जो बोया वही काट रहा पाकिस्तान

– जितेन्द्र कुमार नामदेव

दुनिया आर्थिक संकट से जूझ रही, लेकिन आतंकवाद बोने वाला देश इन दिनाें भुखमरी की फसल काट रहा है। जैसी करनी वैसी भरनी वाली कहावत पाकिस्तान पर इन दिनों एकदम सटीक बैठ रही है। अगस्त 1947 में भारत की आजादी से एक दिन पहले अलग होकर धर्म के आधार पर देश बनाकर जिन्ना ने पाकिस्तानियों को बढ़े ही सुनहरे सपने दिखा हाेंगे। आजादी मिलते ही पाकिस्तानियों के दिल-ओ-दिमाग पर एक ही बात बठाई गई कि भारत उनका दुश्मन देश है और वो भारत से एक दिन पहले आजाद हुए, इसलिए वह बड़े भाई है। पाकिस्तान की किताबों में भारत विरोधी ज्ञान परोसा गया। अपने देश की नवयुवा पीढ़ी में नफरत के बीज कूट-कूटकर भरे गए। देश में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य की जगह सेना, हथियार व परमाणु बम बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। आजादी के बाद से जहां भारत अपने मूलभूत सुविधाओं को जुटाकर अपनी नींब मजबूत कर रहा था, तब पकिस्तान पूरी दुनिया में सर्वोच्च उपाधि वाले आतंकी पैदा कर रहा है। देश-दुनिया में पाकिस्तान के आतंकवादियों ने खूब नाम राेशन किया। खुद को आतंकवाद से पीड़ित बताकर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मदद के नाम पर अरबों रुपये ऐंठता रहा, लेकिन अब उसका असली चेहरा पूरी दुनिया के सामने उजागर हो गया है।
कोराेना के बाद आर्थिक संकट से जूझ रहे दुनिया के देश अपने नागरिकों के उत्थान के लिए प्रयासरत है, तो पाकिस्तान अपनी कर्ज की किश्त चुकाने को लेकर दुनिया के देशों के सामने हाथ फैलाए खड़ा है। ऐसे बुरे वक्त जिन इस्लामिक देशों को वह अपना मित्र समझता था उन्होंने भी पाकिस्तान की मदद करने से इंकार कर दिया है। अब बची कुची कसर अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने पूरी कर दी। नियमों में बदलाव का हवाला देते हुए संगठन ने पाकिस्तान को कर्ज देने से इंकार कर दिया। वित्‍त मंत्रालय के अधिकारियों की तरफ से पिछले दिनों एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस आयोजित की गई थी। इस प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में अधिकारियों ने अपनी उस निराशा को बयां किया जो 1.1 अरब डॉलर की किश्‍त रुकने से जुड़ी थी। यह किश्‍त देश के लिए लाइफलाइन साबित हो सकती थी।
पाकिस्‍तान की हालत इन दिनों बहुत खराब है। पाकिस्तान के नागरिकों को भी इस बात का इल्म है कि उनके देश के हालात सियायी रहनूमाओं की बदौलत हैं, लेकिन सियासत जाे न कराये वो थोड़ा। रस्सी जल गई पर अकड़ अभी भी बाकी है। पाकिस्तान के शीर्ष नेता देश के हालात के लिए पड़ोसी देशों को जिम्मेदार ठहराने से बाज नहीं आ रहे हैं। कुछ लोग यहां तक कहने लगे हैं कि शायद यह सबकुछ किसी अंतरराष्‍ट्रीय साजिश का हिस्‍सा हो सकता है। इस साजिश की वजह से आईएमएफ को पाकिस्‍तान के साथ स्‍टाफ लेवल एग्रीमेंट करने से रोका जा रहा है। जो प्रेस कॉन्‍फ्रेंस आयोजित की गई थी, वह अपने आप में काफी असाधारण थी। अधिकारियों ने आईएमएफ पर आरोप लगाया है कि वह लगातार अपनी शर्तों को बदल रही है। जबकि पहले संगठन की तरफ से पूर्व के एक्‍शन पर रजामंदी जताई गई थी। पाकिस्‍तान के विशेषज्ञों ने किसी देश का नाम तो नहीं लिया मगर यह भी कहा कि ये ऐसे मुल्‍क हैं जो पाकिस्‍तान से दुश्‍मनी रखते हैं और आज सुपरपावर बन चुके हैं। माना जा रहा है कि ये इशारा भारत की तरफ है। उनकी मानें तो इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि आज पाकिस्‍तान बहुत ही खराब स्थिति में है। इसकी वजह है कि इसमें अब वह आत्‍मविश्‍वास नहीं बचा जिसके बाद वह आईएमएफ से बेलआउट पैकेज को हासिल कर सके। साथ ही दोस्‍त देशों की तरफ से डॉलर के लिए रुख करना इसे कंगाल होने से बचा सकता है। करीब तीन महीने बाद इशाक डार ने आईएमएफ की तरफ से रखी हुई शर्तों को मानने से इनकार कर दिया।
