आसाम में मूल वनवासियों और हिंदुओं के नरसंहार का कारण

 विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीणभाई तोगडि़या जी का प्रेस विज्ञप्ति 

बांग्लादेशी घुसपेठियों और मतों के लोभी राजनेता

काशी/ दिल्ली, 25 जुलाई, 2012

आसाम में भड़के हुए दंगों में मारे गए और विस्थापित किए गए अनेकों मूल वनवासियों और हिंदुओं के लिए त्वरित न्याय की माँग करते हुए विश्व हिंदू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ प्रवीण तोगडि़या ने कहा, ‘‘गत कई वर्षों से भारत पर आक्रामकों के हमले होते आये हैं, भारत स्वतंत्र हुआ, फिर भी पाकिस्तान और बांग्लादेश से कश्मीर, आसाम, बंगाल, ओडिशा, त्रिपुरा व अन्य राज्यों में लगातार घुसपेठ चल रही है. गत 15 वर्षों में आसाम में बांग्लादेशी मुसलमानों ने सरकारी मदद से अपने पैर जमा लिए हैं कि उन्हें खुले में यह छूट मिली है कि वे आसाम के मूल वनवासियों, जनजातियों कि हत्या करें, उनके घर जलाएँ, खेतों पर कब्जा जमायें और उन्हें वहाँ से खदेड़कर वहाँ पाकिस्तान का, बांगला देश का झंडा फहराएँ! सरकारी कृपा के बिना यह संभव नहीं और मुसलमान मतों के कारण आसाम के मूल जनजातियों को और हिंदुओं को संरक्षण देना छोड़ राजनेता बांग्लादेशी आयात मतों के सामने घुटने टेके हुए हैं। इसीलिए, गत 10 वर्षों से चलती आ रही मुसलमानों की आतंकी प्रवृत्ति आज आसाम में इस तरह भड़की है! 500 से अधिक गाँव बांग्लादेशी मुसलमानों ने कब्जे कर वहाँ के हिंदुओं को, जनजातियों के घर जलाएँ हैं, 100 से अधिकों को मारा है। 1 लाख से अधिक शरणार्थी आज शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं, जब कि ये मुसलमान घुूसपेठियें सरकारी कृपा से भारत के नागरिक बन बैठे हैं और भारत के मूल नागरिकों का ही नरसंहार कर रहे हैं।’’

डॉ तोगडि़या ने आगे कहा, ‘‘भारत के प्रधानमंत्री और उनके पक्ष की प्रमुख श्रीमती गांधी इन्हांेने आसाम के मुख्यमंत्री को फोन कर केवल मुसलमानों को ही संरक्षण देने हेतु कहा, वहाँ सेना भेजी गयी, मूल जनजातियों और हिंदुओं को मारने के आदेश नहीं होते तो सरकारी बंदूकों से वनवासी और हिंदू नहीं मारे जाते। इस सरकार-प्रचालित नरसंहारी आतंक के लिए और आसाम की जनजातियों तथा हिंदुओं के मानवाधिकार हनन के लिए प्रधानमंत्री और उनके पक्ष की प्रमुख तथा आसाम के मुख्यमंत्री भारत की जनता से क्षमा माँगे। कार्बी आंगलोंग, खासी, दिमासा, जैंतिया, बोडो, चोंगलोई, हाओलाई और अन्य कई जन जातियों पर बांग्लादेशी मुसलमानों के मतों के लिए अत्याचार किए गए हैं। यहाँ तक कि जनजातियों के छोटे छोटे बच्चों को तक नहीं छोड़ा! उनकी शालाएँ आज जलाई गयी हैं और देश का ‘सेक्युलर’ मीडिया आँख मूंदे एकांगी जानकारी सरकार के कारण दे रहा है।’’

विश्व हिंदू परिषद् माँग करती है कि:-

01. आसाम में वहाँ की मूल जनजातियों, वनवासियों और अन्य हिंदुओं का नरसंहार करने के लिए बांग्लादेशी मुसलमान घुसपेठियों को खुली छूट देने के लिए और आसाम तथा भारत को असुरक्षित बनाने के लिए प्रधानमंत्री और उन के पक्ष की प्रमुख भारत की जनता से क्षमा माँगें। 02. आसाम एवं भारत के अन्य राज्यों में घुसे सभी बांगलादेशी मुसलमान घुसपेठियों को त्वरित भारत बाहर कर उन के भारत आने पर प्रतिबंध लगाया जाय. जिन बांगला देशी मुसलमानों को भारत का नागरिक अधिकार दिया गया है, उन्हें भी बांग्लादेश वापस भेज उन के सभी अधिकार छीन लिए जाय।

03. जो कोई नेता ऐसे घुसपेठियों के मतों से चुनकर आये हो, उन सभी का चुनाव खारिज कर उन का चुनाव लड़ने का अधिकार समाप्त किया जाय।

04. आज तक आसाम और अन्य कई राज्यों में बांग्लादेशी मुसलमानों ने अनेक जनजातियों की और अन्य हिंदुओं की जमीने, घर कब्जे किए हैं. उन सभी जमीनों, घरों की मालिकी फिर से मूल नागरिकों को दी जाय।

05. आसाम में नरसंहार में बांग्लादेशी मुसलमानों के हाथों सरकार की गोलियों से मारे गए सभी हिंदुओं को रु 7 लाख मुआवजा त्वरित दिया जाय और उनके परिवारों के बच्चों की शिक्षा और कन्याओं के विवाह की संपूर्ण जिम्मेदारी आसाम सरकार उठाएँ।जिन घरों में कमानेवाले मारे गए हो, उन्हें मुआवजे के अतिरिक्त परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाय।

06. .इस नरसंहार में व पहले भी आतंक में बांगला देशी मुसलमानों के या स्थानीय मुसलमानों के कारण जो हताहत हुए हैं उन सभी जनजातियों और अन्य हिंदुओं को भी यहीं मुआवजा व अन्य सुविधाएँ दी जाय. जो जख्मी हुए हैं, उन के वैद्यकीय उपचारों का खर्चा सरकार उठाएँ और उन्हें रु. 4 लाख मुआवजा दिया जाय.

07. ये सभी हमलें बांग्लादेशी मुसलमानों ने किए हैं इसलिए उन में से या उन्हें सहयोग करने वाले किसी भी स्थानीय मुसलमानों को उपर्युक्त कोई भी मुआवजा या सुविधाएं न दी जाय.

08. भारत के सीमावर्ती प्रदेशों, राज्यों की सीमाएँ सरकार त्वरित बंद करें ताकि भविष्य में भारत को फिर से पाकिस्तान या बांग्लादेश से आनेवाले घुसपेठी जेहादियों से खतरा ना हो.

09. संयुक्त राष्ट्रसंघ (यू. एन.) मानवाधिकार कार्यालय, भारत के महामहिम राष्ट्रपति और भारत के उच्चतम न्यायालय सभी आसाम में हुए इस नरसंहार के लिए बांग्लादेशी मुसलमानों पर और उन्हें सहयोग करने वाले स्थानीय जेहादी मुसलमानों पर तथा उन्हें संरक्षण देनेवाले राजनेताओं पर मुकदमा चलाकर उन्हें सख्त सजा दें.

विश्व हिंदू परिषद् आसाम में घट रही घटनाओं के प्रति सजग है और इशारा देती है, कि आनेवाले 24 घंटों में आसाम के जनजातियों और अन्य हिंदुओं पर होनेवाले अत्याचार रोके नहीं गए तो देशव्यापी लोकतांत्रिक आंदोलन का विचार करने पर सभी हिंदुओं को बाध्य होना होगा.

