न्यू मीडिया : औजार या हथियार

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face bookन्यू मीडिया या मीडिया भारत के गाँव के लिए अभी भी एक नई कहानी से ज्यादा और कुछ नहीं है । आज भी मीडिया से ताल्लुकात रखने वाले लोग इसके किताबी और व्यावहारिक गुत्थियों में उलझ्तें हैं । लेकिन भारत का बहुत बड़ा तबका यानि ग्रामीण हिस्सा एक ऐसे मोड़ पर आकर खड़ा है जहाँ से न्यू मिडिया का द्वार खुलता जा रहा है लेकिन परंपरागत मिडिया के वजूद को भी वह तलाश रहा है ।

बीसवीं शताब्दी में जनसंचार को नया परिचय मिला । संवदिया के मर्मस्पर्शी शब्दों का सहारा कबूतर के माध्यम से भेजे जाने वाला ख़त बना और जल्द ही एक नया दौर आया जिसमें रेडिओ,पत्र पत्रिका, टेलीविजन न सिर्फ मनोरंजन और ज्ञानवर्धन का साधन बना बल्कि इसने भारत के जनसंचार के ढांचे को खड़ा किया , आजादी का ताना-बाना जिन माध्यमों से तैयार हुआ उसमें तत्कालीन प्रिंट मिडिया का काफी महत्वपूर्ण भूमिका रहा ।
आजादी के सात दशकों में भारत के हर क्षेत्र में बदलाव हुआ । देश का नया संविधान बना,विधायिका,कार्यपालिका और न्यायपालिका के बाद एक और खम्भा लोकतंत्र के मजबूती का आधार बना, मिडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बना । भारत का लोकतंत्र व्यस्क होता गया और साथ-साथ मजबूत होता गया उसका स्तम्भ भी । एक ऐसा दौड़ आया जब भारतीय लोकतंत्र के साथ मिडिया भी खतरे में पड़ी । वह दौड़ आपातकाल का था । आपातकाल कई मायनो में भारतीय लोकतंत्र के लिए वरदान भी साबित हुआ । जिस प्रकार भारतीय राजनीति में एक दल के वर्चस्व का दौड़ आपातकाल के साथ ही समाप्त हो गया, वैसे ही मिडिया भी एक नए कलेवर में सामने आया ।
राष्ट्रीय गतिविधि के साथ-साथ वश्वीकरण के प्रभाव से भी भारत अछूता नहीं रहा । बीसवीं शताब्दी का अंतिम दसक भारत में संचार क्रांति का काल बना । कंप्यूटर से भारत को दुनिया से जोड़ दिया । देखते ही देखते संचार के क्षेत्र में भारत अव्वल स्थान प्राप्त कर लिया ।
आज इक्कीसवीं सदी का भारत दुनिया के अध्त्तन संचार तकनीकों से युक्त है । दुनिया का सबसे ज्यादा मोबाईल उपभोक्ता भारत में है । भारत के ग्रामीण अंचलों को तेजी से इंटरनेट से जोड़ा जा रहा है । इस क्रांति का मसाल न्यू मिडिया है । न्यू मिडिया का दायरा सिमित नहीं है । ब्लॉग से लेकर न्यूज पोर्टल तक और फेसबुक से लेकर गूगल हैंग आउट तक सब न्यू मिडिया का ही स्वरुप है ।
भारत के किसी गाँव से अमेरिका के किसी गाँव को जोड़ने का कम इसी सोशल नेटवर्किंग के द्वारा संभव हुआ है जिसे हम न्यू मीडिया के नाम से जानते हैं । न्यू मीडिया ने हमें सिर्फ आपस में जुड़ने का सुविधा मात्र नहीं दिया, बल्कि व्यापार ,राजनीति, संस्कृति और न जाने अनजाने में दुनिया को अपने गाँव तक लाने का साधन बना । न्यू मीडिया अभी अपने विकास के यौवन पर है इसलिए बुराइयों का साथ आना तो लाजमी है ही । देखने की बात यह है की संचार के हजारो वर्ष पुराने इतिहास में न्यू मीडिया की भूमिका निर्माण की होती है या विध्वंस की ।

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