भूत – वर्तमान – भविष्य / भारत – इजराइल – भारत

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दिव्य अग्रवाल

कभी कभी ऐसा समय भी आता है जब मन के भाव और मस्तिष्क के विचारो में एक समानता न होने के कारण कलम भी लिखने से पूर्व हजारो बार सोचती है । इजराइल में जिस प्रकार मजहबी आतंक का नंगा नाच हुआ है उसे देखकर शायद ही कोई जीवित व्यक्ति सामान्य स्थिति में हो । कुछ अनभिज्ञ लोग भले ही इसको दो देशो की लड़ाई मानते हों परन्तु वास्तविक लड़ाई मजहबी वर्चस्व की है जिसका दुष्परिणाम सबसे ज्यादा गैर इस्लामिक समाज ने भुगता है। कल्पना कीजिए इजराइल एक ऐसा देश जिसके प्रत्येक नागरिक को सैन्य प्रक्षिशण लेना अनिवार्य हो , जिनके पास अत्याधुनिक हथियार हो , जिनकी महिलायें हो या पुरुष सभी अपनी आत्म रक्षा करने में समर्थ हो जब उन लोगो के साथ अमानवीय एवं क्रूरतम व्यवहार मजहबी संगठनों द्वारा किया जा सकता है तो भारत जिसके नागरिको में आत्मसुरक्षा से ज्यादा जातिगत वर्चस्व की भावना हो , जिन्होंने अपने धर्म शास्त्र की शस्त्र विद्या का परित्याग कर रखा हो , जिस देश में यही मजहबी आतंक सैकड़ो बार मानवता को निगल चूका हो और आज भी जिस देश के मजहबी निवासीगण भारत में मजहबी व्यवस्था स्थापित करना चाहते हों , उस भारत की आंतरिक सुरक्षा कैसे सम्भव हो सकती है । इन विषम परिस्थितियों में इतना ही लिखने की हिम्मत शेष है की आज जो इजराइल का वर्तमान है भारत का इतिहास उससे भी भयावह रहा है इसकी पुर्नावृति न हो इसके लिए प्रत्येक सनातनी को अपने बच्चो को शास्त्र एवं शस्त्र प्रक्षिशण देना अनिवार्य है जो भारत सरकार की अनुमति एवं सुगम निति के बिना संभव नहीं है । आज इजराइल निर्भीक होकर लड़ रहा है क्यूंकि इजराइल के अंदर मजहबी कटटरवाद का भीतरघात नहीं है जबकि भारत बाहरी और आंतरिक दोनों तरफ से मजहबी कटटरवाद से पीड़ित है जिसके चलते भारत व् भारत के मानवतावादी लोगो की समस्या ज्यादा बढ़ जाती है । अब भारतीयों को भी समझना होगा की सनातनी परम्परा भी तभी सुरक्षित रह सकती है जब सनातनी जीवित रहे और जीवित रहने के लिए भण्डारो , शोभा यात्राओं , कीर्तन आदि से ज्यादा महत्वपूर्ण योध्य पुरुषार्थ का अनुशरण करना है ।

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