4 COMMENTS

  1. शुक्र है कि संगमा राष्ट्रपति नहीं बन पाए और अगाथा कि कुर्सी भी खतरे में है.जो लोग इनका समर्थन कर रहे थे उन्हें इस आलेख को पड़कर अपनी भयानक भूल स्वीकार करनी चाहिए और कोकराझार के नरसंहार की जिम्मेदारी तय करनी चाहिए.

  2. सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक गैरबराबरी के पलीते को जब निहित स्वार्थों की चिंगारी का संसर्ग मिलता है तो कोकराझार,गोधरा,गुजरात और मुंबई जैसी अमानवीय हिंसक घटनाओं की ज्वाला धधकती है. झगड़े की जड़ पर मठ्ठा डाला जाना चाहिए न कि इस तरह की घटनाओं पर राजनैतिक रोटी सेंकी जानी चाहिए.सरकार ,प्रशाशन सभी अपने-अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करें और विपक्ष भी संयुक्त संसदीय प्रतिनिधि मंडल के रूप में उन जगहों पर तूफानी दौरे करे और मीडिया संयम से काम ले यही वक्त का तकाजा है.

  3. धर्म रक्षक श्री दारा सेना
    77 खेड़ा खुर्द]नई दिल्ली 110082 दूरभाष 9212023514

