ओबामा के सलाहकार ने चेताया अलकायदा पाकिस्तान को हाइजैक कर सकता है

लालकृष्ण आडवाणी

इस वर्ष के फरवरी मास में एम.जे. अकबर ने हारपर कॉलिन्स इण्डिया द्वारा प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘टिंडरबॉक्स‘ लोकार्पित की थी। इसका उप-शीर्षक था ‘दि पास्ट एण्ड फ्यूचर ऑफ पाकिस्तान‘। मैंने इस पुस्तक को उत्तम पुस्तक निरुपित किया था। इसकी प्रस्तावना में अकबर लिखते हैं:

पिछले सप्ताह एक मित्र ने हारपर कॉलिन्स इण्डिया द्वारा पाकिस्तान पर एक और उत्तम पुस्तक मुझे भेंट दी, लेकिन यह एक अमेरिकी लेखक द्वारा लिखी गई है। लेखक हैं ब्रुश राइडेल, जो सीआईए के पूर्व अधिकारी हैं और चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों के मध्य-पूर्व तथा दक्षिण एशियाई मामलों पर सलाहकार भी रहे हैं। राष्ट्रपति ओबामा की तरफ से राइडेल ने व्हाईट हाउस के लिए अफगानिस्तान और पाकिस्तान संबंधी नीति की समीक्षा के लिए एजेंसियों की बैठक की अध्यक्षता भी की जो मार्च 2009 में पूरी हुई। इस पुस्तक का शीर्षक है डेडली एम्बरेस (Deadly Embrace) और यह सन् 2011 में भारत में प्रकाशित हुई है और इसका उप-शीर्षक है पाकिस्तान, अमेरिका और वैश्विक जिहाद का भविष्य (Pakistan, America and the Future of the Global Jihad) ”

इस पुस्तक के एक अध्याय में राइडेल पाठकों को व्हाईट हाउस में भूतल के एक कमरे के बारे में बताते हैं जिसे ‘मैप रुप‘ कहा जाता है। इसका यह नाम द्वितीय विश्व युध्द के समय राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डिलानो रुजवेल्ट द्वारा युध्द के समय फासीवाद से लड़ाई के विरुध्द नक्शों की मॉनिटरिंग करने के चलते पड़ा। लेखक लिखते हैं: नाम अभी भी चल रहा है, और रुजवेल्ट का एक नक्शा भी कक्ष में है।

अब, हमें बताया गया है कि ‘मैप रुम‘ का उपयोग अक्सर राष्ट्रपति अथवा प्रथम महिला द्वारा महत्वपूर्ण बैठकों के लिए किया जाता है। यह भवन के सर्वाधिक ऐतिहासिक कक्षों में से एक के भीतर होने की अंतरंगता के साथ-साथ पर्याप्त निजता भी उपलब्ध कराता है।‘ राइडेल स्मरण करते हैं कि मई, 1998 की शुरुआत में प्रथम महिला हिलेरी क्लिंटन, इस ‘मैप रुम‘ में बेनजीर भुट्टो के साथ निजी बातचीत और चाय के लिए मिलीं। ब्रुश राइडेल को इसमें आमंत्रित किया गया था।

बाद में जो पाकिस्तान में घट रहा है और जो महत्वपूर्ण है जिसे लेखक ने उस दिन के बेनजीर के वार्तालाप का सर्वाधिक ध्यानाकर्षित करने वाला हिस्सा वर्णित किया है।

बेनजीर ने पाकिस्तान में उग्रवाद के बारे में बताया और इसकी शुरुआत के लिए जिया को दोषी ठहराया तथा आईएसआई को इसका पोषण करने के लिए। उन्होंने कहा ओसमा बिन लादेन जैसे उग्रवादी उन्हें मारने पर आमदा है और आईएसआई के भीतर से उन्हें शक्तिशाली संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने वर्णन किया:

”आतंकवादियों को सर्वाधिक डर यह है कि मेरे जैसी महिला राजनीतिक नेता पाकिस्तान में आधुनिकता लाने के लिए लड़ रही है।”

राइडेल लिखते हैं कि बेनजीर भुट्टो का मानना था कि दिसम्बर, 2007 तक अलकायदा ‘दो या चार वर्षों में इस्लामाबाद में मार्च‘ कर रहा हो सकता है।

