साहित्‍य

नवगीत

अविनाश ब्यौहार

रोई आँगन
में बरसात।

भीगी बिल्ली सी
रात डरी।
पावस की बातें
हरी हरी।।

अंदेशों मे
जागी प्रात।

बारिश का
कहर हुआ
तड़के।
मेघा गरजे
बिजली कड़के।।

बूंदों की
बाँटे खैरात।

अविनाश ब्यौहार
रायल एस्टेट कटंगी रोड
जबलपुर