    प्रेस विज्ञप्ति 27-7-12
    कोकराझार में मुसलमानों के घरों में आग लगाना] पूर्वोत्तर से हिन्दुओं और मुसलमानों को मार भगाकर एक अलग ईसाई देश बनाने की आतंकवादी अंग्रेज मिश्निरियों की भयानक साजिश –दारा सेना
    धर्म रक्षक श्री दारा सेना ने असम के कोकराझार में चर्च के बोड़ो ईसाई आतंकवादी गिरोहों द्वारा मुसलमानो को मार मार के भगाने और लाखों मुस्लिमों के घरों में आग लगाने पर गहरी चिन्ता व्यक्त की।और इसे पूर्वोत्तर से हिन्दुओं और मुसलमानों को मार भगाकर एक अलग ईसाई देश बनाने की आतंकवादी अंग्रेज मिश्निरियों की भयानक साजिश बताया।
    श्री मुकेश जैन ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए बताया कि गत वर्ष जनवरी 2011 में मेघालय में हिन्दू विरोधी दंगों में 30 से अधिक राभा जनजाति के हिन्दुओं का कत्लेआम] दर्जन भर हिन्दू मंदिरों को तोड़ने के साथ-साथ 40 हजार से अधिक हिन्दुओं के घरों में आग लगाई गई थी।
    यहां यह भी खास बात है कि हजारों वर्षो से साथ साथ रह रहे गारो राभा जनजातियों द्वारा बनायी शान्ति समिति के अध्यक्ष श्री सिकराम संगमा और महासचिव श्री जितेन्द्र राभा ने भी प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह को 22 जनवरी 2011 को दिये ज्ञापन में गारो और राभा जनजातियों के बीच हजारों वर्षो से चले आ रहे रोटी-बेटी के सम्बन्धों का हवाला देते हुए राभा हिन्दुओं और गारो ईसाईयों के बीच हुए इस दंगे और राभा हिन्दुओं के घरों को जलाने के लिये चर्च और उसके ईसाई आतंकवादी गिरोहो गारो नैशनल लिब्रेशन फोर्स और आचिक नैशनल वाइलेन्टर कौन्सिल को जिम्मेदार बताया था। और राष्ट्रीय इन्वेष्टिगेशन एजेंसी से इसकी जांच की मांग की थी।
    जिसके लिए वहां के राभा जनजाति के हिन्दुओं ने पी.ए. संगमा और उसके गारों ईसाई आतंकवादी संगठनों को भी जिम्मेदार ठहराया था।आक्रोशित लुटे पिटे हिन्दुओं ने पी ए संगमा उसकी बेटी अगाथा संगमा और दो विधायक बेटों कोणार्ड और जेम्स को जिन्दा जलाकर हिन्दू विधि से दाह संस्कार करने का भी पूरा भरकस प्रयास किया था। जो मौके पर तत्काल पहुंची पुलिस ने गोली बारी चला कर विफल कर दिया। श्री मुकेश जैन ने राभा हिन्दुओं के गुस्से को गुस्सा नही गुस्से का सैलाब बताया।राभा हिन्दू देख रहे थे कि किस तरह ईसाई पी. ए. संगमा और उसका ईसाई परिवार गारो ईसाई आतंकवादी गिरोह] गारो नैशनल लिब्रेशन फोर्स] और आचिक नैशनल वाइलेन्टर कौन्सिल] के ईसाई आतंकवाद के खिलाफ एक भी शब्द नही बोलकर इन ईसाइ आतंकवादी गिरोहो को फल फूलने दे रहे हैं? कैसे पी.ए. संगमा का नागालैन्ड के खूंखार ईसाइ आतंकवादी गिरोहो से याराना है? कैसे नागालैन्ड के खूंखार ईसाई आतंकवादी गिरोह गारो ईसाई आतंकवादी गिरोह गारो नैशनल लिब्रेशन फोर्स और आचिक नैशनल वाइलेन्टर कौन्सिल को पी. ए. संगमा के संसदीय इलाके में खुलेआम हथियार और गोला बारूद की सप्लाई कर रहे हैं कैसे गारो ईसाई आतंकवादी गिरोह राज्य में राभा हिन्दुओं और सरकारी कर्मचारियों तक से जबरदस्ती बंदूक की नोंक पर उगाही कर रहे हैं]
    दारा सेना के अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने कोकराझार के मुस्लिमों की इस बात के लिये दाद दी कि उन्होनें आतंकवादी बैप्टिस्ट चर्च द्वारा वहां के हिन्दुओं और मुसलमानों पर लगाये गये 10 प्रतिशत ईसाई टैक्स की अवैध उगाही देने से इन्कार किया।और ईसाई जजिया टैक्स लेने आये अंग्रेजी चर्च द्वारा बनायी बोड़ो आतंकवादी फौज के गोला बारूद से लैस 4 बोड़ो ईसाई आतंकियों को पीट- पीट कर मार डाला। श्री जैन ने कहा कि यह वह बहादुरी है जो पूर्वोत्तर के ईसाई इलाकों में आज तक कोई नही दिखा सका। उल्लेखनीय है कि बुराड़ी में कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमति सोनिया गांधी ने भी पूर्वोत्तर के नागालैन्ड मिजोरम-मेघालय-त्रिपुरा आदि राज्यों में हो रही ईसाई आतंकवादियों द्वारा अवैध उगाही को स्वीकार किया था। और यह भी किसी से छुपा नही है कि आज पूर्वोत्तर में सरकारी कर्मचारी तक अंग्रेजी चर्च के गुलाम बन कर 10 प्रतिशत ईसाई टैक्स देने के लिये बाध्य है। पिछले दिनो अरूणाचल के छात्र संगठनों ने भी श्री चिदम्बरम के अरूणाचल दोरे के दौरान इसाई आतंकवादी गिरोह एन एस सी एन के आतंकवादियों द्वारा की जा रही इस अवैध उगाही ।10 प्रतिशत ईसाई टैक्स। की शिकायत करते हुए इससे निजात दिलाने की प्रार्थना की थी ।
