मानवता का आज अनूठा उदहारण देखा |

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मानवता का आज अनूठा उदहारण देखा |
बीमार बे सहारा लोगो का अच्छा जीवन देखा ||
मानवता जिनको देख कर बिलख रही थी |
आज गुरुकुल आश्रम में उनको हँसते देखा ||

कर्मयोगी रवि ने जो कभी था सपना देखा |
उस सपने को हमने आज पूरा होता देखा ||
वह मानव ही नहीं,वरन है आज का देवता |
उसको हमने बीमारों को पीठ पर लाते देखा ||

तन मन धन से सेवा करते लोगो को देखा |
उनकी आँखों में मानवता का द्रश्य है देखा ||
जो लिपट रहे थे गले लगाकर बीमारो को |
उन सबकी आँखों में हमने आँसू बहते देखा ||

तीन बड़े लम्बे चौड़े स्वच्छ हालो को देखा |
इन हालो में बुजर्गो को आराम करते देखा ||
कैसे वे अपने सच्चे मन से तारीफ़ कर रहे थे |
इसको भी हमने मानवता की आँखों से देखा ||

खाने पीने की यहाँ कोई कमी नही है |
मरीजो के लिये दवा उपलब्ध यही है |
लम्बी चौड़ी यहाँ रसोई घर को देखा |
गर्म चपाती व् दो दो सब्जी बनते देखा ||

राम कृष्ण रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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