परित्राणाय साधुनाम विनाशाय च दु:श्चकृताम !
धर्मसंस्थापर्थनाय संभवामि युगे युगे !! (गीता)
भगवान् श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि जब जब धरती पर सज्जन पुरुषों के साथ अन्याय होगा तब तब वो धर्म की स्थापना के लिए हर युग में आयेगे ! और कलयुग में संगठन के रूप में ही समाज की रक्षा होगी – संघे शक्ति कलौ युगे , ऐसा अर्जुन को उपदेश दिया था ! भगवान कृष्ण द्वारा उद्धार के कुछ समय पूर्व तक तत्कालीन मथुरा के आतातायी और दुराचारी राजा कंस को जैसे हर जगह भगवान् श्री कृष्ण के दर्शन होते थे ठीक वैसे ही आजकल कांग्रेस पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य के प्रभारी श्री दिग्विजय सिंह के माध्यम से समूची कांग्रेस पार्टी के साथ – साथ पूरी यूंपीए-२ सरकार को ही हर जगह संघ ही संघ दिखाई दे रहा है जो निश्चित ही कांग्रेस को आगामी चुनावों में हिसार की तरह सूपड़ा-साफ हो जाने की व्याकुलता को दर्शाता है !
परन्तु सबसे ज्यादा समय तक भारत पर राज करने वाली कंग्रेस पार्टी जो अपने को ” कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ” के रूप में प्रतिष्ठित करने की कुटिल और कुत्सित विचारधारा से अपने श्री दिग्विजय सिंह जैसे भोपुओं की कवरिंग फायर की आड़ में सिर्फ अपने स्विस बैंक बैलेंस को सम्हालते हुए आम जनता के विश्वास को सदैव बरगलाने की कोशिश करती रही है , जिसके पर्दाफाश करने वाले बाबा रामदेव ने जब काले धन के वापसी की बात की तो पहले एअरपोर्ट पर उन्हें मंत्रियों द्वारा रेड कारपेट वेलकम देने के उपरान्त रातोरात उनके ऊपर पुलिसिया कार्यवाही करवाकर जलियावालां बाग़ की याद दिलाते हुए एक बहन राजबाला की शहादत ले ली और जब श्री अन्ना जी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंका तो सरकार के वकील मंत्रियों ने उन्हें तिहाड़ जेल भिजवा दिया ! और अब एक प्रतिष्ठित संत श्री श्री रविशंकर जिसे सरकार ने अपना दूत बनाकर श्री अन्ना हजारे जी को तिहाड़ जेल में समझाने के लिए भेजा था उनके खिलाफ ही इस भोपूं ने अपना भोपूं बजाकर उन्हें नसीहत कम चेतावनी ज्यादा दे डली !
कांग्रेस की इसी कुटिल मानसिकता व अदूरदर्शिता की परिणति है कि आजादी के ६४ वर्ष बाद आज भी भारत में दो भारत , ग्रामीण और शहरी भारत के रूप में बटा हुआ परिलक्षित होता है , जिसके लिए प्रथम नेतृत्व श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की अदूरदर्शिता से लेकर वर्तमान कमजोर नेतृत्व श्री मनमोहन सिंह तक सभी जिम्मेदार है हालाँकि अपवाद स्वरुप कुछ सुधार की गुंजाईश पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी दूरदर्शिता का परिचय देते हुए जैसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना , नदियों के एकीकरण की योजना के रूप में करने कोशिश की थी जो कि भारतीयता के मूल जैसे गरीबी और सूखे के करण किसानो की आत्महत्या को रोकने और सुदूर वनवासियों तक को सुदृढ़ बनाकर मुख्य धारा में जोड़ने की तरफ सराहनीय कदम था !
यह भोपूं यही रुकता तो ठीक भी था ! हद तो तब हो गयी जब इस भोपूं ने अमेरिका में गोल्ड मैन साक्स के पूर्व निदेशक रजत गुप्ता की जमानत का हवाला देते हुए उन सभी लोगों की जमानत पर रिहा किये जाने की पुरजोर वकालत की , जिनके मामले में जांच पूरी होने आरोप पत्र दाखिल किया चुका है ! ज्ञातव्य है कि टू-जी स्पेक्ट्रम और कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व दूर संचार मंत्री ए. राजा , द्रमुक सांसद कनिमोझी और कांग्रेस सांसद कलमाडी को जेल भेजने की पृष्ठभूमि में यह भोपूं बजा है ! माइक्रो ब्लागिंग साईट ‘टिवटर’ पर ये महोदय न्यायपालिका का मजाक बनाते हुए लिखते है कि ‘ यह जानकार अच्छा लगा कि रजत गुप्ता को जमानत मिल गयी ! क्या हमारी न्यायपालिका इससे कोई सीख लेगी और आरोपपत्र दाखिल होने के बाद विचाराधीनों को जेल में नहीं रखेगी !
अब आजकल कांग्रेस पार्टी अपने इस अनमोल भोपूं का इस्तेमाल देश के १२० करोड़ नागरिक जो कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में लामबंद होकर श्री अन्ना जी के जनलोकपाल बिल के समर्थन में आ गए है तो उनमे फूट डालने के लिए बार बार आर.एस.एस. अर्थात संघ के नाम का मुफ्त में प्रचार करने के लिए कर रही है ! अब तो अन्ना – टीम भी कहने लगी है कि इस भोपूं का कंट्रोल तो दस जनपथ में है इसलिए अब यह अनियंत्रित हो कर कुछ भी बोल रहा है ! कभी योगगुरु बाबा रामदेव को हर मोड़ पर बेईमान साबित करने की कोशिश करने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह आजकल उनकी ईमादारी की तारीफ करते फिर रहे हैं। दिग्विजय का मानना है कि रामदेव अन्ना से ज्यादा ईमानदार हैं। कम-से-कम वह आरएसएस से अपने रिश्ते को तो स्वीकार रहे हैं। लेकिन, अन्ना आरएसएस का समर्थन भी ले रहे हैं और उसका एहसान भी नहीं मान रहे हैं। यह बात मेरे समझ में नहीं आ रही। दिग्विजय ने ट्विटर पर लिखा है कि बाबा रामदेव अपने अभियान के प्रति आरएसएस के समर्थन के बारे में अधिक ईमानदार हैं। वह इसे स्वीकारते हैं। समझ में नहीं आता कि अन्ना इनकार क्यों कर रहे हैं। यह तो एहसानफरामोशी है। लेकिन अगर इस भोपूं की बातों में सच्चाई है तो यह संघ की ऐसी छवि को उघार कर जनता के सामने ला रहा है प्रायः जिसे कम लोग जानते होंगे कि संघ हर उस चीज के खिलाफ है जो देश के खिलाफ है , और हर उस व्यक्ति का साथ देता है जो देश हित में काम करता हो चाहे वो बाबा रामदेव हो , श्री अन्ना हजारे जी हो अथवा प्रसिद्द संत श्री श्री रविशंकर या कोई अन्य ! फिर तो यह संघ के देश भक्ति की बात हुई इसमें किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए ? क्या संघ के लोग देश के नागरिक नहीं है ? क्या संघ अछूत है ?
मुझे लगता है कि शायद अपने इसी देश भक्ति के चलते संघ पर बैन लगने के बाद भी यह वट वृक्ष की भांति निरंतर बढ़ता ही जा रहा है और इसकी उपलब्धियों के चलते शायद देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरु के साथ – साथ पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने अन्य लोगो ने भी समय – समय पर सम्मान दिया है ! अगर संघ किसी आतंकवादी गतिविधि में शामिल है जैसा कि यह भोपूं बार बार चिल्लाता है तो कृपया करके संघ को भी आतंकी संगठन सिमी की तरह बैन करवा कर इसके विचारधारा के लोगो को अर्थात भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को जिनसे आपकी पार्टी के लोगों का रोज संसद के दोनों सदनों राज्य सभा और लोक सभा में पाला पड़ता ही है , जेल में डलवा दीजिये कित्नु ऐसे अनर्गल अपना भोपूं तो न बजाइए !
मेराम्न्ना तो ये की दिग्बिज्य सिंह पूरी तरह से पागल हो चुके है क्योकि साधू संतो और desh ke हितेसी ko hi bah देश का सबसे विशाल satru बना देते है पता नहीं संघ परिवार ने रजा साहव का क्या बुरा कर दिया की वे हर भले बुरे कम के पीछे संघ को ही दोसी मानते है
रजा साहब को सरे आतंकी सगे भाई से ज्यादा प्यारे लगते है और देश और धर्म से जुड़े संगठन और लोग देश द्रोही लगते है में एक राजपूत कुल में पैदा हुआ युवक हूँ हम जब कोई राजपूत का नाम लेते है तो गर्व महसूस करते लेकिन जब रजा साहब का नाम राजपूतो में लिया जाता है तो सर्मिंदगी महसूस होती है की ये कैसे राजपूत है जो संतो का निरादर करने में ही लीन हम तो संतो को भगबान का दर्जा देते है और भगबान कैबीसी में एसा कहने बाला ब्यक्ति कदा पी राजपूत या हिन्दू खलने योग्य नहीं है
और में भी आर सिंह जी के बिचार्प से पूर्ण सहमत हूँ
सत्य वचन . तथ्यों का क्रमवार सही उपयोग . दिग्विजय को दर्पण दिखा दिया .EXCELLENT
आर सिंह जी से सहमति| यह दिग्गी संघ का अप्रतिज्ञित प्रचारक है|
भाई आप लोगों को इस भोपू की आवाज नागवार क्यों लग रही है? मेरे ख्याल से तो संघ का इतना बढिया प्रचारक आज तक पैदा ही नहीं हुआ.अन्ना हजारे और श्री श्री रवि शंकर माने या न माने यह भोंपू जनता के मन में यह बैठा कर रहेगा कि एक तरफ देखो कि कांग्रेस कितना भ्रष्ट है और दूसरी तरफ बीजेपी और आर.एस.एस को देखो तन मन धन से भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई का अगुआ बने हुए हैं. और निःस्वार्थ रूप से बाबा रामदेव की कौन कहे अन्ना हजारे और श्री श्री रवि शंकर का भी साथ दे रहे है.यह भोंपू अगर इसी तरह बजता रहा तो कांग्रेस की नैया ज़रा तेजी से डूबेगी.ऐसे तो मुझे इसमे भोंपू की चाल दिख रही है.कही वह औलिया लोगो के साथ मिल कर एक नयी पार्टी का गठन तो नहीं करना चाहता है.अगर ऐसा भी हुआ तो कांग्रेस का ही घाटा होगा.अगर मेरे ये सब अनुमान सही नहीं भी होतो इतना तो साफ़ है कि यह भोंपू भ्रष्टाचारियों यानी नाली के कीड़ों का भोंपू हैऔर इसके बजने से भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को कोई घाटा नहीं है.