यह अपशकुनी शब्द मैंने कराची के मेहरान नौसैनिक अड्डे पर तालिबानी हमले के एक दिन पहले पढ़े जिसमें दो ओरियन विमान नष्ट हो गए तथा दस पाकिस्तानी जवान मारे गए।

कुछ समय पूर्व तक, सुरक्षा विशेषज्ञों ने पाकिस्तान को लेकर सर्वाधिक बुरी आशंकाएं (1998 में राइडेल ने राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के लिए एक नोट ‘पाकिस्तान : दि मोस्ट डेंजरयस कण्ट्री इन दि वर्ल्ड‘ शीर्षक से लिखा था) यह व्यक्त की गई थीं कि उस देश में सक्रिय कोई भी आतंकी संगठन, या तालिबान, या अलकायदा पाकिस्तान द्वारा बनाए गए परमाणु हथियारों पर कब्जा कर किसी अन्य आतंकवादी संगठन की तुलना में ज्यादा खतरनाक बन जाएगा।

लेकिन बु्रश राइडेल की पुस्तक द्वारा प्रस्तुत किया गया दृश्य कहीं ज्यादा भयावह है। वास्तव में, बेनजीर द्वारा प्रकट की गई आशंकाओं को पढ़कर तथा मेहरान हमले की जानकारी मिलने के बाद मेरी तत्काल प्रतिक्रिया थी ‘डेडली एम्बरेस‘ के भारतीय संस्करण की प्रस्तावना के पन्नों को पलटना और राइडेल ने इसके बारे में हमें जो सावधान किया है, उसे मैं, ब्लॉग के अपने पाठकों के साथ बांटना चाहूंगा। वह लिखते हैं :

”अलकायदा ने पाकिस्तान को अपनी उच्च प्राथमिकता पर रखा है, इसके नेता पाकिस्तान को ऐसा सर्वाधिक अनुकूल इस्लामी देश मानते हैं जिसे हाइजैक किया जा सकता है। यह पहले से ही उनका सुरक्षित अड्डा बना हुआ है। उन्होंने समान विचारों वाले पाकिस्तानी तालिबान और लश्करे-तोयबा जैसे जिहादी संगठनाें से हाथ मिलाया हुआ है जो उन्हें समर्थन और उनके काम में सहयोग कर अलकायदा के लिए अनेक बाहुशक्ति बन रहे हैं…….

एक दशक के भीतर या दशक में पाकिस्तान इण्डोनेशिया की तुलना में भी सर्वाधिक बड़ा मुस्लिम देश होगा। इससे पूर्व ही यह दुनिया का पांचवां सर्वाधिक बड़ा परमाणु हथियारों के जखीरे वाला देश बन चुका होगा। पाकिस्तान में, दुनिया के जिहाद को बदलने की संभावनाएं हैं जितनी कि किसी अन्य देश में नहीं है। जैसाकि दुनिया के जिहाद की ताकतों ने पाकिस्तान को डरा दिया है, अमेरिका और पाकिस्तान के बीच का घातक मिलन और घातक होगा।”

***

मैं जानता हूं कि प्रधानमंत्री इथोपिया के लिए जा चुके हैं। अत: जब मुझे – भारतीय, अमेरिकी और बी.बी.सी. जैसे चैनलों से मेहरान हमले की भयावहता की रिपोटें मिलीं तो मैंने श्री प्रणव मुखर्जी, श्री ए.के.एंटोनी और श्री शिवशंकर मेनन (मुझे बताया गया कि वह प्रधानमंत्री के साथ गए हैं)से सम्पर्क साधा और कराची की घटनाओं को गंभीरता से लेने का आग्रह किया। मैंने उन्हें कहा कि पाकिस्तान में स्थिति अत्यन्त चिंताजनक है। यह खतरा असली बन रहा है कि अल-कायदा और तालिबान मिलकर पाकिस्तान का नियंत्रण अपने हाथों में ले लेंगे और इसे एक जिहादी देश के रुप में परिवर्तित कर देंगे।

जिस अध्याय में बेनजीर भुट्टो को उद्दृत किया गया है, उसमें राइडेल सावधान करते हैं :

