मातृ-भूमि वन्दना -राज सक्सेना

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india     भरत-भूमि,भव-भूति  प्रखण्ड |

उन्नत, उज्ज्वल, भारतखण्ड |

सकल-समन्वित,श्रमशुचिताम, शीर्ष-सुशोभित,श्रंग-शताम |

विरल-वनस्पति, विश्रुतवैभव,  पावन,पुण्य-प्रसून,शिवाम |

हरित-हिमालय, हिमनद-खण्ड |

उन्नत, उज्ज्वल, भारतखण्ड |

नासिक्, मथुरा,   पंच-प्रयाग् ,भक्ति-भरित,भव-भूमिप्रभाग |

सोमनाथ, श्रीनगर, सांईजी,   कन्या – अन्तरीप      संभाग |

धीर, धवल-ध्वज, धराप्रखण्ड |

उन्नत, उज्ज्वल, भारतखण्ड |

सर्व-सुलभ, श्रुत-श्रेष्ठ  विहार,  केरल,   कर्नाटक,   हरिद्वार |

परम-प्रतिष्ठित, चतुष्धाम्-मय,  द्वादश- ज्योर्तिलिंग, प्रसार |

तपोनिष्ठ ,तपभूमि ,  प्रचण्ड |

उन्नत, उज्ज्वल, भारतखण्ड

शौर्य, सत्य, शुचिता-संवास ,सर्वधर्म,  समुदाय  समास |

पावन-प्रेम,   परस्पर-पूरित,  मूल सहित,श्रमशील प्रवास |

भ्रातृभाव, भवभक्ति  अखण्ड |

उन्नत, उज्ज्वल, भारतखण्ड |

 

2 COMMENTS

    • आप सरीखे विद्वान् का आशीर्वाद मेरे लिए एक सम्मान है | प्रयास सफल हुआ मेरे लिए यही सवसे बड़ी उपलब्धी है | आशा है आप स्नेह बनाए रखेगे |

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