरात अब शांति की ओर लौट रहा है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों पटेल आरक्षण को लेकर इस समुदाय के नेता हार्दिक पटेल की अगुवाई में गुजरात में महाक्रांति रैली निकाली गई थी। आंदोलनकारियों ने गुजरात बंद का आह्वान किया था जिसके बाद राज्य के कई इलाकों में हिंसा की खबरें मिलीं थीं। हार्दिक पटेल के समर्थकों ने कई जगह तोड़-फोड़ और आगजनी भी की थी।
आंदोलन के हिंसक होने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्य के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी और कहा था कि हिंसा से किसी का भला नहीं होता।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेंगू के प्रकोप से बचने के लिए लोगों से एक बार फिर अपने आसपास सफाई करने पर जोर दिया।
रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में उन्होंने कहा, डेंगू खतरनाक है, लेकिन अगर हम छोटी-छोटी चीजों में सफाई का खयाल रखते हैं तो इससे बचाव करने का तरीका बेहद आसान है।ष् प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके लिए जागरूकता थी, लेकिन कुछ कमी रह गई है। ष्हमें इतनी आसानी से मौत नहीं होने देनी चाहिए। साफ-सफाई के प्रति उदासीनता मौत को निमंत्रण देना है। जो स्वीकार्य नहीं है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि हर साल बच्चे के जन्म के दौरान लगभग 50,000 महिलाओं और 13 लाख शिशुओं की मौत हो जाती है। जच्चा-बच्चा की मौत की संभावना घटाने के लिए पहली बार भारत में कॉल टू एक्शन समिट 2015 का आयोजन किया गया। पीएम मोदी ने कहा कि इस तरह की मौत के मामलों को समाप्त करने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए आज देश को संबोधित करते हुए कहा कि श्मन की बात, एक वर्ष और अनेक बातें। मैं नहीं जानता आपने क्या पाया, लेकिन मैंने बहुत कुछ पाया। लोकतंत्र में जनशक्ति का अपार महत्व है और इसमें मेरा अपार विश्वास रहा है। मन की बात ने मुझे बहुत कुछ सिखाया और मैंने अनुभव किया की जनशक्ति अपरंपार होती है।
पीएम ने कहा, मन की बात के लिए लाखों की तादाद में लोगों द्वारा सक्रिय होकर सुझाव देना, अपने आप में बहुत बड़ी शक्ति है। लोगों के सुझाव देते लाखों पत्रों ने मुझे बहुत बड़ा पाठ पढ़ाया। मैं आकाशवाणी का भी अभिनन्दन करता हूं कि उन्होंने इन सुझावों को सिर्फ एक कागज नहीं माना, बल्कि एक जन-सामान्य की आकांक्षा माना। आकाशवाणी ने इसके बाद कार्यक्रम किए और सरकार के भिन्न-भिन्न विभागों को आकाशवाणी में बुलाकर जनता की बातें उनके सामने रखीं। सरकार के अलग-अलग विभागों ने इन पत्रों का विश्लेषण किया। भला श्मन की बातश् जानकारियों का स्रोत, बन जाएगा, ये किसी ने कहां सोचा था।श् प्रधानमंत्री ने आगे कहा, मन की बात कार्यक्रम ने समाज-शक्ति की अभिव्यक्ति का एक अवसर बना दिया है।
अपील पर गैस सिलेंडर की सब्सिडी छोडी