”पाकिस्तान में जिहादी जीत का अर्थ होगा सेना के उग्रवादी गुट या तालिबान के नेतृत्व वाले उग्रवादी सुन्नी इस्लामिक आदोलन द्वारा एक राष्ट्र को हथिया लेना, के नतीजे न केवल पाकिस्तान अपितु दक्षिण एशिया, वृहद मध्य – पूर्व, यूरोप, चीन और अमेरिका-एक शब्द में कहा जाए तो समूची दुनिया के लिए घातक हाेंगे। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अमेरिका के विकल्प सीमित और मंहगे पड़ेंगे । यद्यपि यह भयावह परिदृश्य न तो सन्निकट और न ही अपरिहार्य है, अपितु यह एक सच्ची संभावना है जिसका आंकलन करने की जरुरत है।”

कराची के नौसैनिक हवाई अड्डे पर हमले से समाचारपत्राें तथा टेलीविजन चैनलों में स्वाभाविक रुप से यह चर्चा छिड़ गई है कि पाकिस्तान के महत्वपूर्ण अड्डे विशेषकर इसके परमाणु संयंत्र कितने सुरक्षित हैं।

इस सम्बन्ध में भारतीय मीडिया में सर्वाधिक अच्छा आलेख दि टेलीग्राफ के वाशिंगटन संवाददाता के.पी.नायर ने लिखा है:

नायर के लेख के शुरुआती तीन पैराग्राफ महत्वपूर्ण और स्तब्ध कर देने वाले है: वे निम्न हैं:

कराची के नौसैनिक वायु अड्डे पर दुस्साहसी हमले ने उस भुला दिए गये दावे को फिर से स्मरण करा दिया है जो वेस्ट प्वाइंट जर्नल में किया गया था कि पाकिस्तान के परमाणु संयंत्रो को आतंकवादियों द्वारा तीन बार लक्षित किया गया था। दो वर्ष पूर्व किए गये इस दावे में उन हमलों की विशेष तिथियां, स्थान व अन्य विवरण थे। ऐसा पहला हमला 1 नवम्बर, 2007 को सरगोधा में परमाणु प्रक्षेपास्त्र भण्डारण सुविधा केन्द्र पर हुआ, दूसरा 10 दिसम्बर, 2007 को कामरा के पाकिस्तानी परमाणु हवाई अड्डे पर जबकि तीसरा और ज्यादा गंभीर हमला हुआ जब उग्रवादियों ने 20 अगस्त , 2008 को वाह के कैंटोनमेंट क्षेत्र में शस्त्रागार परिसर के प्रवेश द्वारों को उड़ा दिया था जहां के बारे में पहले से माना जाता है कि यह पाकिस्तानी परमाणु बमों का सम्मिलन केन्द्र है।

यह एक ऐसा दावा है जो वस्तुत: उस भयावह स्थिति को दर्शाता है जिसे काफी पहले कुछ मुल्लाओं द्वारा बताया गया था-तालिबान के मोहम्म्द ओमर जैसों के हाथ इस्लामाबाद की परमाणु संपदा तक पहुंचना। तब भी, 2009 में हम विस्तृत दावों – एक ऐसी पत्रिका में किए गए जो सर्वाधिक विशेषीकृत है और इसलिए इसकी पाठक संख्या भी सीमित है- ने थोड़ा चौंकाया क्योंकि ये अधिकतर नजर में ही नहीं आए। पत्रिका का नाम सीटीसी सेंटीनल है। सीटीसी से तात्पर्य है ‘कॉम्बेटिंग टैरोरिज्म सेंटर एट बैस्ट प्वाइंट।‘

लेकिन यही विशेष कारण है इस दावे को अत्यन्त गंभीरता से लेने का कि मेहरान नौसैनिक हवाई अड्डे की सुरक्षा परिधि को भेद दिया गया। ‘वेस्ट प्वाइंट‘ दुनिया की सर्वाधिक प्रसिध्द सैन्य अकादमियों में से एक है। इसकी सर्वोत्तामता का सर्वाधिक अच्छा उदाहरण इस लोकप्रिय वाक्य में है जो ‘वेस्ट प्वाइंट‘ में सुनाया जाता है कि ”हम जो अधिकतर इतिहास पढ़ाते हैं वह उन लोगों द्वारा बनाया जाता है जिन्हें हम सिखाते हैं।”

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