अमेरिका ने पाकिस्तान को जैसी कड़ी चेतावनी अभी दी है, इससे पहले कभी नहीं दी। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जनरल एच.आर. मेकास्टर ने पाकिस्तान से कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आतंकवादियों को समर्थन देने की उसकी नीति को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। पाकिस्तान कुछ चुने हुए आतंकवादी गिरोहों को पालने की अपनी नीति को बदले। मेकास्टर ने यह भी कहा कि एक तरफ तो पाकिस्तानी फौजें उन आतंकवादियों को मार रही है, जो पाकिस्तान को तंग कर रहे हैं लेकिन वे उन आतंकवादियों की पीठ ठोक रही है, जो भारत और अफगानिस्तान को तंग कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में हक्कानी गिरोह और तालिबान आदि का नाम लेते हुए उनका आशय यह था कि पाकिस्तान अब आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हथियार बनाना बंद करे। मेकास्टर शायद इस नए तथ्य से भी उत्तेजित हुए होंगे कि आजकल ईरान की सरकार भी तालिबान की मदद कर रही है। ट्रंप तो ईरान से इतना खार खाए हुए हैं कि उस पर उन्होंने नए प्रतिबंध लाद दिए हैं। यदि अफगानिस्तान में ईरान और पाकिस्तान दोनों मिलकर आतंक फैलाएंगे तो वहां अमेरिकी रणनीति बिल्कुल धराशायी हो जाएगी। इसीलिए ट्रंप ने ओबामा की अफगान-नीति को उलट दिया है। उन्होंने दो काम किए हैं। एक तो अफगानिस्तान में अपने फौजियों की संख्या बढ़ दी है और दूसरा अफगानिस्तान में अमेरिकी फौजों के कमांडर जनरल जाॅन निकलसन को सर्वाधिकार संपन्न कर दिया है। यदि ट्रंप सचमुच अपनी बात पर अड़े रहे तो वे पाकिस्तान का बहुत फायदा करेंगे। पाकिस्तान का सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका ने ही किया है। उसने शीतयुद्ध के दौरान सोवियत संघ का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान को अपना मोहरा बनाया। इसी का नतीजा है कि वह एक स्वस्थ्य, सभ्य और आत्म-निर्भर राष्ट्र बनने की बजाय एक बीमार, दलाल, गरीब और आक्रामक राष्ट्र बन गया। भारत और पाकिस्तान की जन्म-तिथि एक ही है लेकिन आज भारत कहां है और पाकिस्तान कहां है ? यदि ट्रंप पाकिस्तानी फौज का टेंटुआ कस दें तो आतंकवादियों का समर्थन अपने आप हवा हो जाएगा। पाकिस्तान की जनता को भी जबर्दस्त राहत मिलेगी।