स्‍वास्‍थ्‍य-योग

जुनूनी बाध्यकारी विकार(Obsessive Compulsive Disorder)

Obsessive Compulsive Disorder OCD                                             

 [पूरे लेख मे इस विकार के लियें OCD का ही प्रयोग किया जायेगा  ]  

OCD एक व्याकुलता  [anxiety] संबधी विकार है, इसमे लगातार कोई विचार, बेचैंनी और डर पैदा करता है, जिससे पीड़ित  व्यक्ति किसी काम को बार बार करने की विवशता महसूस करता है। व्याकुलता मस्तिष्क का एक चेतावनी देने का तरीका है। व्याकुल व्यक्ति को किसी ख़तरे की आशंका रहती है, यह एक ऐसा संवेंग है जो व्यक्ति से लगातार कहता है कि ‘कुछ करो’।यद्यपि यह पता होता है कि ये ख़तरा बेबुनियाद है फिर भी मन आशंकित रहता है। पीडित व्यक्ति यही सोचता है कि उसका मन उससे ग़लत क्यों कहेगा।  दुर्भाग्यवश OCD से पीडित व्यक्ति का मस्तिष्क ख़तरे की घंटी जब ख़तरा न भी हो तब भी बजाता रहता है, अतः पीड़ित व्यक्ति बाध्य महसूस करता है, प्रतिक्रयास्वरूप कुछ करने के लियें।

लक्षण

यह बाध्यतायें [compulsions] कई प्रकार की हो सकती हैं  जैसे सफाई का जरूरत से ज्यादा ध्यान, बार बार हाथ धोना, बार बार ताले देखना,   गैस बन्द है या नही देखते रहना,   किसी एक विचार मे उलझे रहना,  कोई अनुष्ठान या क्रियाकलाप बार बार करना या करने के लिये विवशता अनुभव करना इस रोग के प्रमुख  लक्षण होते हैं। कभी कभी ये बाध्य व्यवहार हिंसक भी हो सकता है। ये बाध्यता किसी पर शक  करने की भी हो सकती है।   ऐसा व्यवहार पूर्णरूप से मानसिक रोग का रूप ले सकता है। यह किसी भी आयु मे हो  सकता है व्यक्ति समय की इतनी बर्बादी कर देता है कि वह कोई काम ठीक से नहीं कर पाता, इससे वह और परेशान होता है, व्याकुल  होता है, पर स्वयं को रोक नहीं पाता।

कुछ लोग अति सतर्क, हर काम को पूरी तरह से दोष रहित (perfect) करने के लियें बार बार उसको करते हैं , उन्हे आसानी से तसल्ली भी नहीं होती। यह   OCD का लक्षण होता है OCD से ग्रस्त लोगों के  तर्क रहित व्यवहार के बावजूद उनका बौद्धिक स्तर आमतौर पर अच्छा होता है, वो निर्णय लेने मे समय अधिक लगाते हैं,  कोई भी काम की ज़िम्मेदारी पूरी निष्ठा के साथ लेते हैं, उसे पूरा करने की हर कोशशि भी करते हैं, पर अपनी बाध्यताओं,  पुनरावृत्तियों और काम की बारीकियों को समझ के करने के कारण कोई काम पूरा करने मे समय बहुत लेते है, कभी कभी काम पूरा हो  ही नहीं पाता।

जुनून [obsession] पीडित व्यक्ति के विचारों के स्तर पर मस्तिष्क को घेरे रहता है, एक ही जगह विचार अटक जाते हैं,  हो सकता है किसी देवता की प्रतिमा विचारों का केन्द्र बन जाये, किसी व्यक्ति के प्रति कोई भी संवेग हर समय हावी रहे  चाहें वह प्रेम हो, घृणा, या व्यक्ति सैक्स से संबधित विचारों से अपने को न निकाल सके,  या सफाई का भूत सर पर सवार हो या  हिंसा और बदले के विचारों मे ही हर समय लिप्त रहता हो । किसी भी विचार को मन से निकालना असंभव हो तो वो जुनून ही होता है।

जुनून से बाध्यता होती है, हर समय प्रार्थना पूजा पाठ करने की, बार बार हाथ धोने की, धुले हुए बर्तन या कपड़े  बार बार धोने की, सैक्स के जुनून से पीड़ित व्यक्ति समाज के लियें ख़तरा बन सकता है,  परिवार के किसी सदस्य के साथ भी अनाचार कर सकता है। हिंसक जुनून से ग्रस्त व्यक्ति मौक़ा मिलने पर कुछ भी कर सकता है।

OCD   से पीड़ित व्यक्ति को अपने बाध्य व्यवहार पर कोई नियंत्रण नहीं होता, वह   कितनी भी बार करले संतुष्ठ नहीं होता उसकी व्याकुलता और बेचैंनी बनी रहती है।  किसी भी अन्य रोगों की तरह इस विकार के लक्षण मामूली तीव्र या अति तीव्र हो भी हो सकते हैं, इसलियें इसका निदान कोई कुशल मनोचिकित्सक ही कर सकता है। लक्षण जब मामूली हों तो उपचार का असर जल्दी होने की आशा होती है।

OCD   से ग्रस्त व्यक्ति जानता है कि उसकी व्याकुलता और बाध्यता का कोई आधार नहीं है, फिर भी वह अपने को रोक नहीं पाता, न रोक पाने से व्याकुलता और बढती जाती है। OCD के समान ही एक अन्य स्थिति होती है जब पीडत व्यक्ति अपने जुनूनी व्यवहार और बाध्यताओं को सही और तर्कसंगत मानता है।   इसे जुनूनी बाध्यकारी व्यक्तित्व विकार (Obsessive Compulsive Personality Disorder) या OCPD कहते हैं। OCPD  से पीड़ित  लोग क्योंकि अपने व्यवहार को सामान्य समझते हैं, इसलियें आमतौर पर अपने व्यवहार से ख़ुशी प्राप्त करते हैं।

कारण

मस्तिष्क पर हुई शोधों के आधार पर पता चला है कि OCD  से पीड़ित कुछ व्यक्तियों में मस्तिष्क के बाहरी हिस्से और भीतरी संरचना के बीच संचार की कमी पाई गई है। कई बार देखा गया है कि  यह परिवार में कई लोगों को होता है, अतः यह अनुवाँशिक भी हो सकता है, जिसके लियें कोई जीन ज़िम्मेदार हो  । सही सही जानकारी के लियें तो और शोध की आवश्यकता है।  अभी तो यही मानकर चला जाता है कि कुछ मस्तिष्क की बनावट, कुछ जीन और कुछ जीवन की विषमताओं से पैदा तनावों के मिले जुले कारणों की वजह से  OCD होता है।

निदान में कठिनाइयाँ

OCD के लक्षणों को पहचानने के बाद भी लोग शर्मिन्दगी महसूस करते है और इलाज के लियें आगे नहीं आते, आ भी जाते हैं तो मनोचिक्त्सक से खुलकर बात करने मे हिचकिचाते हैं। इस मनोविकार के बारे में लोगों में जानकारी और जागरूकता का बहुत अभाव है। इस मनोविकार से मिलते जुलते लक्षण कुछ और मनोविकारों में भी होते हैं अतः सही निदान के लिये एक से अधिक अनुभवी मनोचिकित्सक की सलाह लेना अच्छा रहता है।

उपचार

OCD के निदान होने के बाद मनोचिकित्सक दवाइयाँ देते हैं जिनकी मात्रा में फेर बदल करने की आवश्यकता पड़ सकती है, एक दवाई काम न करे तो दूसरी बदल कर देनी पड़ सकती है, इसलियें मानसिक रोगों का इलाज कराते समय धैर्य की ज़रूरत होती है।

केवल दवाइयाँ ही कारगर नहीं होती व्यावाहरिक चिकित्सा भी दी जाती है।  बाध्यता को रोकने और उससे उत्पन्न  व्याकुलता को सहने के लियें प्रशिक्षित किया जाता है , उदाहरण के लियें जो व्यक्ति 15-15 मिनट में हाथ धोता हो उसे कहा जायेगा कि आधे घन्टे तक हाथ नहीं धोने हैं। पीड़ित व्यक्ति बेचैन होगा पर उसे बार बार कहना पड़ेगा कि ‘’हाथ न धोने से कुछ नुकसान नहीं हुआ, तुम ठीक हो, कुछ ग़लत नहीं हो रहा।‘’ धीरे धीरे व्याकुलता सहने की शक्ति बढ़ेगी फिर व्याकुलता भी कम होती जायेगी।   सायकोथैरैपी के अन्य तरीके भी हैं जो पीड़ित व्यक्ति की आवश्यकता के अनुरूप मनोवैज्ञानिक प्रयोग करते हैं ।

अधिकाँश रोगियों को दवाइयों और व्यावहारिक चिकित्सा से लाभ मिलता है । यदि ये प्रयास विफल हों तब इलैक्ट्रो कन्वल्सिवथिरैपी काम आ सकती है।  बहुत कम रोगी होते हैं जिन्हे इससे भी लाभ न हो तब अंतिम विकल्प के रूप में मस्तिष्क  की शल्य-मनोचिकित्सा की भी विधियाँ भी हैं, जिनसे बहुत से रोगियों को लाभ मिला है।

यदि किसी मित्र या परिवार के सदस्य मे  OCD के लक्षण दिखाई दें तो मनोचिकित्सक से बेझिझक मिलें। व्यर्थ में समय न गंवायें।