सीएए का विरोध कर अपनी क़ब्र खोदता विपक्ष

~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल 

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून सीएए को 11 मार्च 2024 को लागू कर दिया है। साथ ही सरकार ने इससे सम्बन्धित विस्तृत अधिसूचना जारी कर दी है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह निरन्तर अपने बयानों में सीएए को लागू करने की प्रतिबद्धता दुहराते हुए दिखते थे। उसे उन्होंने पूरा कर भाजपा की वैचारिक नीति को पुनः  जनता के सामने रख दिया है।  सीएए लागू होने से – पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न झेलने वाले अल्पसंख्यक समुदाय को भारतीय नागरिकता मिलेगी। इनमें स्पष्ट रूप से इन तीनों देशों से 31 दिसम्बर 2014 तक की तिथि में भारत आने वाले – हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन और पारसी शरणार्थियों, अवैध प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता मिलना आसान हो जाएगा। इसके साथ ही इन समुदायों के लोगों पर अवैध प्रवास आदि के आधार पर चलने वाले मुकदमों से भी राहत/ समाप्ति का प्रावधान सम्मिलित है। सीएए लागू हो जाने से  धार्मिक उत्पीड़न एवं अन्तहीन प्रताड़ना झेलने वाले शरणार्थियों में उत्साह का वातावरण देखा गया। देश के विभिन्न हिस्सों में शरणार्थी के रूप में रह रहे लोगों ने – भारत माता की जय  और नरेन्द्र मोदी जिन्दाबाद के नारे लगाते हुए दिखे। सोशल मीडिया एवं समाचार चैनलों में इन लोगों की आंखों में ख़ुशी के आंसू  और उम्मीद के सूरज चमकते दिखे। नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के साथ ही केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने बयान में कहा कि – “भारत में रहने वाले किसी भी अल्पसंख्यक को डरने की जरूरत नहीं किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी। देश के गृह मंत्री पर सभी का भरोसा होना चाहिए, फिर वे बहुसंख्यक हो या अल्पसंख्यक।”

वास्तव में नरेन्द्र मोदी सरकार ने सीएए लागू कर संविधान निर्माताओं की मंशा को पूर्ण किया है। वैसे यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था । लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीतिक रोटी सेंकने वाली कांग्रेस को इससे कभी कोई फ़र्क ही नहीं पड़ा। तिस पर भी दिस. 2019 में जब केन्द्र सरकार सीएए कानून लेकर आई थी। उस समय कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने देश भर में उत्पात मचाने का काम किया था। दिल्ली के  

शाहीन बाग में दंगाइयों की फौज इकठ्ठा कर – दिल्ली को दंगों में झोंकने वाली कांग्रेस ( इंडी गठबंधन) के देशविरोधी कृत्यों को देश अभी भी नहीं भूला है। पाकिस्तान, बंग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में शरणार्थी के रूप में जीवन बिताने वाले ये वे लोग थे — जिन्हें विभाजन ने तो सताया ही। साथ ही इन देशों में वे हिन्दू , बौद्ध, जैन , सिख और पारसी होने के नाते त्रासदीपूर्ण जीवन बिताने को विवश हुए। धार्मिक आधार ( हिन्दू- मुस्लिम) पर भारत के बंटवारे के बाद — यह तय हुआ था कि भारत और पाकिस्तान अपने यहां अल्पसंख्यकों का विशेष ध्यान रखेंगे। भारत में तो अल्पसंख्यकों विशेष रूप से मुसलमानों को आरक्षण के साथ पर्याप्त उपबंध किए गए। किन्तु वहीं पर पाकिस्तान में हिन्दुओं ( सिख, बौद्ध, जैन पारसी) आदि के साथ कितने अत्याचार हुए यह जगजाहिर है। 

