नए चीफ जस्टिस के समक्ष है चुनौतियों का अंबार

0
167

– योगेश कुमार गोयल
जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने 9 नवम्बर को देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) का दायित्व संभाल लिया है। वे देश की सबसे बड़ी अदालत में 10 नवम्बर 2024 तक इस सर्वोच्च पद पर आसीन रहेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहते अयोध्या मामले, आईपीसी की धारा 377 के अंतर्गत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आधार योजना की वैधता और सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने जैसे कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं। नवाचार को प्रोत्साहन देने में भी वह खासे उदार रहे हैं। उन्हीं के निर्देशन में न्यायपालिका के पहले सूचना तकनीकी केंद्र की रूपरेखा तैयार हुई और इलाहाबाद हाई कोर्ट के डिजिटलीकरण का कार्य भी उन्होंने ही शुरू कराया था।
आसानी नहीं है जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल
हालांकि, देश के 50वें सीजेआई के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ को दो वर्ष लंबा कार्यकाल मिला है लेकिन उनका यह कार्यकाल आसान नहीं होगा। बतौर सीजेआई उनके समक्ष कई बड़ी चुनौतियां होंगी। सबसे बड़ी चुनौती तो अदालतों में लंबित मामलों के बोझ को कम करने की होगी। उन्होंने स्वयं पुणे में 25 अगस्त, 2022 को इंडियन ला सोसायटी के एक कार्यक्रम में कहा था कि हम सभी जानते हैं कि अदालतों में कितने ही मामले लंबित हैं। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार वर्ष 2010 से 2020 के बीच सभी अदालतों में लंबित मामलों में 2.8 फीसद वार्षिक की दर से वृद्धि हुई है और 2020 से 2022 के बीच कोविड महामारी ने तो इस बोझ को और बढ़ा दिया है। हाल ही में एक समिट के दौरान उन्होंने न्यायपालिका के सामने खड़ी मौजूदा चुनौतियों का उल्लेख भी किया। उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि भारतीय न्यायपालिका के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती लंबित मुकद्दमों की संख्या है। जस्टिस चंद्रचूड़ के मुताबिक बीते 70 वर्षों में हमने असमंजस की संस्कृति पैदा कर दी है, साथ ही विश्वास न करने की संस्कृति भी विकसित हो रही है, जिससे हमारे अधिकारी फैसले नहीं ले पाते हैं और इस वजह से भी अदालत में बहुत से मामले लंबित पड़े हैं। उन्होंने दो टूक शब्दों में यह भी कहा कि कानून न्याय का एक औजार हो सकता है और उत्पीड़न का भी। इसीलिए उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कानून दमन का साधन न बने, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी केवल जजों की ही नहीं बल्कि सभी डिसीजन मेकर्स की भी है। जस्टिस चंद्रचूड़ के मुताबिक कानून की किताबों में आज भी औपनिवेशिक काल से ही चले आ रहे ऐसे लॉ मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल उत्पीड़न के लिए किया जा सकता है।
देश की अदालतों में लंबित हैं करोड़ों मामले
देशभर की अदालतों में लंबित मामलों के आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो इस समय अदालतों में करीब 4.83 करोड़ मामले लंबित हैं, जिनमें जिला अदालतों में ही 4.1 करोड़ से भी ज्यादा मुकदमे लंबित हैं। विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या करीब 59 लाख है और इनमें करीब 13 लाख मामले तो करीब 10 वर्ष पुराने हैं। केवल सुप्रीम कोर्ट में ही 72 हजार से भी ज्यादा मामले लंबित हैं। अदालतों में जजों की कमी के कारण 1.12 लाख से ज्यादा तो ऐसे मामले हैं, जो 30 वर्षों से लंबित पड़े हैं। ऐसे में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के समक्ष इतनी बड़ी संख्या में लंबित मामलों का समाधान निकालने की बड़ी गंभीर चुनौती है। साथ ही अदालतों में खाली पड़े जजों के पद भरना, अदालतों के कामकाज की शैली में सुधार लाना, अदालती प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में भी उन्हें निर्णायक पहल करनी होगी। मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभालने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में नए मामलों को सूचीबद्ध करने को लेकर बहुत अहम फैसला लिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को नए केसों को बेंच के सामने सुनवाई के लिए ऑटोमेटिक सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। ऐसे मामलों में एक स्वचालित तारीख दी जाएगी और एक स्वचालित लिस्ट होगी।
न्याय प्रणाली में आमजन का भरोसा बढ़ाने की दरकार
आमतौर पर देश के मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल छोटा ही होता है, लेकिन न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को दो वर्ष का लंबा कार्यकाल मिला है। इसीलिए उम्मीद बंधी है कि इस दौरान वह इन आवश्यक सुधारों को मूर्त रूप देने में सक्षम हो सकेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने न्याय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी तथा आम नागरिकों के लिए सरल बनाने की बात कही भी है। देश की अदालतें ‘तारीख पर तारीख’ वाली कार्यसंस्कृति के लिए बदनाम हैं। इसलिए तारीख पर तारीख वाली अदालतों की इस छवि को बदलना समय की सबसे बड़ी मांग है, जिससे आम आदमी का न्यायिक व्यवस्था में भरोसा बढ़ सके। उम्मीद की जानी चाहिए कि न्याय प्रणाली में आमजन का भरोसा और ज्यादा बढ़ाने के लिए वह ठोस कदम उठाएंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

15,446 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress