प्रदेश में अब कोई भी परीक्षा सुरक्षित नहीं

उत्तर प्रदेश में परीक्षा प्रणाली अब पूरी  तरह से भ्रष्टाचार के दलदल में डूब चुकी है। कोई भी परीक्षा ऐसी नहीं बची है जोकि पूरी तरह से फुलप्रूफ हो. एक प्रकार से शुचिता पर तो सवाल खड़े हो ही रहे हैं वहीं दूसरी ओर छात्रो व विभिन्न नौकरियों के लिए  आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों का भविष्य भी दांव पर लग गया है। साथ ही साथ प्रदेश के छात्रों, युवावर्ग सहित यहां की शिक्षा प्रणाली की साख भी दांव पर लग गयी है। आज पूरे प्रदेश की शिक्षा प्रणाली की जग हसांई हो रही है।
अभी कुछ समय पूर्व समाप्त हुई माध्यमिक शिक्षा परिशद की इंटर व हाईस्कूल की परीक्षाओं में जमकर नकल की गयी है। विद्यालयों में बकायदा बोर्ड पर प्रश्नपत्र हल करवाये गये । नकल माफियाओं का धंधा 100 करोड़ का हो गया। सभी  टी वी चैनलों में उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षाओं में नकल पर चर्चा तक की गयी। अखबारों में संपादकीय लिखे गये। नकल का आलम यह रहा कि  दिखावे के लिए जब सख्ती की गयी तो बहुत से केंद्रों की परीक्षायें रदद करनी पड़ी। पेपर लीक होना तो प्रदेश में अब आम बात हो गयी है। अति आधुनिक मोबाइल संसाधनों के चलते तो यह सब और आसान हो गया है। नकलयुक्त शिक्षा व परीक्षा प्रणाली के कारण आज युवा का भविष्य अंधकारमय और चैपट हो रहा है। आज बोर्ड का परीक्षार्थी बिना किसी भय व चिंता के परीक्षा देने जाता है क्योंकि उसे पता है कि वह कम से कम समाजवादी सरकार में तो फेल नहीं होने जा रहा है तथा साथ ही नकल का तो जुगाड़ हो ही जायेगा।
अब यही रोग इतना गहरा गया है कि यह सरकारी नौकरियों के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं की  भी शुचितापर गंभीर सवाल उठने लग गये है। अभी हाल ही में यूपी पीसीएस की 2015 की परीक्षा का पर्चा 5 लाख रूपये में लीक हो गया। इससे पहले वर्ष 1992 में आईएएस प्री का पेपर आउट हुआ था। विभिन्न प्रशासनिक और विभागीय पदों पर अधिकारियों के चयन के लिए उप्र लोकसेवा आयोग की स्थापना 1937 में हुई थी। तब से अब तक कभी पीसीएस परीक्षा का प्रश्नपत्र नहीं लीक हुआ था। वर्तमान में लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष के पद पर  अनिल कुमार यादव विराजमान हैं जिन पर समाजवादी सरकार काफी मेहरबान रहती है। वह भी कभी न कभी विवादो के घेरे में रहते हैं। यादव के शासन काल में दो परीक्षाओं के परिणाम संशोधित हो चुके हैं तथा यह काफी विवादित रहे हैं। इस बार पर्च लीक होने से अभ्यर्थियों का समय, पैसा और विश्वास सबकुछ टूटा है। पीसीएस की परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी लगातार कड़ी मेहनत करते हैं तथा फीस व किताबों आदि के लिए अपने से बड़ें पर कुछ सीमा तक निर्भर रहते हैं। उनका एक सपना होता है। लेकिन अब यही सपना भ्रष्टाचार का दीमक तोड़़़ रहा है। परीक्षार्थी दूरदराज के क्षेत्रों से परीक्षा देने के लिए केन्द्रों पर पहुचते हैं। उनके आवास व ठहरने की भी समस्या होती है। अपने ईश्वरका नाम लेकर परीक्षार्थी परीक्षा भवन में  प्रवेश करताहै। लेकिन उसका यही विश्वास तब चकनाचूर हो जाता है जब परीक्षा लीक हो जाती है। आज लोकसेवा आयोग मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हस्तक्षेप के बाद लीक परीक्षा को दोबारा कराने को तैयार तो हो गया है लेकिन पीड़ित अभ्यर्थियों का कहना है कि  पेपर लीक होने के पीछे लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष ही जिम्मेदार है तथा उनको बर्खास्त करके कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये। इस प्रकार के कारनामों में प्रायः छोटी मछलियों को ही सजा मिलती है जबकि बड़ी मछलियां घर फूंककर तमाशा देखती हैं।
पीसीएस का पर्चा लीक होने के बाद अभ्यर्थियों ने जमकर हंगामा किया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिशद ने जोरदार प्रदर्शन किया  और आयोग के चेयरमैन अनिल यादव का पुतला दहन भी किया। यह दूसरे दिन तक जारी रहा। आज सोशल मीडिया एक एक खतरनाक  व सशक्त मीडिया बनकर उभरा है। यह समाज की गतिविधियों को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। कहा जा रहा है कि परीक्षा का पर्चा पहली बार इलाहाबाद में व्हाटसएप  पर देखा गया जो बाद में पूरी तरह से  फैल गया। आज यह सोशल मीडिया का ही प्रभाव है कि आडियो- वीडियो,   फोटो अथवा कोई भी किसी भी प्रकार का मैसेज  समूुह में बड़ी आसानी से फैलाया जा सकता है। जब तक मैसेज को डिलीट करवाया जाये तब तक वह अपना काम कर चुका होता है। यही कारण है कि व्हाटसएप पर पेपर लीक होते ही पेपर की फोटो वायरल हो गयीं। अब यही कारण हेै कि बड़ी संख्या में पेपर लीक होने के कारण  एसटीएफ को मुख्य साजिशकर्ता तक पहुॅचने में समस्या हो रही है। हालांकि एसटीएफ दावा कर रही हेै कि इस मामले में अब तक परीक्षा केंद्र के नियंत्रक सहित तीन लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं अभ्यर्थियों का एक बड़ा समूह एसटीएफ की दलीलों को मानने से इंकार कर रहा है। उनका मत है कि इतने बड़े कांड को केवल दो -तीन लोग अंजाम तक नहीं पहुॅचा सकते।
नकल व लीक के इस गोरखधंधे में सबसे दुखद पहलू यह है कि  उसी दिन आयोजित हो रही भारत- तिब्बत सीमा पुलिस की  भर्ती परीक्षा में भी सेंधमारी का प्रयास कर डाला। बरेली में बारादरी व किलाथाना क्षेत्र के दो परीक्षा केंद्रों पर तीन लोगों को हिरासत में ले लिया। यह लोग परीक्षा में नकल करवाने का प्रयास कर रहे थे। यह लोग किसी अन्य के नाम पर परीक्षा देकर पेपर हल करवाना चाह रहे थे ।  यह समाजवादी शासन में  ही सबकुछ संभव हो रहा है। यहांपर अब कुछ भी सुरक्षित और स्वच्छ नहीं रह गया है। परीक्षा भ्रष्टाचार का प्रथम पायदान बनकर रह गयी हैं। एक तो चारों ओर बेराजगारी का वातावरण है, युवाओं में घोर निराषा हैंवहीं उनके सपने को यह भ्रष्टाचार का दलदल चूर कर रहा है। यह सब कुछ सरकार तो नहीं रोक नहीं सकती लेकिन कड़ाई की  जाये तो सबकुछ संभव है। कानून का राज नहीं रह गया है। नकल टीप कर पास होने वाले लोग अच्छे प्रशासक कैसे हो सकेंगे।

-मृत्युंजय दीक्षित

1 COMMENT

  1. दीक्षितजी ,आप (उ. प्र. )की बात कर रहे हैं. बिहार और (म.प्र. )के हाल भी कमोबेश यहीं हैं.बिहार की स्थिति तो आपने चैनलों पर देख ली हैय़हा तक की बीबीसी न्यूज़ पर यह खबर बार बार दिखाई गयी. यू. पी.यस. की परीक्षा अभी अभी निरस्त हुई है. केवल दक्षिणी राज्ज्यों में हालत अभी ख़राब नहीं है. आप देखिएगा पुरे देश में ये हालत होंगे. कारण यह है राजनीती में परिवारवाद ,जातिवाद,वंशवाद। पुलिस,शिक्षा, अस्पताल, लोकनिर्माण ,सभी विभागों में एक दल , एक परिवार के लोग तैनात। अब ये क्यों अपने गिरोह को पकड़ेंगे। कुछ पूर्व गुड़गाओं या नोएडा में एक उच्च अभियंता अकूत संपत्ति के मामले में पकड़े गये. ये तीन तीन प्रभार सम्हाले थे। यदि देखा जाय तो किसी उच्च राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखते थे। जब तक राजनीती में वंशवाद ,जातिवाद को नकारा नहीं जाता तब तक कोई हल नही. (म. प्र. ) के ”व्यापम कांड ”तो इस पर्चे लीक कांड से ऊपरी दर्जे का है. यहां का कोई अख़बार उठा कर देखें चोरी ,जेबकटी ,और किसी अन्य अपराध की गिरफतारीके साथ ”’व्यापम”में फंसे किसी स्कोरर , पालक,प्रत्याशी की खबर भी होगी.

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