    श्री जैन ने कहा कि पूर्वोत्तर के एक- एक इलाके जबरदस्ती बंदूक की नोक पर ईसाई बनाये जा रहे हैंAयह एक खतरनाक और देश की अखण्डता के लिये एक बहुत बड़ा खतरा है। कोकराझार मे मुसलमानों के घरों के जलाने और उन्हें वहां से भगाने के पीछे बोडो इलाके को पृथक ईसाई राज्य बनाने की आतंकवादी चर्च की साजिश बताया।श्री जैन ने बताया कि कोकराझार के इलाके में ईसाई की लिखित और अनलिखित आबादी अनुमानतः 22 प्रतिशत है।और यहां मुस्लिम आवादी 33 प्रतिशत है। इन मुस्लिमों ने आतंकवादी अंग्रेज मिश्निरियों की लाख कौशिशों के बाद भी ईसाई बनना ठीक उसी प्रकार से स्वीकार नही किया जैसे राभा हिन्दुओं ने अपना धर्म नही छोड़ा।आतंकवादी चर्च ने अपने बोड़ो ईसाई आतंकवादी गिरोहों द्वारा इनको ठिकाने लगाने का फैसला किया।श्री जैन ने स्पष्ट किया कि कोकराझार में मुस्लिमों के घरों में आग लगाने वाले चर्च के बोड़ो ईसाई आतंकवादी ही है]ताकि कोकराझार से मुस्लिमों को भगाकर वहां की ईसाई आबादी आनन – फानन में 22प्रतिशत से 35 प्रतिशत की जा सके।
    श्री जैन ने कुछ हिन्दू नेताओं द्वारा इस मामलें में बंगला देशी मुसलमानों की अवैध घुसपेठ को जिम्मेदार बताना इन हिन्दू नेताओं द्वारा चर्च की आतंकवादी गतिविधियों से जानबूझ कर आखें बन्द करना बताया।इन हिन्दू संगठनों नें पिछलें साल राभा हिन्दुओं के जनसंहार और उनके घरों में चर्च के ईसाई आतंकवादियों द्वारा आग लगाये जाने पर भी भयंकर चुप्पी साधी थी।मेघालय में चर्च के ईसाई आतंकवादियों ने सबसे पहले 35 साल पहले नेपालियों के घरों में आग लगाकर उन्हे वहां से भगाया। उसके बाद खासी लड़की से छेड़छाड़ का बहाना बताकर बंगालियों को जान से मारा गया और उनके घरों में आग लगायी गयी। उसके बाद मारवाडि़यों पर भयंकर 30 प्रतिशत ईसाई टैक्स लगाया गया तो मारवाडी भी मेघालय से भाग गये। ऐसे मेघालय ही आबादी हो गयी 67 प्रतिशत ईसाई।इसमें बाधा बने ईसाईयत के अधर्म को किसी भी कीमत पर न अपनाने वाले मेघालय के मूलनिवासी राभा जन जाति के हिन्दू तो पिछले साल चर्च की ईसाई आतंकवादी फोज ने इनके भी घरों में आग लगा दी]ताकि मेघालय को भी मिजोरम की तरह 100 प्रतिशत ईसाई आबादी का राज्य बनाया जा सके ।उल्लेखनीय है कि मिजोरम को वहां के हिन्दू रियांग मूल निवासियों को मार भगा कर ही 100 प्रतिशत ईसाई आबादी का राज्य बनाया गया था।
    श्री जैन ने कहा कि अपने आपको हिन्दुत्व का झण्डा थामें बताने वाले इन बड़े हिन्दू नेताओं की चर्च के ईसाई आतंकवाद को छुपाने की गैर जिम्मेदारिनी हरकत के कारण पूर्वोत्तर आज दक्षिण सूडान और पूर्वी तिमोर की तरह एक अलग ईसाई देश बनने के कगार पर खड़ा है।श्री जैन ने आरोप लगाया कि अमेरीकी सरकार द्वारा दिये पैसे पर पल रहे ये बडे़ हिन्दू संगठन चर्च के ईसाई आतंकवाद से जानबूझकर इस लिये आखे बन्द किये हुए हैं क्यों कि इन्हे डर है कि कही अमेरीका इनके अमेरीकी दान पर रोक न लगा दे।
    दारा सेना ने सरकार से मांग की कि पूर्वोत्तर से सभी विदेषी मिश्निरियों को वहां से निकाल बाहर करे और विदेशों से सेवा के नाम पर आ रहे और हिन्दुओं का धर्मभ्रष्ट करनें के गैरकानूनी काम और चर्च की ईसाई आतंकवादी फौज को बनाने में खर्च हो रहे विदेशी धन पर तुरन्त रोक लगायी जाये।

