उत्तराखंड में भारी मात्रा में जनहानि होने के बाद वहां महामारी का खतरा फैलना शुरू हो गया हैं। जिसकी वजह से वहां के स्थानीय लोगों में डायरिया जैसे रोग हो रहे हैं जो इस बात की पुष्टि करता हैं । लेकिन जिस तरह प्रशासन और प्रदेश के मुख्यमंत्री इसे सिर्फ गर्मियों में होने वाले साधारण रोग कहकर टाल रहे हैं यह एक चिंता का विषय हैं। बीते कुछ दिनों से उत्तराखंड में भारी मात्रा में बारिश हो रही हैं जिससे शवों के अंतिम संस्कार में भी काफी देरी हो रही हैं जिससे महामारी के संक्रमण फैलने का डर स्थानीय निवासियों का सबब बन रहा हैं। हांलाकि फौज वहाँ युद्ध स्तर पर काम कर रही हैं इस बात की पुष्टि तब ओर साफ हो जाता हैं कि खराब मौसम होने के बाद भी लोगों को हैलिकाप्टर से लाते वक्त तकनीकी खराबी के चलते हैलिकाप्टर क्रैश हो जाता हैं और जिससे वायु सेना के जवान शहीद हो जाते हैं और कुल नौ लोग इस हादसे में अपनी जान गवा देते हैं। लेकिन ठीक इसी का उल्टा हमारे देश के नेता एक दूसरे पर इस त्रासदी पर सुर्खिया पाने के चक्कर में एक -दूसरे पर छींटा-कसी करने में शर्मसार नही हो रहे हैं। चाहे आप राहुल गांधी का उत्तराखंड दौरा का देख लीजिए वह उस समय उत्तराखंड की यात्रा करने जाते हैं जिस समय भारी मात्रा में लोग वहां फंसे थे जिससे वीआईपी होने की वजह से फौज को हर जगह उनके साथ जाना पड़ा जिससे लोगों के दुख बांटने गये राहुल बाबा फंसे हुए लोगों को और दुख देकर आये क्योकि उस दिन राहुल बाबा के यात्रा के कारण राहत और बचाब कार्य बाधित हुआ। लेकिन जब राजनीतिक पार्टियां इस त्रासदी पर कांग्रेस के राहुल बाबा को पूछने लगीं तो अचानक अपने विदेश यात्रा को रद्द करके बाबा देश सेवा करने आ गये। ठीक इसी तरह यह बात भी टीवी चैलनों पर चलाई गयी कि मोदी साहब अपने पंद्रह हजार गुजरातियों को उत्तराखंड से सुरक्षित निकालकर चार्टट हैलिकाप्टर से गुजरात लेकर गये हैं। यदि यह खबर सच हैं तो वाकई यह सब गन्दी राजनीति का स्पष्ट प्रतिबिम्ब हैं जो आज हम देख पा रहे हैं। यदि इन नेताओं के लिए अपने प्रदेश ही सब कुछ हैं तो इनसे देश के लिए कुछ उम्मीद करना वाकई वेबकूफी से कम नही होगा। यद्यपि मोदी ने बहुगुणा सरकार से मदद करने की अपील की थी लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने उसे स्वीकार नही किया यह एक गंदी राजनीति का शर्मसार दृश्य हैं। मौजूदा नेताओं को समझना चाहिए कि देश एक ही है और हम सब भारत माता के सुपुत्र हैं। यदि हम पर कोई हमला बोल दे, या कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए तो हम सब एक साथ एक-दूसरे की मदद करेंगे। लेकिन उत्तराखंड की त्रासदी के बाद ऐसा दृश्य देखने को नही मिला जो काफी निराशाजनक हैं । हम लोग जो यह आस लगाये बैठे थे कि शायद हमारे देश के राजनेता इस त्रासदी से सबक लेकर एक साथ काम करेंगे। बहुगुणा सरकार मोदी का प्रस्ताव इसलिए स्वीकर नही किया क्योकि उससे उनको लगता होगा कि इससे मोदी की छवि अच्छी हो जाएगी ओर कांग्रेस की छवि धूमिल हो जाएगी सिर्फ इसी डर से राज्य सरकार ने इसे स्वीकर नही किया, क्योकि इस वक्त मोदी केंद्र सरकार के लिए एक बड़ा चुनौती बनकर उभरे हैं। लेकिन यदि इस प्राकृतिक त्रासदी के लिए यदि कोई जिम्मेदार हैं तो वो हैं केंद्र, और राज्य सरकार दोनों क्योकि कुछ समय पहले कैग रिपोर्ट में बताया गया था कि उत्तराखंड में जिस तरह खनन का काम चल रहा हैं और जिस तरह से वहां से पेड़ों को काटा जा रहा हैं उससे लगता कि राज्य सरकार को कैग रिपोर्ट के बाबजूद भी वहां पर इस तरह के करतूतों पर काबू नही पाया गया जिसका परिणाम आज यह हुआ कि हम इस बड़ी त्रासदी को टाल न सके और हजारों लोगों को अपनी जान गवानी पड़ गई। उन बेकसूर लोग जो आस्था के कारण केदारनाथ,गौरीकुण्ड गये थे उनको केन्द्र,राज्य सरकार के गलत नीतियों के कारण अपनी जान गवानी पड़ी। अब तो अपने देश के नेताओं से इतना कहना हैं कि छोड़ों हर मुद्दे पर राजनीति करना आओ एक साथ देश सेवा करें ताकि इस महामारी से उत्तराखंड और देश को बचाया जा सके।
भारत माता की जय।