दिव्यता की निशानी है दूध

डॉ. शंकर सुवन सिंह

दूध पेय पदार्थों में श्रेष्ठ है। दूध, आहार की दिव्य अवस्था का दूसरा नाम है। दूध मानव जीवन के खान पान का विशिष्ट अंग है। दूध के बिना स्वास्थ्य अधूरा है। दूध संपूर्ण आहार है। दूध एक अपारदर्शी सफेद द्रव है,जो मादाओं के दुग्ध ग्रन्थियों द्वारा बनाया जता है। नवजात शिशु तब तक दूध पर निर्भर रहता है जब तक वह अन्य पदार्थों का सेवन करने में अक्षम होता है। दूध में मौजूद संघटक है पानी, ठोस पदार्थ-वसा, लैक्टोज, प्रोटीन, खनिज वसा विहिन ठोस। अगर हम दूध में मौजूद पानी की बात करें तो सबसे ज्यादा पानी गधी के दूध में 91.5% होता है। पानी कि मात्रा घोड़ी में 90.1%, मनुष्य में 87.4%, गाय में 87.2%, ऊंटनी में 86.5% और बकरी में 86.9% होता है। दूध में कैल्शियम, मैग्नीशियम, ज़िंक, फास्फोरस, आयोडीन, आयरन, पोटैशियम, फोलेट्स, विटामिन ए, विटामिन डी, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी-12, प्रोटीन आदि मौजूद होते हैं। गाय के दूध में प्रति ग्राम 3.14 मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। गाय का दूध पतला होता है। जो शरीर मे आसानी से पच जाता है। दूध के सफेद रंग के लिए प्रोटीन और वसा की मात्रा जिम्मेदार होती है। एक गाय प्रतिदिन लगभग 6.3 गैलन दूध का उत्पादन करती है। दुनिया का सबसे दुर्लभ पनीर बनाने के लिए लोग गधी के दूध का इस्तेमाल करने लगे हैं। एक सर्बियाई चीज़मॉन्गर (चीज़ बेचने वाला) ने इस तरह का पनीर बनाया है, जो 500 डॉलर प्रति पाउंड में बिक रहा है। दूध में वे सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो जीवन के लिए आवश्यक है। मनुष्य पूरी तरह से दूध पर जीवित रह सकता है। स्तनपान कराने वाली गाय प्रतिदिन 420 पाउंड पानी का सेवन करती है,जो गर्म महीनों में दोगुना हो सकता है। दूध हमारे जीवन का लगभग एक अनिवार्य हिस्सा है। छोटे बच्चों के आहार से दूध की कमी असंख्य स्वास्थ्य विकारों का कारण बन सकती है। दूध के जीवनदायिनी गुण वास्तव में शानदार हैं। दूध शाकाहारियों के लिए प्राथमिक प्रोटीन स्रोत है। दूध विटामिन डी का एक दुर्लभ खाद्य स्रोत भी है। आयुर्वेद के अनुसार गाय के ताजा दूध को ही उत्तम माना जाता है। पुराणों में दूध की तुलना अमृत से की गई हैं, जो शरीर को स्वस्थ मजबूत बनाने के साथ-साथ कई सारी बीमारियों से बचाता है। पुराणों में दूध की तुलना अमृत से की गई हैं, जो शरीर को स्वस्थ मजबूत बनाने के साथ-साथ कई सारी बीमारियों से बचाता है। अथर्ववेद में लिखा है कि दूध एक सम्पूर्ण भोज्य पदार्थ है। इसमें मनुष्य शरीर के लिए आवश्यक वे सभी तत्व हैं जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता होती है। ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 71 वें सूक्त के छटवें मन्त्र में कहा है : गोषु प्रियम् अमृतं रक्षमाणा ( ऋगवेद 1/71/6 ) इसका अर्थ है गोदुग्ध अमृत है यह बीमारियों (रोगों) से हमारी रक्षा करता है। चरक शास्त्र संसार के प्राचीनतम चिकित्सा शास्त्रों में गिना जाता है। चरक सूत्र स्थान 27/224 (1.सूत्रस्थानम् ,27. अन्नपानविध्यध्याय (सेक्शन/अनुभाग/मंडल -1, चैप्टर/अध्याय/सूक्त 27, ऋचाएं / वर्स 217-224) में दूध के गुणों का वर्णन इस प्रकार किया गया है – स्वादु शीतं मृदु स्निग्धं बहलं श्लक्ष्णपिच्छिलम्। गुरु मन्दं प्रसन्नं च गव्यं दशगुणं पयः || 217 || चरक 27/217 , अर्थात गाय का दूध मीठा, ठंडा, शीतल, नर्म, चिपचिपा, चिकना, पतला, भारी, सुस्त और स्पष्ट – इन दस गुणों से युक्त है। इस प्रकार यह समानता के कारण समान गुणों वाले ओजस को बढ़ाता है। इसलिए गाय के दूध को शक्तिवर्धक और रसना के रूप में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। गाय की तुलना में भैंस का दूध भारी और ठंडा होता है। अतएव गाय के दूध को पचाना आसान होता है। बाइबिल में भी दूध की महिमा का वर्णन है – यशायाह – अध्याय 66 पैरा 11 में इस प्रकार वर्णन मिलता है-“जिस से तुम उसके शान्तिरूपी स्तन से दूध पी पीकर तृप्त हो; और दूध पीकर उसकी महिमा की बहुतायत से अत्यन्त सुखी हो॥”तू ने अपने बैरियों के कारण बच्चों और दूध पिउवों के द्वारा सामर्थ की नेव डाली है, ताकि तू शत्रु और पलटा लेने वालों को रोक रखे(भजन संहिता 8:2)। कुरान शरीफ 16 – 66 में लिखा हैं कि बिलासक तुम्हारे लिए चौपायों में भी सीख हैं। गाय के पेट की चीजों से गोबर और खून के बीच में से साफ़ दूध पीने वालों के लिए स्वाद वाला हैं। हजरत मोहम्मद साहब ने कहा है कि गाय दौलत कि रानी हैं। जब भारत में इस्लाम का प्रचार शुरू हुआ,तब गौ रक्षा का प्रश्न भी सामने आया, इसे सभी मुस्लिम शासको ने समझा और उन्होंने फरमान जारी करके गाय बैल का क़त्ल बंद किया था। बेगम हजरत आयशा में हजरत मोहम्मद साहब लिखते हैं कि गाय का दूध बदन की ख़ूबसूरती और तंदुरुस्ती बढाने का बड़ा जरिया हैं|(नासिहते हाद्रो)हजरत मों.साहब लिखते हैं कि गाय का दूध और घी तंदुरुस्ती के लिए बहुत जरूरी है। गाय का मांस बीमारी पैदा करता है,जबकि उसका दूध दवा है। भैंस के दूध में प्रति ग्राम 0.65 मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। भैंस के दूध में गाय के दूध की तुलना में 92 प्रतिशत कैल्शियम, 37 प्रतिशत लौह और 118 प्रतिशत अधिक फॉस्फोरस होता है। इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के अनुसार गाय के दूध से बेहतर भैंस का दूध होता है। उसमें कम कोलेस्ट्रॉल होता है और मिनरल अधिक होते हैं। भैंस का दूध वजन और मांसपेशी मजबूत करता है। आयुर्वेद के अनुसार जो लोग अखाड़े/जिम मे जाते हैं उनके लिए सबसे बेस्ट है। दूध ऊर्जा युक्त आहार है। दूध शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। दूध में एमिनो एसिड एवं फैटी एसिड मौजूद होते हैं। डॉ. वर्गीज़ कुरियन की जयंती पर राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाने का विचार सन 2014 में सबसे पहले इंडियन डेरी एसोसिएशन ने दिया था। डॉ. वर्गीज़ कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को केरल के कोझिकोट में हुआ था। उन्हें श्वेत क्रांति का जनक कहा जाता है। श्वेतक्रांति, भारत के विकास की आधारशिला है। श्वेतक्रांति वैश्विक भोजन का आधार है। वर्ष 2021 में डॉ. कुरियन का 100 वां जन्म दिवस है। डॉ. कुरियन को भारत का मिल्क मैन भी कहा जाता है। चूँकि दूध एक महत्वपूर्ण आहार है इसलिए स्वास्थ्य के लिहाज से इसे हर व्यक्ति को लेना चाहिए।
दूध की शुद्धता अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है। भारत विश्व का नंबर वन दुग्ध उत्पादक देश है। भारत में दूध का उत्पादन 14 करोड़ लीटर लेकिन खपत 64 करोड़ लीटर है। इससे साबित होता है की दूध में मिलावट बड़े पैमाने पर हो रही है। दक्षिणी राज्यों के मुकाबले उत्तरी राज्यों में दूध में मिलावट के ज्यादा मामले सामने आए हैं। दूध में मिलावट को लेकर कुछ साल पहले देश में एक सर्वे हुआ था। इसमें पाया गया कि दूध को पैक करते वक्त सफाई और स्वच्छता दोनों से खिलवाड़ किया जाता है। दूध में डिटर्जेंट की सीधे तौर पर मिलावट पाई गई। यह मिलावट सीधे तौर पर लोगों की सेहत के लिए खतरा साबित हुई। इसके चलते उपभोक्ताओं के शारीरिक अंग काम करना बंद कर सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दूध में मिलावट के खिलाफ भारत सरकार के लिए एडवायजरी जारी की थी और कहा था कि अगर दूध और दूध से बने प्रोडक्ट में मिलावट पर लगाम नहीं लगाई गई तो देश की करीब 87 फीसदी आबादी 2025 तक कैंसर जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी का शिकार हो सकती है। हमे यह नहीं भूलना चाहिए की “राष्ट्र के समुदाय का स्वास्थ्य ही उसकी संपत्ति है।” अतएव राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर भारत को दूध में होने वाले मिलावट के बारे में सोचना होगा और इससे उबरने के लिए भारत सरकार को ठोस रणनीति बनाने की जरुरत है। जिससे भारत के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो सके और शुद्ध दूध लोगों तक पंहुच सके। यदि दूध मिलावट रहित है तो यह कहने में आश्चर्य नहीं होगा कि दूध, दिव्यता की निशानी है। दूध पर निर्भरता लोगों के स्वास्थ्य को दिव्य बनाती है। राष्ट्र के समुदाय का स्वास्थ्य ही उसकी संपत्ति है। समुदाय या लोगो का स्वास्थ्य भोजन पर आधारित होता है। अतएव हम कह सकते हैं कि दूध, राष्ट्रीय दिव्यता का द्योतक है।

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