    सुभाष चन्द्र
    प्रेस सचिव
    Garo-Rabha body moves PM, blames it on political parties, church for flare-up

    GUWAHATI, Jan 23:,2011 The Garo-Rabha Peace Council (GRPC), William Nagar, East Garo Hills in Meghalaya, drew the attention of Prime Minister Manmohan Singh on the uprising in East Garo Hills district of Meghalaya and its bordering Goalpara district in Assam requesting him to do needful to restore normalcy.
    In a letter to the Prime Minister, GRPC president Sikram Sangma and general secretary Jitendra Rabha requested him to (i) deploy more security forces to restore normalcy in the area, (ii) to deploy National Investigation Agency (NIA) to investigate the destructive role of nexus of Church, militant outfits, Bangladeshi Muslims, political leaders across the party line and dubious Non-Governmental Organizations (NGOs) etc, (iii)
    to give Rs 1 lakh in cash and 10 bundles of CGI sheets (good quality) to each family whose houses have been burnt, (iv) to pay Rs 10 lakh to the next of kin of each killed in the riot, (v) to provide sufficient food and health care facilities in all the affected areas, (vi) to provide utensils, stationeries and textbooks and exercise books to each school/ college going students from the victim families, (vii) to make permanent security arrangement to restore confidence of the people and to avoid the recurrence of violence, (viii) to identify the culprits and punish them, (ix) to resettle the affected families in their respective villages restoring their land to displaced persons, and (x) to provide clean drinking water in all relief camps and arrange sanitary facility to avoid the spread of epidemic.
    According to Sangma and Rabha, the Garos are majority in East Garo Hills district where the Rabhas are minority, while the Rabhas are majority in Goalpara district where the Garos are minority. “Unfortunately, 85 per cent of the Garos have converted to Christianity in Meghalaya and Assam . The A’chik National Volunteers’ Council (ANVC) and the Garo National Liberation Force (GNLF) are two Christian militant outfits active in Garo Hills district of Meghalaya and Goalpara in Assam . Church is allegedly providing surveillance service and material help to these outfits… Again, there are Bangladeshi Muslims in sizeable number, most of whom have married Garo girls mostly from Christian converts. These neo-Muslims with Christian Garo girls as their house-wives have an eye on the fertile plain cultivable land owned by Rabha Hindus. The economic conditions of Rabha are not bad. They have matching economic condition. These Muslims want to oust Rabhas from their villages so that they can occupy displaced Rabhas’ land. These Muslims have formed a United Front comprising Garo Christians, Muslims and disgruntled non-Rabha groups. They are helping Garos in burning Rabha villages,” Sangma and Rabha told the Prime Minister, and added: “The Garos and Rabhas have been living together cordially for centuries. They have matrimonial relations with each other. They share their joys and sorrows on every festive occasions with each other. They participate in the festivals and domestic ceremonies of each other… Resubelpara is originally a Rabha village but after creation of separate Meghalaya State in 1971, Garos achieved more political mileage over Rabhas demographically. Again, ABDK (A’chik Baptist Dalgipa Krima – Garo Baptist Convention) held its next Baptist Church Convention in Darangiri village of Goalpara district in Assam in 2008. This village also has a mixed population of Garos and Rabhas. Here, Hindu Rabhas have little edge over Christian Garos. The people of the area talk of hidden agenda of Church in organizing two consecutive Baptist Church conversions in villages inhabitated mostly by Rabha Hindus. Garo Baptist Church foresees a rich harvest in Rabha Hindu community. Rabha Hindus and Garo Hindus resist this Church onslaught. But Church appears to be heavy over Rabha Hindus due to the hostile and unholy nexus between Church, militant outfits, Bangladeshi Muslims and selfish political leaders across the party line, including Meghalaya Government Machinery masked NGOs and anti-national Human Rights Organizations. Some of the Rabha Christians also are reported to be spying for Garo Churches against Rabha Hindus.”
    The two GRPC leaders further told the Prime Minister that “in this area, 75% Rabhas voted in last Assembly election for the AGP, the rest 25% Rabha voters were shared by the NCP, the AIUDF and the Congress that has only one MLA from Rabhas whereas AGP has 3 MLAs, NCP 1, Independent 1 and the AUDF 2. And almost 75% Garos voted for the NCP and the rest 25% Garos votes were shared by the AGP, Congress and the AUDF. In view of approaching Assam Assembly election, the hidden role of some of the party politicians is also not ruled out. The doctrine of first making the voters displaced and destitute through mass killing, arson and loot with the help of antisocial elements and criminals and distribute the relief materials amongst the victims and thereby win them over to vote for them appears to be at work.”
    They further said: “The missionary mission of Church is very aggressive and multipronged in this area. Before and after the Christmas, the programs of Church and door-to-door contact by missionaries are aggressive which Rabhas do not like. But they are helpless and they have to bear the brunt in silence due to fear of Christian terrorist outfits. Generally, during peace and normalcy, the conversion to Christianity does not occur in proportion to investments made by the Church in terms of men and money. The social chaos and civil uprising provide the golden opportunity to Church for rich harvest. The hostile role of Church during the Dimasa-Karbi clash in 2005 and Dimasa-Jeme upheaval in 2009 was witnessed. Similarly, the hostile role of Church is also experienced in current clash between the Garos and the Rabhas. This opinion is strengthened by the fact that altogether 10 mandirs of Rabha Hindus have been burnt down in various Rabha villages whereas not even a single Church is harmed. The missionary movement in the garb of rehabilitators are unchecked and unhindered in disturbed areas. Father S Santiago, Director of the Northeast Diocesan Social Forum said that land and border disputes led to clashes. The Catholic Church has constituted a joint peace mission. They have sought permission to setup relief camps for the victims. Garo Baptist Convention and other Church groups are in contact of leaders of both groups. These are nothing but rubbing salt on burn injuries of innocent Rabhas and Garos.”

