दिन डूबा तो रात हो गई ,
तम है बहुत घनेरा जोगी |
बहुत दूर है अभी सबेरा ,
अब तेरा क्या होगा जोगी |
कल राजा था आज रंक है ,
देख समय का फेरा जोगी |
कल लूटा था आज लुट गया ,
कहाँ बचा अब डेरा जोगी |
अब तक जिसको घेर रहा था ,
आज उसी ने घेरा जोगी |
नहीं दिखाई कुछ देता है,
चारों तरफ अन्धेरा जोगी |
संगी साथी बड़े पुराने ,
सबने ही मुख फेरा जोगी |
वापस नहीं कोई आयेगा,
लाख लगाले टेरा जोगी |
एक दिन पंछी उड़ जाएगा ,
दुनियां रेन बसेरा जोगी |
सभी जी रहे हैं अपने में ,
यहाँ नहीं कुछ तेरा जोगी |