टेक्नोलॉजी समाज

निगरानी प्रौद्योगिकी

एक प्रसिद्ध उक्ति है, “ जिस व्यक्ति को एकान्तता (Privacy) के प्रति सम्मान नहीं हो वह बर्वर होता है तथा जो अपने आचरण में गोपनीयता(secrecy) बनाए रखे वह खतरनाक होता है।“ अभी के सन्दर्भ में यह उक्ति प्रासंगिक हो गई है क्योंकि संकेत स्पष्ट हैं कि हमारे लिए एकान्तता और गोपनीयता बनाए रखना शायद मुमकिन न रहे।

प्राइवेसी आज का तथा आनेवाले दिवों का बहुत ही महत्वपूर्ण विषय हो गया है। आधार,कार्ड मोबाइल, सोशल साइट्स इण्टरनेट के हमें उघार कर रखा है। समाज का कोई तबका इनकी पहुँच से बाहर नहीं रह गया है।

बहुत सारे भविष्यवादी, विज्ञानकथाओं के लेखक और गोपनीयता के हिमायती चिन्तित हैं कि भविष्य में एकान्तता (Privacy) हमारे नसीब में नहीं उपलब्ध रहेगी।। वे चेतावनी देते रहे हैं——  हम कब कहाँ होते हैं, मोबाइल फोन के जरिए सहज रूप से जाना जा पाता है। दुनिया के हर कोने में फैलते जा रहे सी.सी.टी.वी.(Close Circuit Television) कैमरा अकसर हमारी हरकत बताते रहते हैं। हमारे ट्रांजिट पास और क्रेडिट पास डिजिटल चिह्न छोड़ जाया करते हैं।  डेविड ब्रिन ने सन 1998 ई. में प्रकाशित अपनी किताब ‘दि ट्रांसपैरेण्ट सोसाइटी’ में लिखा है, “हमारे जीवन का करीब हर कोना रोशन रहनेवाला है।”,

“अब सवाल यह नहीं है कि निगरानी प्रौद्यौगिकी के प्रसार को कैसे रोका जाए, बल्कि  कि ऐसी दुनिया में कैसे जिया जाए जहाँ कि हमारे हर कदम पर नजर रखी जाने की पूरी सम्भावना है।”

पिछले कुछ सालों में कुछ अजीब बातें हुई हैं। मोबाइल फोन, डिजिटल कैमरा और इण्टरनेट के प्रसार के नतीजे में निगरानी प्रौद्यौगिकी, जिस पर कभी राज्य का एकाधिकार हुआ करता था, आज काफी विस्तृत रूप से उपलब्ध हो गया है। सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रुस स्नियर कहते हैं, ”’सरकारी निगरानी के बारे में बहुत काफी लिखा जा चुका है, पर हमें अधिक साधारण किस्म की निगरानी की सम्भावना के प्रति भी सावधान होने की जरूरत है। निगरानी टेक्नॉलॉजियों के उपकरणों के छोटे होते जा रहे आकारों, सस्ती हो रही कीमतें और रोजबरोज उन्नत होती हुई पद्धतियों से अधिक से अधिक जानकारी के संग्रहित होते रहने का रास्ता प्रशस्त होता जा रहा है। इसका नतीजा होगा कि “निगरानी की क्षमताएँ जो अभी तक सरकारी क्षेत्र तक सीमित थीं, हर किसीके हाथों में हैं या जल्दी ही हो जाएँगी।”

कैमरा-फोन एवम् इण्टरनेट की तरह की डिजिटल टेक्नॉलॉजी अपने समरूप अन्य टेक्नॉलॉजियों से बहुत अलग होती है। आसानी और शीघ्रता से डिजिटल तस्वीरों की प्रतिलिपियाँ बनाई और दुनिया के किसी भी हिस्से में भेजी जा सकती हैं जैसा पारम्परिक तस्वीरों के साथ नहीं हो सकता।  हकीकत तो यह है कि डिजिटल छवि को इ-मेल करना उसके मुद्रण करने से अधिक आसान है। एक बड़ा फर्क यह है कि डिजिटल यंत्र बहुत अधिक व्यापक हैं। आज बहुत ही कम लोग फिल्म कैमरा हर वक्त अपने साथ रखते हैं। दूसरी ओर ऐसै मोबाइल फोन मिलना आज बहुत कठिन है जिसमें कैमरा शामिल नहीं रहता।— और अधिकतर लोग फोन अपने साथ लिए चला करते हैं। डिजिटल कैमरा की गति एवम् सर्वव्यापकता उन्हें ऐसे कामों को करने की ताकत देती है जो फिल्म पर आधारित कैमरे से नहीं किए जा सकते। उदाहरण के लिए टेनेसी, नैशविले में राहजनी के एक भुक्तभोगी ने अपने मोबाइल फोन के कैमरा से लुटेरे और उसकी गाड़ी की तस्वीरें खींच ली। ये तस्वीरें पुलिस को दिखलाई गई, जिसने लुटेरे और उसकी गाड़ी का वर्णन प्रसारित कर दिया, और दस मिनट के भीतर लुटेरा पकड़ा गया। इसी तरह की बहुत सी घटनाओं की कहानियाँ हम हमेशा सुना करते हैं।

