राष्ट्र सेवा एवं राष्ट्र एकता
राष्ट्र सेवा करने को ,
हो जाओ तैयार
बिन हित चाहे राष्ट्र का ,
कवन विधि उद्धार
कवन विधि उद्धार,
सुनो ओ मेरे भ्राता,
ऊँच नीच (जाती – पाती) को छोड़,
करो आपस में नाता (प्रेम)
कह ‘पौरुष’ समझाय,
एकता सर्व शक्ति है
होय राष्ट्र कल्याण,
अगर सब व्यक्ति एक है
अगर हम आपस में टकरायेंगे,
निश्चित सब दुश्मन लुट के खा जायेंगे……….