कविता

भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को

भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।

जन-जन में है खुशी और भज रहे हैं अपने प्रभु श्री राम को

स्वागत के लिए बैठा है हर भारत वासी अपने प्रभु श्री राम को

सज-धज कर तैयार है अलौकिक अयोध्या धाम अपने राम को

भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।।

आनंदप्रद हुआ विश्व, दिन ये आया प्रभु श्री राम का

विश्व गा रहा है स्वागत गान अपने प्रभु श्री राम का

स्वर्ण कलश रखे हुए है, बंधे हुए हैं बंधन वार,

सजे हुए हैं हर द्वार प्रभु श्रीराम के स्वागत को

भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।।

कर रहा है प्रतीक्षा विश्व सदियों से राम के दर्शन को

सरयू जोह रही बाट प्रभु श्रीराम के चरण पखारने को

धन्य हुआ सम्पूर्ण विश्व, प्रभु श्री राम के आने को 

भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।।

रघुनन्दन के लिए शबरी ने फूलों से सजाया है पथ को,

कर रही है इंतजार राम का अपने झूठे बेर खिलाने को

आएगा अब राम राज्य क्योंकि प्रभु आ गए हैं अपने धाम को

भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।।

-ब्रह्मानंद राजपूत