    TOP
    Over 20,000 persons, most of them Rabha tribals, have taken shelter in 26 relief camps in Goalpara district, while about 4,000 people have been lodged in camps in East Garo Hills district, sources said.

  4. असम में हालत बिगड़ने के लिए कांग्रेस की वोट बेंक की निति और उनका असीमित मुस्लिम प्रेम है. आज़ादी के बाद से ही असम में पूर्वी पाकिस्तान ( अब बंगलादेश)से घुसपेंठ चल रही है. नेहरूजी के ज़माने में जब इंटेलिजेंस ने इसकी जानकारी नेहरु जी को दी और बताया की इस काम में बिमल प्रसाद चालिहा,मोयिनुल हक़ चौधरी और फखरुद्दीन अली अहमद मदद कर रहे हैं तो नेहरु जी उन्हें रोकने की जगह उन्हें आसाम से हटाकर केंद्र में बुला लिया.अस्सी के दशक के प्रारंभ में जब ओल असम स्टुडेंट यूनियन ने जबरदस्त आन्दोलन किया तो सर्कार ने उन्हें अवैध घुसपैठियों की पहचान के लिए ट्रिबुनल की भूल भुलैय्या में फंसा दिया और समस्या जस की तस बनी रही. लगता है फिरसे ब्रह्मपुत्र और तीस्ता का पानी खौलेगा.काश हमारे इन छद्म धर्मनिरपेक्ष नेताओं को सद्बुद्धि आ जाये.

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