चुनाव राजनीति

मोदी बनाम अन्य!

-फखरे आलम- modi+kejriwal+rahul
चुनाव के क्रम में, और मतदान से पूर्व जहां महात्वाकांक्षी और देशभक्त, समाज सेवी और कर्मठ नेताओं, राजनेताओं का अन्य पार्टी से भाजपा में आने का क्रम जारी है। ऐसा लगने लगा है कि दो-दो अवसर प्राप्त कर सरकार चलाने वाली कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों ने जैसे हार मान लिया हो ओर जैसे उन्हें अपने फैसलों और सरकार को कामकाज पर पश्चाताप निराशा की ओर ले गई है। उनके बड़े-बड़े और कदावर नेताओं ने या तो चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है अथवा मजबूरी में चुनाव लड़ रहे हैं। कभी कांग्रेस पार्टी और सरकार के नीति निर्धरण करने वाले बड़े-बड़े नेताओं ने, या तो भाजपा का दामन थाम लिया है, अथवा कांग्रेस को छोड़ गऐ हैं।
एम.जे. अकबर जैसे काबिल पत्रकार को भाजपा में शामिल होने पर उन आलोचाकों को लगाम अवश्य लगेगा जो सेकूलर के नाम पर वोट मांगते आए हैं। अथवा भाजपा और मोदी का भय दिखाकर वोट पाते आऐ हैं। कुछ लोगों ने इतना शोर मचाया है कि मोदी के आने से देश का क्या होगा? यह वही लोग हैं जिन्होंने कभी भाजपा के सत्ता में आने पर भय का वातावरण बनाया था। मगर भाजपा के अगुआई में एनडीए ने छह वर्षों तक देश पर शासन करके अटल की अगुआई में सफल और कुशल सरकार दे चुके हैं।
मैं कांग्रेस और यूपीए के लिए डूबते हुऐ नाव जैसे शब्द का प्रयोग नहीं करूंगा। मगर आज कांग्रेस वह खुबसूरत मोड़ की भूमिका में जरूर है। जो अपने पैर को देख कर शर्मा जाती है। आज कांग्रेस अपने दस वर्षों के कामकाज को देखकर दिन रात शमांती रहती है। आखिर वह कौन सी उपलब्ध्यिों और कार्य को लेकर जनता के मध्य जाऐगी।
अगर आज भाजपा की ओर लोगों का रूझान बढ़ता जा रहा है। जनता का विश्वास भाजपा में बढ़ने लगा है। मोदी अब विकल्प ही नहीं आवश्यकता लगने लगे हैं। देश की हित में और समाज के हित में जो गलती यूपीए और कांग्रेस की है। न कि भारत के जनता की। भारत की जनता ने कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए को एक नहीं दो-दो अवसर दिए हैं और जनता को बदलेे में क्या मिला- भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी, अव्यवस्था, आन्दोलन, बेरोजगारी, यूपीए के दूसरे चरण में सरकार के खिलाफ और जनता के नाराजगी के कारण अनेक आन्दोलन ने जन्म लिया। यही यूपीए और कांग्रेस की सरकार की सबसे बड़ी विपफलता रही है।
देश के अन्दर इन दस वर्षों में जो कुछ हुआ उसे न तो गिनवाने की आवश्यकता है और न ही उसे दोहराने की जरूरत है। यह सब जनता को पता है। मगर नरेन्द्र मोदी के बढ़ते कदम और उनके नेतृत्व में जागते भारत के जनता की विश्वास ने गैर भाजपाई पार्टियों को डरा दिया है। और नरेंद्र मोदी और भाजपा के सामने आप पार्टी और उनके प्रमुख अरविन्द केजरिवाल को मिडिया ने लगातार पेश करने का काम किया है। जबकि जमीनी वास्तविकता कुछ और ही है। पांच राज्यों में सम्पन्न हुए चुनाव का परिणाम एक कांग्रेस, एक आप पार्टी और तीन भाजपा के पक्ष में रहा था। परिणाम क्या हुआ? दिल्ली की जनता ने जजबाती होकर जो फैसला किया उसका परिणाम उन्हें ठगी से भुगतना पड़ा है। गुजरात के विकास, गुजरात के दंगा, भाजपा और मोदी पर दंगे के आरोप लगाकर उन्हें अब न तो उन्हें रोका जा सकता है और न ही उन्हें गुमराह किया जा सकता। अब पार्टिर्यों की नहीं जनता की अपनी इच्छा चलेगी। जनता दस वर्षों में उब चुकी है। अब जनता को नरेन्द्र मोदी और उनकी नेतृत्व में भारत का भविष्य और नवीन भारत की तस्वीर दिखाई दे रही है। अब कोई भी राजनीति संयंत्रा और हथकंडे जनता को न तो भ्रमित कर सकती और न ही गुमराह कर सकती है।