नवाज ने छोड़ी शराफत

Nawaz sharif 
शैलेंद्र जोशी
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी करने के बाद तनावभरे माहौल में दोनों की काफी अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। नवाज ने नाम के विपरीत शराफत भूलकर डॉ. मनमोहन सिंह को देहाती महिला संबोधित कर दिया। जाहिर है इस पर भारत के हर नागरिक को कड़ी आपत्ति होगी। भाजपा द्वारा घोषित प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने भी कड़ी आपत्ति ली और नवाज शरीफ की इस ‘शराफत’ को निशाना बनाते हुए इसे भारतीय प्रधानमंत्री का सबसे बड़ा अपमान करार दिया। हकीकत यह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ दो चेहरों के साथ पेश आ रहे हैं। पाकिस्तान को दिखाने का अलग और भारत के समक्ष अलग चेहरा लेकर आते हैं। जब वे भारत के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने जाते हैं तो उसके पहले भारतीय प्रधानमंत्री का मान रोंदते हुए पहुंचते हैं। पाकिस्तान की अवाम का दिल जीतने के लिए और अभद्र आचरण के निम्नतर स्तर तक भी पहुंच जाते हैं। दूसरी तरफ वे मनमोहन सिंह से शांति वार्ता के लिए उत्सुकता का नाटक करते हैं।
पाकिस्तान प्रधाननंत्री के दोमुंहेपन पर मोदी ने  शरीफ की खिंचाई करते हुए कहा कि आप (शरीफ) मेरे प्रधानमंत्री को देहाती महिला कैसे कह सकते हैं? भारत के प्रधानमंत्री का इससे अधिक अपमान और नहीं हो सकता। हम राजनीति के विषय पर उनसे लड़ सकते हैं लेकिन हम उनका अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकते। सवा सौ करोड़ लोगों का यह देश अपने प्रधानमंत्री का अपमान कैसे बर्दाश्त कर सकता है? समझा जाता है कि यह विवाद उस समय पैदा हुआ जब पाकिस्तान के पत्रकार हामिद मीर ने जियो टीवी पर कहा कि शरीफ ने नाश्ते पर उनसे और एनडीटीवी की बरखा दत्त से मुलाकात के दौरान उनका (डॉ. मनमोहन सिंह) का उल्लेख करते हुए देहाती महिला शब्द का इस्तेमाल किया, जब शरीफ भारतीय प्रधानमंत्री के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से पाकिस्तान की शिकायत करने पर अप्रसन्नता जता रहे थे।
बाद में, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के उपायों पर चर्चा हुई। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर दोनों नेताओं की मुलाकात में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने पाकिस्तान से पैदा होने वाले आतंकवाद को लेकर भारत की चिंता जताई। मनमोहन सिंह ने पाकिस्तानी सरजमीं से पैदा होने वाले आतंकवाद के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया तथा साफ तौर पर कहा कि वह सीमा पार आतंकवाद को खत्म करने के लिए और अधिक कड़े कदम उठाए। भारत की बात को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने गंभीरता से लेने की बात तो कही लेकिन पूर्व के अनुभवों के आधार पर सचाई यह है कि पाकिस्तान ने हमेशा ही कथनी और कथनी में अंतर रखा है। खुद शरीफ ने पिछले माह आतंकी संगठनों को सीमा पर हमले करने का इशारा किया था और कहा था कि कहीं भी सरकार का जिक्र हमलों के संबंध में नहीं होना चाहिए। यह बात भी गौर करने लायक है कि दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात जम्मू में हुए दोहरे आतंकी हमले के कुछ दिन बाद हुई है। इन हमलों में 10 लोग मारे गए थे। इसी को केंद्र में रखते हुए भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था कि वार्तालाप की प्रक्रिया में प्रगति के लिए यह जरूरी है कि पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकी मशीनरी को बंद करे, क्योंकि आतंकवाद को पाकिस्तान से ही पोषण मिलता है। उन्होंने साफतौर पर कहा कि आतंकवाद की धुरी पाकिस्तान में है और वह चाहते हैं कि समस्या को हल किया जाए।
मनमोहन सिंह ने शरीफ की कश्मीर मुद्दे का समाधान सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के मुताबिक करने की मांग को ठुकराकर नवाज की गलतफहमी दूर कर दी। मनमोहन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान शिमला समझौते का सम्मान करे। भारत उसके तहत सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ जम्मू-कश्मीर सहित सभी मसलों का समाधान शिमला समझौते के आधार पर करना चाहें तो भारत द्विपक्षीय संवाद के जरिए हल निकालने के लिए प्रतिबद्ध है।
पाकिस्तान का नेतृत्व कोई भी कर रहा हो, हमेशा उसने भारत के साथ दोगला व्यवहार ही किया है। वह कहता कुछ है और करता कुछ और। जब भी शांति और वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनता है तो वह सीमा पर या फिर आतंकी हमले करवाकर तनाव पैदा करता है। वह भारत को डराकर अपना मतलब हासिल करना चाहते हैं लेकिन उसकी इस तरह की हर साजिश को भारत ने नाकाम किया है। वास्तव में पाकिस्तान की नीयत में खोट है, वह दिखावे के लिए बातचीत की पहल करता है और पीछे से आतंकवादियों के जरिए भारत में हिंसा फैलाने से बाज नहीं आता है। सच तो यह है कि वहां सत्ता में बने रहने के लिए वहां की अवाम को भरमाया जाता है और भारत के खिलाफ अनर्गल प्रचार कर सत्ता में बने रहने के लिए हिंसा का दुष्चक्र चलाया जाता है।
यह सियासत के ही खेल और दांवपेच हैं कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ घटिया स्तर पर उतरकर भारतीय प्रधानमंत्री के लिए अपमानजनक टिप्पणी करने लगते हैं। पाकिस्तान को यह बताने की जरूरत नहीं है कि भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह कोई साधारण इनसान नहीं हैं, रिजर्व बैंक के गवर्नर रहते जिनके हस्ताक्षर से भारतीय मुद्रा चलती थी, वे अब देश चला ेरहे हैं, उनकी गिनती देश ही नहीं दुनिया के श्रेष्ठतम अर्थशास्त्रियों में होती है। भारतीय जनता को यह बात बखूबी समझती है लेकिन जिस दिन पाकिस्तानी अवाम यह बात समझ लेगी नवाज जैसे शरीफों को भागने के लिए कोई गली भी नहीं मिलेगी।

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