प्रधानमंत्री श्री मोदी जी का काले धन पर प्रहार और हमारा देश

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atmमनमोहन कुमार आर्य

8 नवम्बर, 2016 की रात्रि 8.00 बजे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक टीवी प्रसारण कर सरकार के एक हजार और पांच सौ के नोटों के प्रचलन पर सरकारी रोक की जानकारी देशवासियों को दी। स्वामी रामदेव जी ने अनेक वर्षों से बड़ी करेंसी के नोटों के प्रचलन पर रोक लगाने के समर्थन में आन्दोलन किया था तथा अपनी मांग को देश हित सहित कालाधन समाप्त करने में सर्वाधिक सहयोगी सिद्ध किया था। हमें लगता है कि मोदी जी ने कालेधन की समाप्ती हेतु एक हजार तथा पांच सौ के नोटों के प्रचलन पर रोक का निर्णय पर्याप्त सोच विचार कर लिया है। सरकार के कालेधन पर निर्णय से आतंकवादियों, नक्सलवादियों, माओवादियों, अलगाववादियों, हवाला कारोबारियों, रियल स्टेट, भूमाफियाओं, बड़े सरकारी अधिकारियों व व्यवासियों आदि की कमर तोड़ दी है। सरकार का यह निर्णय देश के मध्यम व निम्न वर्गीय आयकर आदि नियमों का पालन करने वाले देश के नागरिकों के हित में लिया गया निर्णय है जिससे भारत के दूरगामी हितों को लाभ पहुंचेगा। इससे बच्चों की शिक्षा व मकान आदि के भी सस्ते होने की आशा की जा रही है। इस निर्णय से सभी देशभक्त व देश प्रेमी अतीव प्रसन्न हैं और मोदी जी को इस निर्णय के लिए खुले दिल से अपनी शुभकामनायें एवं बधाई दे रहे हैं।

 

यह एक ऐसा महत्वपूर्ण एवं बड़ा निर्णय था जिसे सभी स्तरों पर गुप्त रखा जाना आवश्यक था। इसी कारण अनेक ऐसे प्रबन्ध जिससे वर्तमान में देशवासियों को नये करेंसी नोट प्राप्त करने में कठिनाईयां आ रहीं है, उनका पूर्णतया निराकरण एवं समाधान नहीं किया जा सका। 8 नवम्बर, 2016 के बाद से ही देश में सर्वत्र सभी लोगों को सरकार द्वारा निर्धारित सीमा के अनुसार धन निकालने व उसकी व्यवस्था को लेकर युद्धस्तर पर कार्य किये जा रहे है। आरबीआई द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर धन पहुंचाने के लिए हैलीकाप्टर तक का सहारा लिया जा रहा है। बताया जाता है कि दो लाख के लखभग माइक्रो एटीएम व गोबाइल एटीएम भी जनता की सुविधा के लिए उपलब्ध कराय जा रहे हैं। सरकार के सम्बन्धित विभागों सहित सभी बैंकों के अधिकारी भी इसमें सर्वाधिक सहयोग कर रहे हैं। बैंक एवं सरकारी बन्धुओं ने अपने शनिवार व रविवार के अवकाश के दिन ही नहीं छोड़े अपितु प्रत्येक दिन दो घंटे अतिरिक्त कार्य कर रात रात भर अपना हिसाब किताब मिलाते हैं। इस प्रकार यह लगभग बारह घंटे काम रहे हैं जिससे कि देशवासियों को कष्ट न हो। हमें यह भी जानकारी मिली है कि इन बैंक कर्मियों व हमारे पुलिस के बन्धुओं को व्यवस्था में लगे होने के कारण भोजन तक करने का समय नहीं मिल रहा है। इस अतिरिक्त कार्यभार के कारण अनेक बैंक कर्मियों को असुविधायें भी हो रही है। अनेक बैंक शाखाओं में पर्याप्त स्टाफ न होने पर भी वह सभी प्रकार की सुविधायें प्रदान करने का भरसक प्रयत्न कर रहे हैं। मोदी जी ने भी मुक्त कण्ठ से इन सबकी प्रशंसा की है। हमें ऐसी भी सूचनायें मिली हैं कि अनेक रक्तचाप, सुगर सहित अनेक रोगों से ग्रसित बैंक कर्मियों सहित गर्भवती बैंक महिला कर्मचारी भी रात दिन काम करके मोदी जी की देश हित में जारी मुहिम को अपनी जी-जान से सफल बनाने में काम कर रही हैं। इतना सब कुछ होने पर भी नये नोटों व एटीएम में नई टैक्नोलोजी के स्थापन में समय लगने के कारण अनेक देशवासियों को कष्ट हो रहा है परन्तु वह सभी देश हित को सर्वापरि मानकर मोदी जी के निर्णय के साथ हैं। देश अपने इन देशवासियों पर, जो कष्ट सहन कर भी एक हजार व पांच सौ के नोटों का प्रचलन बन्द करने के सरकार के निर्णय के साथ हैं, जितना भी गर्व करे कम है।

 

मोदी जी के इस निर्णय के कारण पाकिस्तान में छपने वाली फेक करंसी का प्रचलन सर्वथा समाप्त हो जाने के कारण पाकिस्तान सहित सभी आतंकवादी, अलगाववादी, कश्मीर में सेना पर पत्थरों की वर्षा करने वाले लोग, नक्सलवादी, हवाला कारोबारी व जमीन की खरीद-फरोक्त जिसमें काले धन का अधिकाधिक प्रयोग होता है, का कारोबार पूरी तरह से ध्वस्त व समाप्त होकर रुक गया है जो मोदी जी की इस मुहिम की बहुत बड़ी सफलता है। इन अराष्ट्रीय कार्यों के बन्द होने से लगता है कि सरकार के पास एक हजार व पांच सौ के नोट बन्द करने के अतिरिक्त इन समस्याओं के हल करने का अन्य कोई उपाय था ही नहीं। इससे सभी देशवासी प्रसन्न है। इससे देश व समाज सुदृण हो रहा है वा हुआ है। देश पर इसके दूरगामी अच्छे परिणाम होंगे।

 

देश के लिए मोदी जी के कालेधन पर प्रहार से जहां कालेधन वालों को दिन में तारे दिखाई दे रहे हैं वहीं हमारे देश में कुछ नेताओं व प्रभावशाली लोगों को मोदी जी की इस फैसले से लोकप्रियता बढ़ने और उनके काले धन के समाप्त होने से अतीव पीड़ा हो रही है। वह खुल कर स्पष्ट शब्दों में तो अपना दुःख व्यक्त कर पाने में असमर्थ है, अतः वह लोगों की परेशानियों को अपनी ढाल बना कर मोदी जी का अनेक कुतर्को से विरोध कर उन पर आक्रमण कर रहे हैं जो सर्वथा अनुचित है। ईश्वर ऐसे नकारात्मक लोगों से देश की रक्षा करें, यह प्रार्थना है। हमें लगता है कि रामायण और महाभारत युद्ध की भांति व देश के स्वराज्य आन्दोलन की तरह ही यह भी एक प्रकार देश को कालेधन से मुक्त कराने व देश मे सत्य की स्थापना के लिए एक धर्मयुद्ध ही हो रहा है जिसमें निश्चित रूप से सत्य की विजय होनी है। देश की जनता को देश विरोधी छद्म देश हितैषियों के दुष्प्रचार में नहीं फंसना चाहिये और ऐसे लोगों को करारा उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री जी को अपना समर्थन व सहयोग देना चाहिये। आज जो स्थिति है वह कल नहीं रहेगी। अगला सप्ताह आते-आते सारी स्थिति सामान्य हो जायेगी, ऐसा अनुमान किया जा सकता है और हमें यह सही लगता है। आगामी एक सप्ताह में सभी एटीएम सामान्य रूप से काम करने लगेंगे। बैंक से निकासी की सीमा भी सरकार ने बढ़ाई है। अब एक व्यक्ति अपने खाते में से चैबीस हजार रूपये प्रति सप्ताह के हिसाब से महीने में लगभग एक लाख रुपया निकाल सकता है। आगे इसमें और वृद्धि की आशा की जा सकती है। यदि बैंक खाताधारी अपना काम चैक व आनलाईन बैंक ट्रांसफर से करें तो कहीं दिक्कत आने की गुजांइश नहीं रहती है। हमें तो सौ या दो सौ की पुस्तक खरीदनी हो, जल, विद्युत, फोन आदि के बिलों का भुगतान करना हो तो हम घर बैठे ही उनका आनलाइन पेमेन्ट करते हैं जिससे हमें कहीं आना जाना भी नहीं पड़ता। यदि दुकानदार खुदरा सामान न दें तो शहर व नगरों में रहने वाले लोग समीपवर्ती मौल में जाकर वहां उचित मूल्य पर खरीददारी कर डेबिट व क्रेडिट कार्ड से भुगतान कर भी आवश्यकता की वस्तुओं को प्राप्त कर सकते हैं। यह विषय पर बहुत कहा व लिखा जा सकता है। अतः सुविज्ञ पाठ कों के लिए इतना ही पर्याप्त है।

 

देश का यह दुर्भाग्य है कि कुछ समान विचारधारा के लोग अपनी महत्वाकांक्षाओं के कारण प्रधानमंत्री व सरकार का विरोध कर रहे हैं। यह स्थिति अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण एवं निराशाजनक है। हम यहां इतिहास से कोई उदाहरण देने से स्वयं को रोक रहे हैं। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह विपक्षियों को अकारण देश के प्रधानमंत्री का विरोध न करने के लिए उन्हें सदबुद्धि प्रदान करें जिससे वह असहयोग का मार्ग छोड़ कर सहयोग का मार्ग अपनायें जिससे हमारा देश विश्व की उन्नत अर्थव्यवस्था बनने के साथ यहां न्याय का राज्य रामराज्य स्थापित हो सके। यही महर्षि दयानन्द और गांधी जी का भी स्वप्न था जिससे हमारे राजनीतिक दल कोशों दूर जा चुके हैं।

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