नरेन्द्र मोदी ने भी प्रेम किया है!

7
188

 नरेन्द्र मोदी ने भी प्रेम किया है! भारत माता से किया है!! और मृत्यु पर्यन्त एक बार ही किया है!!!!

अपने अभिजात्य और ट्विटर प्रकार के प्रेम प्रदर्शन के स्थान पर कोच्चि टीम और रेन्देवू कंपनी के सत्तर करोड़ी शेयर के आरोप को स्पष्ट करें थुरूर!!!

प्रेम केवल वह नहीं होता जो शशि और सुनंदा ने किया है

पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश की चुनावी सभाओं में नरेन्द्र मोदी ने शशि थुरूर पर उन आरोपों को दोहराया जो उन पर दो वर्ष पहले लगे थे. दरअसल दो वर्ष पूर्व लगा आरोप यह था कि आई पी एल बनाम ललित मोदी के बहुचर्चित कांड में फंसी रेन्देवू स्पोर्ट्स कम्पनी में शशि थुरूर से सम्बंधित महिला (और अब उनकी दूसरी धर्म पत्नी) सुनंदा बड़ी शेयर होल्डर हैं, और १९% शेयर होल्डिंग के साथ साथ कम्पनी के निदेशक मंडल में निर्णायक स्थिति में भी हैं. बड़ा ही मुखर और स्पष्ट आरोप उस समय तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री शशि थुरूर पर यह भी लगा था कि सुनंदा पुष्कर उनकी प्रेमिका है और उसे रेन्देवू स्पोर्ट्स कंपनी का १९% मालिकाना अधिकार शशि थुरूर के प्रभाव के चलते या उनके द्वारा कम्पनी को दिलाए गए गैरवाजिब लाभ के कारण सुनंदा को मुफ्त में दिया गया था. नरेन्द्र मोदी ने जब इस सदर्भ का आरोप हिमाचल की एक चुनाव सभा के दौरान शशि थुरूर पर “पचास करोड़ की गर्ल फ्रेंड” कहते हुए लगाया तब उन्होंने इस आरोप के विषय में यह भी कहा कि उस समय विदेश राज्य मंत्री का दायित्व निर्वहन कर रहे शशि थुरूर ने संसद में यह बयान दिया था कि जिस महिला (सुनन्दा) के पास रेन्देवू के १९% सत्तर करोड़ के शेयर हैं उस महिला से उनका कोई सम्बन्ध नहीं हैं. सुनंदा को न पहचाननें वाला बयान इस देश के एक मंत्री के रूप में शशि थुरूर ने संसद दिया था और इसके मात्र लगभग दो माह बाद ही तथाकथित तौर पर इस महिला सुनंदा पुष्कर और शशि थुरूर दोनों को ही तीसरी बार अग्नि के सात फेरे लगाते और फेरे के दौरान ही चुहलबाजी करते हुए देखा था!!!

वस्तुतः नरेन्द्र मोदी के शशि थुरूर पर हालिया हमलें से पचास करोड़ की गर्ल फ्रेंड वाली बात को बिलकुल भी अलग करकर नहीं देखा जाना चाहिये. उन्होंने ये बात उस सन्दर्भ में कही थी जो शशि थुरूर द्वारा संसद में दिए बयान का हिस्सा थी कि “मैं उस कोच्चि टीम से जुड़ी महिला को नहीं जानता हूँ जिसके बैंक खाते में आई पी एल की टीम और उससे सम्बंधित पचास करोड़ रूपये जमा हैं.

आज जब शशि थुरूर नरेन्द्र मोदी पर यह आक्षेप कर रहें हैं कि उनकी अमूल्य पत्नी के प्रति उनकें भावों को समझनें के लिए नरेन्द्र मोदी को पहले प्रेम करना सीखना होगा तब नरेन्द्र मोदी की ओर से निश्चित तौर पर उनकें प्रशंसकों और चाहनें वालों द्वारा समाज के समक्ष यह बात लायी जानी चाहिये कि “प्रेम केवल वह नहीं होता जो शशि थुरूर ने सुनंदा से किया है!” प्रेम केवल वह झूठ भी नहीं होता जो सुनंदा को बचाने के लिए थुरूर ने संसद कहा था!! प्रेम वह भी नहीं होता जो सुनंदा को रेन्देवू के सत्तर करोड़ मूल्य के शेयर से और कोच्चि टीम के पचास करोड़ के बैंक खाते में जमा लाभ से था!!! प्रेम वह भी होता है जो नरेन्द्र मोदी ने इस भारत माता से किया है- और सगर्व जीवन में एक बार ही प्रेम किया है – प्रेम वह राष्ट्रवाद भी होता है जिसके कारण नरेन्द्र मोदी ने सुखी विवाहित जीवन जीनें के स्थान पर कंटकाकीर्ण वैराग्य का और राष्ट्रसेवा का जीवन चुन कर किया – प्रेम वह भी होता है जिसके कारण नरेन्द्र मोदी ने अपने माता पिता,भाई बहन छोड़ दिये और समूचे भारत को अपना परिवार माना – प्रेम वह भी होता है कि जिसके कारण दस सालों से मुख्यमंत्री रहे इस नरेन्द्र मोदी पर कोई माई का लाल एक पैसे का आर्थिक या चारित्रिक आरोप नहीं लगा पाया. ऐसा प्रेम यदि नरेन्द्र मोदी कर लेते तो वे आज देश में इतनें स्वीकार्य भी नहीं होते. यह सही है कि शशि और सुनंदा पुष्कर के व्यक्तिगत जीवन को राजनीति में नहीं घसीटा जाना चाहिये किंतु क्या इस सम्बन्ध में नैतिकता की सीख देनें वालों को यह याद रखना होगा कि नरेन्द्र मोदी ने हिमांचल के मंच से उस महिला का स्मरण नहीं किया जो शशि थुरूर की अपरिचिता (संसद में दिए बयान के अनुसार) थी. इस आरोप प्रत्यारोप में अनपेक्षित रूप से कूद पड़े महिला आयोग को विशेषतः याद रखना चाहिये उन्होंने उस महिला के सन्दर्भ में भी नहीं कहा जो कि हमारें मानव संसाधन मंत्री शशि थुरूर की पूर्व प्रेमिका और वर्तमान पत्नी हैं; नरेन्द्र मोदी ने अपने आरोप में उस महिला को याद किया है जिसके पास रेन्देवू स्पोर्ट्स के सत्तर करोड़ रूपये मूल्य के शेयर थे और जिसके खाते में आई पी एल की किसी टीम की मालिक कंपनी के द्वारा कमाए गए पचास करोड़ की राशि जमा थी.

आज जब शशि थुरूर नरेन्द्र मोदी पर प्यार का अनुभव नहीं होनें का कटाक्ष कर रहें हैं वे उस आरोप के मर्म को और तथ्य को समझ कर उस आरोप को झुठलाते तो अधिक श्रेयस्कर होता !शशि थुरूर के विषय में बात करते हुए हम यह कैसे भूल सकते हैं कि देश की विमान सेवा के इकोनामी क्लास को इन्हीं शशि थुरूर ने हिकारत भरी भाषा में और हद दर्जे की हेयदृष्टि आँखों में भरकर केटल क्लास( मवेशियों का बाड़ा) कहा था. जिस देश के करोड़ो लोगो को सायकल उपलब्ध नहीं हो, मोटर सायकल एक बड़ा स्वप्न हो, जिस देश में नब्बे करोड़ जनसंख्या के लिए हवाई जहाज में यात्रा केवल अगले जन्म का विषय हो उस देश में हवाई जहाज की एकोनामी क्लास को मवेशियों का बाड़ा कहने की असंवेदनशीलता भला कौन कर सकता है? इस प्रश्न का जवाब तलाशना मुश्किल नहीं बल्कि असंभव हैं.