आपके हर कदम पर निगाह बनी हुई है।

निगरानी का गणतंत्रीकरण मिश्रित वरदान है। कैमरा फोन से ताक झाँक को बढ़ावा मिला है फलस्वरूप लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए नए कानून बनाए जा रहे हैं। अमेरिकी कॉंग्रेस ने सन 2004 में विडियो वॉयुरिज़्म विधेयकVideo voyeurism Act) ग्रहण किया। इसके जरिए किसी व्यक्ति की अनुमति के बग़ैर उसके नंगे बदन के विभिन्न भागों के तस्वीर खींचे जाने को प्रतिबंधित किया गया है। कैमरा फोन के व्यापक प्रसार शयन-कक्षों, सार्वजनिक शौचालयों एवम् अन्य स्थानों में गुप्त कैमरों के होने की घटनाओं के कारण इस विधेयक की जरूरत महसूस की गई। इसी तरह जर्मनी के संसद ने विधेयक ग्रहण किया है जो इमारतों के भीतर अनधिकृत तस्वीरें खींचने को प्रतिबंधित करता है। साउदी अरब में कैमरा फोन के आयात और विक्रय को अश्लीलता फैलाने के आरोप पर अवैध घोषित कर दिया गया है । एक विवाह समारोह में कोहराम मच गया जब एक मेहमान ने अपने कैमरा से तस्वीरें खींचनी शुरु कर दी। दक्षिणी कोरियाई सरकार ने निर्माताओं को ऐसे फोन बनाने की हिदायत दी है जिनसे तस्वीर खींचे जाते वक्त सीटी की आवाज निकले।

सस्ती निगरानी प्रौद्यौगिकी  दूसरे किस्म के अपराधों की राह हमवार करती है। ब्रिटिश कोलम्बिया में एक पेट्रोल पंप के दो कर्मचारियों ने कार्ड रीडर के ऊपर की छत पर एक गुप्त कैमरा लगा लिया और हज़ारों ग्राहकों के पिन ( personal Identification Number) की चोरी कर ली। उन्होंने ऐसा एक यंत्र भी स्थापित कर दिया जो उपभोक्ताओं के खातों के विवरण की नकल तब कर लेता है जब वे अपने प्लास्टिक कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। इस दो व्यक्तियों ने पकड़े जाने के पूर्व 6,000 से अधिक लोगों के खातों के विवरण इकट्ठा कर लिए थे तथा साथ ही 1,000 बैंक कार्ड्स की जालसाजी कर ली थी।

निगरानी प्रौद्योगिकी दुधारी तलवार है।

लेकिन निगरानी प्रौद्यौगिकी के प्रसार के लाभदायक पहलू भी हैं। खासकर पारदर्शिता एवम् जवाबदेही बढ़ाने में इसका योगदान उल्लेखनीय है। आज स्कूलों में कैमरों की संख्या में रोजबरोज वृद्धि होती जा रही है. अमेरिका की सैकड़ों शिशु देखभाल केन्द्रों के कैमरों से पैरेण्टवाच.कॉम और किण्डरकैम.कॉम जैसी वेब पर आधारित सेवाएँ जुड़ी रहती हैं, ताकि माता-पिता देखते रह पाएं कि उनके बच्चे और उनकी देखभाल करने वाले कर्मचारी क्या कर रहे हैं। स्कूलों की कक्षाओं में भी वेबकैम लगाए जा रहे हैं। औद्योगिक कम्पनियों ने अपने कर्मचारियों के रेस्तराओं में वेबकैम लगाए हैं ताकि रेस्तराओं में भीड़ रहने पर कर्मचारी वहाँ भोजन करने जाने में देर कर सकें। अबु ग़रीब जेल में कैदियों पर पाशविक अत्याचार का पर्दाफाश विडियो प्रौद्योगिकी के कारण ही मुमकिन हो पाया है।

निगरानी प्रौद्योगिकी के प्रसार के सामाजिक परिणाम अभी भी स्पष्ट नहीं हैं। श्री ब्रिन के सुझाव के अनुसार यह स्वतः-नियामक हो सकता है। यह तो जगजाहिर है कि ताक-झाँक करने वाले लोगों को इज्जत की निगाह से नहीं देखा जाता। घूरते हुए किसी रेस्तराँ में पकड़ा जाना बड़ा ही शर्मनाक होता है। दूसरी ओर कैमरों और निगरानी के अन्य उपकरणों के सर्वव्यापी होने से व्यक्तियों के अधिक परम्परावादी होने की सम्भावना भी बढ़ सकती है। क्योंकि अपने ऊपर बहुत ज्यादा ध्यान पड़ने से बचने के लिए लोग अपने व्यक्तिगत खूबियों को जाहिर करने से बचने की कोशिश करेंगे।

जैसा कि प्राइवेसी के हिमायतियों ने बहुत पहले से चेतावनी दी है, एक ऐसे समाज  के उभड़ने की प्रक्रिया रोजबरोज बढ़ती जा रही है जिसमें  पहरेदारी(Surveillance) को सामाजिक अनुमोदन मिला रहेगा।  प्राइवेसी की मर्यादा पर ग्रहण लग रहा है। यद्यपि अब तक इसका वह रूप नहीं हुआ है जिसकी कल्पना की जा रही है।