केन्द्र सरकार के द्वारा  सीएए लागू करने के साथ ही विपक्षी दलों का देशविरोधी चेहरा – हिन्दू विरोधी चेहरा फिर से बेनकाब होने लगा है। सीएए को लेकर भ्रम फैलाने की स्क्रिप्ट रचने में विपक्षी दल और उनके  नेता मशगूल हो गए हैं।उनके बयानों  में स्पष्ट रूप से – भारत के संविधान एवं कानून के प्रति अनादर दिखाई दे रहा है। शरणार्थियों के ख़िलाफ़ – तुष्टिकरण की क्रूरता से प्रेरित असंवेदनशील बर्बरता झलक रही है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने तो  स्पष्ट रूप से घोषित ही कर दिया है कि — “यदि लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में इंडी गठबंधन की सरकार बनती है तो सीएए कानून को वापस ले लिया जाएगा।” वहीं प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीएए को लेकर भ्रम और झूठ का प्रलाप करती हुई दिखीं। अपनी खीझ और खिसियाहट में वे बंगाल में सीएए लागू न होने की धमकी देती हुई नज़र आईं। अरविंद केजरीवाल, अखिलेश, स्टालिन, पिनरई विजयन से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे – इन सबके बयान एक ही सुर में सुर मिलाते हुए दिखाई दे रहे हैं। स्पष्ट रूप से हताशा और कुंठा से भरे हुए ये विपक्षी दल और उनके नेता विष वमन पर ही उतारु हैं। किन्तु इंडी गठबंधन के  ये नेता यह भूल गए हैं कि  सीएए का विरोध कर वे अपनी क़ब्र अपने ही हाथों खोद रहे हैं। क्योंकि सीएए का विरोधी होना यानि — स्पष्ट रूप से हिन्दू , बौद्ध, सिख , जैन और पारसी समुदाय का विरोधी होना है। क्या कांग्रेस सहित समूचे विपक्षी दलों को इन समुदायों से इतनी नफ़रत है? क्या इंडी गठबंधन पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न झेलने वालों के प्रति इस तरह की अमानवीयता दिखलाएगा ? कांग्रेस सांसद शशि थरूर कह रहे हैं कि – यदि इंडी गठबंधन की सरकार बनती है तो वे सीएए वापस ले लेंगे? यानि वे स्पष्ट रूप से – इन तीनों देशों से आए शरणार्थियों ( हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन एवं पारसी) के प्रति अमानवीयता की घोषणा कर रहे हैं। यानि कि – वे कह रहे हैं कि पहले तो भारत विभाजन के समय हमने बेमौत मरने और अत्याचारों को सहने के लिए छोड़ा। अब अगर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से ये आ भी जाएंगे तो – हम इन्हें भारत की नागरिकता नहीं देने देंगे। स्पष्ट रूप से इंडी गठबंधन  हिन्दू नरसंहार को सहमति दे रहा है। वर्तमान में केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार जिन समुदायों ( हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन और पारसी) को सीएज से नागरिकता देने जा रही है। ये वे लोग हैं जिनके माथे पर इस्लामिक कट्टरवाद ने ‘काफ़िर ‘ का लेबल चिपकाया हुआ है। फिर जब कोई काफ़िर होता है तो उसका क्या हश्र होता है, यह किसी से छुपा हुआ नहीं है। इन तीनों इस्लामिक देशों में इन काफ़िरों की क्या स्थिति है वह हमेशा दिखती ही रहती है। काश्मीर से लेकर बंगाल , दिल्ली आदि के इस्लामिक दंगों में ‘काफ़िरों’ को इसके नज़राने समय समय पर मिलते ही रहे हैं।  विभाजन के समय पाकिस्तान की 25 प्रतिशत हिन्दू आबादी वर्तमान में 2 प्रतिशत रह गई और बांग्लादेश की 30 प्रतिशत हिन्दू आबादी अब 7 प्रतिशत से भी कम रह गई है।अफगानिस्तान में तो ये आंकड़े उंगलियों में बचे हैं।  सवाल यह है कि पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उन हिन्दुओं का क्या हश्र हुआ होगा? क्या उन्हें जमीं निगल गई या आसमां खा गया? क्या इंडी गठबंधन और तुष्टिकरण में मदांध नेताओं को ये सब नहीं मालूम? क्या वे इस ओर नहीं झांकना चाहते? ऊपर से सीएए के द्वारा जिन्हें नागरिकता मिलने वाली है। उनमें से अधिकांशतः वे लोग हैं जिनकी जाति और वर्ग के नाम पर ये जातीय राजनीति करते हैं। राजनीतिक एंगल से कहें तो—इनमें दलित और ओबीसी कहे जाने वालों की संख्या अधिक हो सकती है। यानि इंडी गठबंधन और उसके नेता — दलितों और ओबीसी के भी घोर विरोधी हैं ?  इसीलिए सीएए का विरोध कर रहे हैं‌।क्या हिन्दूद्रोह के लक्ष्य के चलते ही इंडी गठबंधन के नेता  सीएए को निरस्त करने की मुनादी पीट रहे हैं। अब, भला इन्हें कौन समझाए कि यह सीएए कानून भारत की उस चोटिल आत्मा में मरहम के समान है। जो 1947 से अब तक पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफगानिस्तान में सिर्फ़ हिन्दू होने के कारण सज़ा भुगतते आ रहे हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस मरहम को लगाकर भारतीय राजनीति में एक नई अमिट लकीर खींच दी है।एक नए इतिहास का प्रभात रच दिया है। देश की जनता सबकुछ देख – समझ रही है और ‘बैलेट’ से अपना जवाब देने की प्रतीक्षा में है। 

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