रक्षा मंत्रालय में घुसा पाकिस्तानी एजेंट?

नई दिल्ली। भारत सरकार पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक और 26/11 हमलों के मुख्य षड्यंत्रकर्ता डेविड कोलमैन हेडली की सुपुर्दगी के लिए जहां एक ओर अमेरिकी सरकार पर दबाव बनाए हुई है, वहीं दिल्ली में सरकार के रक्षा प्रतिष्ठान में कथित तौर पर शोधरत एक अन्य ‘हेडली’ की ओर सरकार की निगाह नहीं जा रही है।

ऐसा ही एक मामला रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान में प्रकाश में आया है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान मूल के श्री सेंगे हसनैन सेरिंग, जिन्हें अमेरिकी नागरिकता मिल चुकी है, पिछले 10 महीनो से संस्थान में कार्यरत बताए जाते हैं।

सेरिंग पहली बार 6 जुलाई से 5 अक्टूबर 2009 के मध्य कथित शोध संस्थान के सिलसिले में भारत आए थे। बाद में उनका वीजा एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया, और वह नवंबर 2010 तक के लिए देश में हैं। उनका वीजा कान्फ्रेंस वीजा के रूप में स्वीकृत है। इसके बारे में यही कहा जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय अध्येताओं, विशेषज्ञों के लिए कांफ्रेंस वीजा स्वीकृत किया जाता है।

रक्षा अध्ययन संस्थान के सूत्रों के अनुसार, वह एक साल के लिए विधिवत एक विशेष परियोजना पर कार्य करने के लिए रखे गए हैं। संस्थान द्वारा सूचना अधिकार कानून के अंतर्गत एक सामाजिक कार्यकर्ता श्री शिवराज सिंह द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में स्वीकार किया गया है कि सेंगे हसनैन सेरिंग मूलतः संवैधानिक रूप से भारतीय कश्मीर यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के निवासी हैं, जिन्हें अमेरिकी नागरिकता प्राप्त है। लेकिन इस सच के विपरीत, सूत्रों का दावा है कि सेरिंग अपनी पहचान छुपाकर रणनीतिक रूप से अति संवेदनशील रक्षा प्रतिष्ठान में कार्य कर रहे हैं। वह मूलतः पाकिस्तान के रावलपिण्डी के निवासी बताए जाते हैं।

एक अन्य खुलासे में पता चला है कि रक्षा मंत्रालय के द्वारा संचालित संस्थान के परिसर के अंदर स्थित गेस्ट हाउस के संचालन का अधिकार होटल व्यवसाय से जुड़े एक निजी समूह को दिया गया है। इस कारण रक्षा अध्ययन संस्थान के परिसर मे बाहरी तत्वों की आवाजाही बढ़ गई है। होटल में किसी भी व्यक्ति को पैसे देकर रुकने की सुविधा दे दी जाती है।

प्रमाण के तौर पर 29, 30 मार्च को कक्ष क्रमांक-103 में एक अनधिकृत व्यक्ति ने रोहतास जंगू के नाम से बुकिंग कराई और बिना किसी प्राथमिक जांच इत्यादि के वह पूरे आनंद से परिसर मे रातभर रहा। इसी बीच उनसे मिलने के लिए एक वेबपोर्टल के संवाददाता पहुंचे लेकिन उनसे भी किसी प्रकार की पूछताछ नहीं हुई।

उल्लेखनीय है कि यह गेस्ट हाउस कम होटल रक्षा मंत्रालय अध्ययन संस्थान के परिसर में ही स्थित है। और इसके 100 मीटर के दायरे में परमाणु हथियारों का संचालन केंद्र, रक्षा रणनीति से जुड़ा अति संवेदनशील वेस्टर्न एयर कमान, कमबैट आर्मी ट्रेनिंग यूनिट, यूनिट आफ इण्डियन आर्मी आदि महत्वपूर्ण रक्षा प्रतिष्ठान अवस्थित हैं। जाहिर है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर यह अत्यंत गंभीर लापरवाही है, जिसका ख़ामियाजा देश कभी भी भुगत सकता है।

-राकेश उपाध्‍याय

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