देश में कायम है मोदी की लहर

राजनैतिक परिवर्तन और बदलाव की बयार में वर्ष 2014 बह रहा है यह बात साबित हो चुकी है महाराष्ट्र और हरियाण के विधानसभा चुनाव परिणामों से कुछ उपचुनावों के परिणामों के आधार पर देश के विरोधी दल और चुनावी पंडित यह कहने लग गये थे कि ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की लहर अब उतर चुकी है। लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव परिणामों ने इन लोगों का मुंह एक बार फिर से बंद कर दिया है। भाजपा को इन दो प्रांतो में मिली विजय से प्रधानमंत्री मोदी व उनकी सरकार को एक बार फिर से नया आत्मविश्वास प्राप्त हो सका है। साथ ही भाजपा में भी प्रधानमंत्री मोदी व अध्यक्ष अमित शाह की लोकप्रियता में भी वृद्धि हुई है । राजनैतिक विश्लेषकों का मत है कि इन दो प्रांतों में मिली सफलता के बाद भाजपा की अंदरूनी राजनीति में भी अब प्रधानमंत्री मोदी बहुत ही अधिक ताकतवर हो जायेंगे। एक प्रकार से जैसे कभी कांग्रेस में नेहरू व इंदिरा का युग था उसी प्रकार अब भाजपा में अटल- आडवाणी युग के बाद मोदीयुग का प्रारम्भ हो गया है। यह चुनाव प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता का वाकई में पैमाना बन गये थे। पूरे देश की निगाहें इन चुनावों पर थीं। इसलिए तो प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर चुनावों में भाजपा को विजयी बनाने की सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। यही कारण था कि प्रधानमंत्री मोदी ने हरियाणा जैसे छोटे प्रांत में दस दिनों में ग्यारह रैलियां करके जनता से एक बार फिर पूर्ण बहुमत के साथ मजबूर सरकार मांगी और इसी बात का प्रचार महाराष्ट्र में भी किया। मोदी की बात को हरियाणा में पूरा समर्थन मिला जबकि महाराष्ट्र की जनता बहुत से स्थानीय कारणों के कारण ऐसा नहीं कर सकी।

आज प्रधानमंत्री मोदी भारतीय राजनीति के द ग्रेट गैम्बलर बनकर उभर रहे है। वे भारतीय राजनीति के नये नायक बनकर उभर रहे हैं। आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश को ऐसा नेतृत्व मिल गया है जो केवल नये युवा मतदाताओं के सहारे ही देश की राजनीति को बदल रहा है। अब देश के मतदाता को भी लग रहा है कि जब तक केंद्र और राज्यों में एक समान पूर्ण बहुमत वाली सरकारें नहीं बनेंगी तब तक विकास की सम्भावना नहीं होगी। लूट खसोट बनी रहेगी।

हरियाणा के विधानसभा चुनावों में कई बातें पहली बार हुई हैं। वहां पर भाजपा अभी तक केवल 26 के आसपास सीटों पर ही लड़ती थी और उनमें से मात्र 16 पर ही जीतती थी। लेकिन इस बार भाजपा ने हिम्मत दिखायी और पुरानी परम्परा को तोड़ते हुए गठबंधन को तोड़ते हुए सभी सीटों पर चुनाव लड़ा जिसका परिणाम हम सबके सामने है। आज वहां भाजपा अकेले दम पर सरकार बना रही है।इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के अभूतपूर्व प्रचार के चलते हरियाणा की चौटाला परिवार की राजनीति का अब लगभग समापन हो गया है। साथ ही अब इस परिवार के अधिकांश लोगों का जीवन यापन जेल में ही होने का समय आ गया है। हिसार के क्षेत्र में नवीन जिंदल के वर्चस्व को गहरा आघात लगा है। पहले नवीन जिंदल की हार हुई फिर उनकी मां की और फिर उसी दिन कोयला घोटाले में उनकी कंपनी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो गयी है। मोदी लहर के चलते आपराधिक प्रवृत्ति व दलबदलू नेताओं की दबंगई को जनता ने सिरे से नकार दिया है। जिसमें गोपाल कांडा जैसे नेता भी हैं। यह लोग सोच रहे थे कि अगर भाजपा को बहुमत नहीं मिला तो वे लोग ब्लैकमेंलिंग करके अपने राजनैतिक और व्यक्तिगत स्वार्थों का हित साधन करेंगे। हालांकि कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुडडा अपनी व्यक्तिगत छवि के कारण चुनाव जीतने में सफल रहे लेकिन उनकी कारस्तानी के चलते कांग्रेस तीसरे पायदान पर पहुंच गयी है और विपक्ष का पद भी गंवा बैठी है। हरियाणा की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी को बातों को सुना और समझा तथा सही फैसला करके राजनैतिक समझ का परिचय दिया है। वहां की जनता ने वंशवाद की राजनीति करने वाले घोटालेबाज नेताओं को पूरी तरह से नकार दिया है। हरियाणा में भाजपा को गैर जाट वोटरों का सर्वाधिक लाभ मिला है। भाजपा ने जाट बहुल इलाकों में 27 जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था लेकिन उसमें केवल सात उम्मीदवार ही जीतने में सफल रहे।

