रात के ख्वाब जो दिन में देखने लगे है

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रात के ख्वाब जो दिन में देखने लगे |
उन्ही को दिन में अब तारे दिखने लगे ||

खता करके पूछती हो,ऐसा मैंने क्या किया ?
नयनो से तीर चलाये थे,आशिक मरने लगे ||

तुम्हारा चेहरा आईने में कैसे दिखाई देता ?
चेहरा देखते ही,आयने के अंग फडकने लगे ||

हटाये जो गेसू,उसने अपने खूबसूरत चेहरे से |
लगा ऐसा किसी चमन में फूल खिलने लगे ||

आस्तीन के साँप छिपा रक्खे थे खुद आस्तीनों में |
फिर क्यों पूछती हो,ये साँप मुझे क्यों डसने लगे ||

भले ही सोना तप कर,खरा भी हो गया होगा |
पर खोटे सिक्के भी बख्त पर काम आने लगे ||

आर के रस्तोगी 
गुरुग्राम (हरियाणा)

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जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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