एक चुनावी सभा के दौरान शशि थुरूर और सुनंदा के ऊपर लगे आरोपों के सन्दर्भ में जिस तेजी और फुर्ती के साथ केन्द्रीय महिला आयोग आगे आया वह भी अत्यंत उत्सुकता और उत्कंठा का विषय है. कभी हवाई जहाज की इकोनामी क्लास को केटल क्लास कहनें, कभी राष्‍ट्रगान को अमेरिकी शैली में गानें, कभी मंत्री के रूप में महीनों तक फाइव स्टार होटल के सूट में रूककर कीर्तिमान स्थापित करनें और कभी अपनी भारतीय नागरिकता के सबन्ध में ही विवादों के साये में रहनें वाले शशि थुरूर के साथ जिस प्रकार देश का महिला आयोग खड़ा आया उससे लगा कि यह राष्ट्रीय महिला आयोग नहीं बल्कि कांग्रेसी महिला आयोग हो गया है!!

अब आवश्यक यह नहीं है कि थुरूर और सुनंदा अपनें प्रेम के रंग में दूसरों को डुबोयें न ही ये आवश्यक है कि वे दूसरों को प्रेम करना सिखाएं; आवश्यक यह है कि वे अपनें ऊपर लगे आरोपों का व्यवस्थित और सिलसिलेवार जवाब दें और देश के सामनें अपनी बेदागी सिद्ध करें.

7 COMMENTS

    • दंगों का आरोपित? ( कोई प्रमाण?), रेल को सच मुच जलाने वाले लोगों से अधिक अपराधी; कदापि नहीं माना जाएगा. ५६+/- यात्रियों को जलाने वाले जो लोग थे, वे मूल कारण थे.
      इतने यात्री जलाने के अनंतर सामान्य जनता को क्रोध आना और फलतः दंगा होना, गलत हो भी, पर बहुत स्वाभाविक ही मानता हूँ.
      जिनके अपने भाई, बहन, माता, पिता, बालक, बच्चे इत्यादि जले, क्या उनको क्रोध नहीं आया होगा? बस उसी क्रोध का फल, दंगा हुआ. ना होता तो, अचरज की बात थी.
      यदि रेल ना जली होती, तो क्या ऐसा आरोप किया जाता?
      संतुलित लेखन करने वाले आप जैसे लेखक इसका क्या उत्तर देंगे?
      वास्तव में रेल का जलना, और दंगा होना दोनों गलत था. पर रेल जलना एक क्रिया थी, और दंगा प्रतिक्रया.
      और आप निश्चित जानते हैं, की क्रिया के बिना प्रतिक्रिया नहीं हो सकती.
      और यदि मोदी जी पर तनिक भी आरोप प्रमाणित किया जा सकता, तो आप क्या मानते हैं, की यह यु. पि. ए. उन्हें दण्डित किए बिना छोड़ती?
      इसी विषय पर एक आलेख लिखिए.
      बहुत पढ़ा भी जाएगा.
      टिप्पणियाँ भी आएगी.

  1. काश इस नरेन्द्र के पिता ने भी ऐसा प्रेम किया होता तो देश का बहुत भला हुआ होता

    • नहीं. गुजरात का लाभ निश्चित हुआ.
      और गुजरात भारत का ही भाग है, वीरेन्द्र जी.
      तो भारत का भला गुजरात के भले से जुडा हुआ है ही.
      उन्हें अवसर दिया जाए.
      अब तो पश्चिम की दिशा भी बदल रही है.
      इस आलेख को प्रत्येक जालस्थल पर छापना चाहिये—-प्रवीण जी को सामयिक लेख के लिए धन्यवाद.

  2. आप इसे प्रकाशित करें. मुझे प्रसन्नता होगी..संपर्क करें. ०९४२५००२२७०

  3. आदरणीय प्रवीणजी,
    एकदम सही,
    इस विषय पर कटाक्ष करते हुए आपने जो वास्तविक सत्य को उद्घाटित किया है, इसके लिए आपको धन्यवाद्।
    लखेश्वर चंद्रवंशी,
    संपादक : भारत वाणी,
    नागपुर

Leave a Reply to वीरेन्द्र जैन Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here