इसी प्रकार महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव परिणामों ने भी कई रोचक पहलू उजागर किये हैं। यहां पर भी सभी दलों के गठबंधन टूट गये थे। लगभग सभी दलों ने पहली बार अकेले चुनाव लड़ा और भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरकर सामने आयी है। वहां पर पहली बार ऐसा हुआ है कि भाजपा बहुमत के करीब पहुचकर थम गयी । ऐसा कुछ क्षेत्रीय दलों की उपस्थिति के कारण भी हुआ है। हालांकि भाजपा का पुराना सहयोगी शिवसेना कुछ बातों को पूरी तरह से मानने के लिए अभी तक तैयार नहीं हो रही है उसका कहना है कि महाराष्ट्र में किसी एक दल की लहर नहीं थी और नहीं किसी को पूर्ण विजय प्राप्त हुई है। भाजपा ने चुनाव प्रचार के दैारान शिवसेना को कुछ भी नहीं कहा जबकि शिवसेना प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ शर्मसार करने वाली आपत्तिजनक बयानबाजियां करती रहीं। आज हालात सबके सामने हैं। अब सकरार बनाने के लिए भाजपा पर नहीं अपितु शिवसेना पर यह दबाव है कि वह भाजपा को बिना शर्त समर्थन दे । अन्यथा भाजपा तो अब सरकार बना ही रही है। महाराष्ट्र की राजनीति के कुछ क्षेत्रों में शरद पवार का वर्चस्व अभी भी कायम है हालांकि मराठा मानुष की राजनीति करने वाले राज ठाकरे को गहरा आघात लगा है। चुनाव के दौरान राज ठाकरे ने महाराष्ट्र को अधिक स्वायत्ता की मांग की थी आज उनका केवल एक विधायक ही सदन में पहुंच सका है। महाराष्ट्र की राजनीति में सपा के अबू आजमी और औवेसी की पार्टी भी पहली बार अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में सफल रही है। कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए सौदेबाजी करने वाले नारायण राणे हार गये हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा के दिग्गज दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटियों ने अपनी लोकप्रियता का जबर्दस्त डंका बजवाया है। हालांकि इसकी वजह उनकी पिता की मौत से उपजी सहानुभूति तो थी ही साथ ही पंकजा मुंडे ने भाजपा के लिए काफी काम भी किया।

राजनैतिक आंकलन तो होते ही रहेंगे दोनो ही प्रांतों में जनता ने कांग्रेस के वंशवादी विकास की राजनीति को जनता ने नकार दिया है।घोटालेबाजों व सत्ता के ठेकेदारों का सफाया कर दिया है। जनता ने विकास व भ्रष्टाचारमुक्त सरकारों के लिए निर्णय सुनाया है। प्रधानमंत्री मोदी के कांग्रेसमुक्त अभियान को नये पंख लगे हैं। प्रदेशों की जनता ने शांति, स्थिरता व विकास के लिए मत दिया है। अब भाजपा को भी जनता के विश्वास पर खरा उतरना है।

1 COMMENT

  1. लेख में राजनीति की यथार्थ स्थिति का वर्णन है। आज देश को नरेंद्र मोदी जी की आवश्यकता है। उन्होंने भारत के योग्य प्रधानमंत्री होने का डंका सारे आलम में बजा दिया है।

Leave a Reply to Man Mohan Kumar Arya Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here