प्रधानमंत्री ने बताया कि तीस लाख परिवारों ने गैस-सिलिंडर की सब्सिडी छोड दी है और ये अमीर लोग नहीं हैं। ये अमीर लोग नहीं हैं। एक रिटायर्ड टीचर, विधवा महिला, कतार में खडी थी सब्सिडी छोडने के लिए। क्या ये साइलेंट रिवोल्यूशन नहीं है।प्रधानमंत्री ने कहा, देश के नागरिकों का सकारात्मक सोच लेकर चलना देश के लिए बडी पूंजी है। जनता का हर संदेश बहुत महत्वपूर्ण है और सरकार उनके सुझावों पर जरूर काम करेगी। ये अपने-आप में एक सुखद अनुभव है। पीएम ने बताया कि सभी उम्र के लोगों ने उन्हें संदेश दिए और कुछ संदेशों को उन्होंने खुद सुनना पसंद किया और खुशी जताते हुए कहा कि देश में सियाचिन से लेकर कन्याकुमारी तक करीब 55,000 से ज््यादा फोन कॉल्स आए।
पीएम ने जनता से आग्रह करते हुए कहा कि हमें स्वच्छता आन्दोलन को कमियों के रहते भी आगे बढाना है। लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता आई है और ये सरकारों को भी काम करने के लिए मजबूर करेगी। मुझे भी बहुत-कुछ सुनना पडता है कि मोदी जी स्वच्छता की बडी-बडी बातें करते थे, लेकिन क्या हुआ? मैं इसे बुरा नहीं मानता हूं। हमें स्वच्छता को एक स्वभाव भी बनाना चाहिए और स्वच्छता के लिए व्यवस्थाएं भी बनानी चाहिए। हमें 2019 तक स्वच्छता मिशन को पूरा करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से दिल्ली में इंडिया गेट के पास आयोजित प्रदर्शनी को भी देखने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी के हाजीपीर पास के जीत के दृश्यों को देखने पर रोमांच होता है और अपनी सेना के जवानों के प्रति गर्व भी होता है। उन्होंने अलवर से एक व्यक्ति द्वारा दिवाली पर मिट्टी के दीयों का प्रयोग करने के दिए गए सुझाव को भी सराहा और लोगों से ऐसा करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इससे पर्यावरण को लाभ होगा और कुम्हार भाइयों को भी रोजगार मिलेगा।
इलेक्शन कमीशन अब रेगुलेटर नही रहा
प्रधानमंत्री ने युवा पीढी को वोटर्स रजिस्ट्रेशन के बारे में जागृत करने के एक सुझाव को सराहते हुए कहा कि आज हमारा इलेक्शन कमीशन सिर्फ रेगुलेटर नहीं रहा है, फैसिलिटेटर बन गया है और वोटर-फ्रेंडली बन गया है। ये बहुत अच्छा बदलाव आया है। पीएम ने मतदान का परसेंटेज और जागरूकता बढाने के लिए चुनाव आयोग को भी बधाई दी।श् हालांकि उन्होंने लोगों ने कहा कि लेकिन सिर्फ चुनाव आयोग काम करता रहे, इससे चलने वाला नहीं है। मतदाता सूची अपग्रेड होती रहनी चाहिए, हमें भी देखते रहना चाहिए। पहले मतदान, फिर जलपान, इतना पवित्र काम है जो हर किसी को करना चाहिए।
नेताजी पर खोले कई राज , जापान में चलाया था रेडियो
प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस रेडियो का बेहद उपयोग करते थे? जर्मनी से उन्होंने अपना रेडियो शुरू किया था। आजाद हिन्द रेडियो की शुरुआत एक वीकली न्यूज बुलेटिन से नेताजी ने की थी। देश के नागरिकों को आजादी के आंदोलन के संबंध में नेताजी लगातार रेडियो के माध्यम से बताते रहते थे।
कार्यक्रम के अंत में पीएम मोदी ने कहा कि मन की बात करते-करते अब एक साल हो गया है। मेरे मन की बात आपके कारण सच्चे अर्थ में आपके मन की बात बन गई है। आपका योगदान मेरे लिए बहुमूल्य है, अनमोल है पीएम ने लोगों से कहा कि आपकी बातें सुनता हूं, उसी से मेरे विचारों की एक दौड शुरू हो जाती है, जो आकाशवाणी के माध्यम से आपके पास पहुंचती। है। आपके सुझावों से सरकार को भी लाभ होता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने के मुद्दे पर कुछ भी कहने से बचते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि वह अगले महीने नेताजी के परिवार के लोगों से मिलेंगे। पश्चिम बंगाल सरकार ने हाल ही में सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलों को सार्वजनिक किया है।
छोटी नौकरियों से साक्षात्कार खत्म करने की बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महीने हुई मन की बात में छोटी नौकरी के वक्त लिए जाने वाले साक्षात्कारों को खत्म करने की बात कही थी। एनडीटीवी को एक सूत्र के हवाले से खबर मिली है कि सरकार ने जूनियर पोस्ट्स के लिए साक्षात्कार लेने की प्रक्रिया को समाप्त करने का फैसला किया है।
हालांकि नौकरी पाने के लिए अभी भी थोड़ी मशक्कत तो करनी ही पड़ेगी। सूत्रों के मुताबिक यह नई प्रणाली अगले साल 1 जनवरी से लागू होगी लेकिन नौकरी मिलने से पहले आवेदक को अपनी दक्षता साबित करने के लिए स्किल टेस्ट और शारीरिक (फिजकिल) टेस्ट से होकर गुजरना होगा। अगर विभाग को लगता है कि साक्षात्कार लेना जरूरी है तो उसे कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से अनुमति लेनी होगी।गौरतलब है कि इस साल 15 अगस्त को लाल किले से दिए गए भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि नौकरियां योग्यता के बल पर मिलनी चाहिए न कि सिफारिश के आधार पर। पीएम के मुताबिक भर्तीयों के दौरान भ्रष्टाचार बहुत होता है, गरीब से गरीब आदमी भी चाहता है कि उसके बेटे को नौकरी मिलनी चाहिए। इसलिए जितना हो सके छोटी नौकरियों में इंटरव्यू के प्रचलन को खत्म हो जाना चाहिए और पारदर्शी तथा ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए मेरिट के आधार पर भर्तियां होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा था ऐसा करने से इस तरह के भ्रष्टाचार से गरीब का पाला नहीं पड़ेगा और हम सब मिलकर इस दिशा में काम कर सकते हैं। यह मेरा निवेदन है।
उन्होंने कहा, हाल में वियतनाम से एक परिवार के छोटे बच्चे का योग करता हुआ फोटो ट्विटर पर देखा। योग सच्चे अर्थ में दुनिया को जोडने का एक कारण बन गया। हर भारतवासी गर्व अनुभव कर सकता है कि विश्व भारत को जानने के लिए बहुत उत्सुक है। प्रधानमंत्री ने कहा, भारत के प्रति एक जिज्ञासा बढी है। यहां की मूल्य, यहां की परम्पराएं, यहां की विरासत, दुनिया जानना चाहती है। हम सबका दायित्व है कि हमारी विरासत को विश्व में बांटें और विश्व को इससे परिचित कराएं। लेकिन ये परिचय हम तब करा पायेंगे जब हमें हमारी विरासत पर गर्व हो। पीएम ने कहा कि हमें चाहिए कि हम विश्व को अपने परिवार-प्रथा, पारिवारिक मूल्यों से परिचित करवाएं। ऐसी बहुत कुछ चीजें हैं जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी हैं और जो श्रेष्ठ हैं, उस पर पूरे विश्व का अधिकार है। प्रधानमंत्री ने कहा, योग को जिस तरह से पूरी दुनिया में सम्मान मिला उससे कौन हिन्दुस्तानी होगा जिसे गर्व नहीं होगा। उन्होंने कहा, मैं भी आनंदविभोर हो गया। मन पुलकित हो गया। और जब फ्रांस के लोग, जिनके लिए सीन नदी और एफिल टावर बहुत ही गौरवपूर्ण प्रतीक है, उन्होंने योग करने के लिए उस स्थान को पसंद किया।

अरूण पाण्डेय