
मानवता का आज अनूठा उदहारण देखा |
बीमार बे सहारा लोगो का अच्छा जीवन देखा ||
मानवता जिनको देख कर बिलख रही थी |
आज गुरुकुल आश्रम में उनको हँसते देखा ||
कर्मयोगी रवि ने जो कभी था सपना देखा |
उस सपने को हमने आज पूरा होता देखा ||
वह मानव ही नहीं,वरन है आज का देवता |
उसको हमने बीमारों को पीठ पर लाते देखा ||
तन मन धन से सेवा करते लोगो को देखा |
उनकी आँखों में मानवता का द्रश्य है देखा ||
जो लिपट रहे थे गले लगाकर बीमारो को |
उन सबकी आँखों में हमने आँसू बहते देखा ||
तीन बड़े लम्बे चौड़े स्वच्छ हालो को देखा |
इन हालो में बुजर्गो को आराम करते देखा ||
कैसे वे अपने सच्चे मन से तारीफ़ कर रहे थे |
इसको भी हमने मानवता की आँखों से देखा ||
खाने पीने की यहाँ कोई कमी नही है |
मरीजो के लिये दवा उपलब्ध यही है |
लम्बी चौड़ी यहाँ रसोई घर को देखा |
गर्म चपाती व् दो दो सब्जी बनते देखा ||
राम कृष्ण रस्तोगी