पाकिस्‍तान की मीडिया की मानें तो दुश्‍मन देशों ने भी आईएमएफ का पक्ष ले लिया है। कुछ देश पाकिस्‍तान को सिर्फ तब तक के लिए ही मदद कर रहे हैं जब तक कि बेलआउट पैकेज नहीं मिल जाता। विश्‍वसनीयता का नहीं होना पाकिस्‍तान के लिए सबसे बड़ी मुसीबत है। राजनीतिक ड्रामे की वजह से देश पर भरोसा भी कम होता जा रहा है। डॉन ने अपने संपा‍दकीय में लिखा है कि इन स्थितियों में इस बात की उम्‍मीद करना कि आईएमएफ आपके साथ आएगा, बस मूर्खता के अलावा कुछ नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक देश के आर्थिक संकट को हाथ से निकलने से रोकने के लिए फंड को इन शर्तों पर कुछ लचीलापन दिखाना चाहिए।
पुरान कर्ज न चुका पाने, नया कर्ज न मिलने तथा पड़ोसी देशाें से खराब संबंधों के चलते जरूरत का प्रत्येक सामान पाकिस्तानियों की पकड़ से दूर होता जा रहा है। खाने-पीने की वस्तुओं के दाम तीन गुना महंगे हो गए है। पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स के आंकड़ों पर गौर करें तो पाकिस्तान में महंगाई की तस्वीर साफ हो जाती है। पाकिस्तान में दिसंबर 2021 में 12.30 फीसदी के मुकाबले बीते दिसंबर 2022 में महंगाई दर लगभग दोगुनी बढ़कर 24.5 फीसदी हो गई है। वहीं खाद्य पदार्थों पर महंगाई की मार सबसे ज्यादा पड़ी है। दिसंबर 2021 में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 11.7 फीसदी थी, जो दिसंबर 2022 में बढ़कर 32.7 फीसदी हो चुकी है। पाकिस्तान गेहूं की भारी कमी से भी जूझ रहा है। पाकिस्तान में मुद्रास्फीति कारकों के संयोजन के कारण होती है, जिसमें धन की आपूर्ति में वृद्धि, वस्तुओं और सेवाओं की कमी, उत्पादन लागत में वृद्धि और मुद्रा अवमूल्यन शामिल हैं।
दुनियाभर के देशों से तुलना की जाए तो सालाना आधार पर महंगाई दर के आंकड़े पेश किए गए हैं। इन्हें देखें तो ज्यादा महंगाई के मामले में टॉप पर तुर्की है। यहां महंगाई 83.4 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। महंगाई से भारत भी अछूता नहीं हैं, यहां भी डॉलर महंगा होने से आयात और महंगा होता जा रहा है और इससे घरेलू बाजार में चीजों के दाम भी बढ़ रहे हैं। यूं तो दुनिया भर में हाल के दिनों में महंगाई बढ़ी है। इसकी अहम वजह कोविड की वजह से सप्लाई के मोर्चे पर दिक्कत से लेकर हाल में रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से तेल और खाद्य वस्तुओं के दाम में इजाफा है। भारत में अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी के आंकड़े को पार कर चुकी है। मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी रही है. एक महीने पहले यानी मार्च में यह महंगाई दर 6.95 फीसदी थी। वहीं अमेरिका की बात करें तो लेबर डिपार्टमेंट के मुताबिक नवंबर 2022 में महंगाई दर 7.1 फीसदी रहा है। जबकि अक्टूबर में 7.2 फीसदी और सितंबर में महंगाई दर 8.2 फीसदी रहा था। जनवरी के बाद से महंगाई दर में ये सबसे कम बढ़ोतरी है।

आंकड़ों की माने तो महंगाई से पूरी दुनिया परेशान है, लेकिन प्रत्येक देश अपने-अपने स्तर पर समस्याओं को समाधान खोज रहा है। परंतु पाकिस्तान अपने बुने जाल में खुद ही उलझता जा रहा है। अपने देश में पैदा आतंक की खैप को भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर में भेजकर कश्मीर की आजादी मांगने वाले अब भूख, प्यास, महंगाई से आजादी मांग रहे हैं। परमाणु बम की धमकी देने वाले लोग अब खुद बम बनकर घूम रहे हैं और कहीं भी फटने की बात कर रहे हैं। जो कभी भारत के टुकड़े-टुकड़े देखना चाहते थे वो आज खुद रोटी के एक-एक टुकड़े के लिए मोहताज हैं। जीवनभर भारत को दुश्मन मानने वाले अब भारत के प्रधानमंत्री से शरण में लेने की गुहार लगा रहे हैं। बात-बात पर आंख दिखाने वाला देश अब खुद की खस्ता हालात के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहा है। हालात जाे भी हो, भारत की कूटनीति के आगे आखिरकार घमण्डी पाकिस्तान घुटने टेकने को विवश नजर आने लगा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

12,702 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress