कश्मीर में विकाश के साथ लौटता अमन चैन

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जब 5 अगस्त 2019 को भारतीय संसद ने जम्मू – कश्मीर से धारा 370 को ख़त्म करने रूपी विधेयक को मंजूरी दी तो ऐसा लगा कि पूरे भारतीय राजनीति में भूचाल आ गया .हर कोई इस बात को लेकर चिंतित था कि जम्मू – कश्मीर में कही कोई अप्रिय घटना न घटित हो , लेकिन सरकार की दृढ इच्छा शक्ति और दूरदर्शी सोच ने इसे सिरे से ख़ारिज कर दिया .इस दौरान जम्मू – कश्मीर की जम्हूरियत ने एक नये केन्द्रशासित प्रदेश का उदय होते देखा .

 आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू – कश्मीर के लोगो ने कई बदलाव देखे . लगभग दो दशक के अंतराल के बाद स्वतंत्रता दिवस समारोह में हजारों कश्मीरी उमड़े.हर वर्ष की भांति इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के दिन सडकों पर न ही कटीले तार दिखे न ही बैरकेटिंग. इस साल लोगों की आवाजाही या इंटरनेट सेवाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं था, जैसा कि आतंकी खतरे के मद्देनजर अतीत में लगता रहा है.इस दौरान पूरे केंद्र शासित प्रदेश में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर घाटी में अमन चैन कायम रहा .

जम्मू-कश्मीर में कितना बदलाव हुआ है यह सरकार के आंकड़े खुद गवाही दे रहे हैं. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 26 जुलाई को राज्यसभा में एक रिपोर्ट प्रस्तुत किया. इस रिपोर्ट में बताया गया कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से लगभग 30,000 युवाओं को नौकरियां दी गई हैं. इस दौरान जम्मू-कश्मीर सरकार ने 29,295 रिक्तियां भरी हैं. साथ ही केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कई योजनाएं शुरू की हैं. अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान भी किया गया है.मालूम हो कि अनुच्छेद 370 हटने से पहले देश के अन्य राज्यों के लोगों के पास यहां जमीन खरीदने का अधिकार नहीं था. लेकिन अनुच्छेद 370 हटाने के बाद लोगों को यह अधिकार प्राप्त हुआ. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में 188 बड़े निवेशकों ने जमीन ली है. इसी साल मार्च में प्रदेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का पहला प्रोजेक्ट मिला है. यह प्रोजेक्ट लगभग 500 करोड़ रुपये का है और इसके पूरा होने पर केंद्र शासित प्रदेश में 10,000 लोगों को रोजगार मिलेगा. यह प्रोजेक्ट संयुक्त अरब अमीरात के ‘एमआर’ ग्रुप का है.

कभी पत्थरबाजी के चलते सुर्खियों में रहने वाले जम्मू-कश्मीर में अब यह बीती बात हो गई है. अनुच्छेद 370 हटाने के बाद आतंकी घटनाओं में भी कमी देखने को मिली है. इसके साथ ही अलगाववादियों का समर्थन भी अब खत्म होता जा रहा है. पिछले साल के आंकड़ों के अनुसार 5 अगस्त 2016 से 4 अगस्त 2019 के बीच 900 आतंकी घटनाएं हुई थीं, जिसमें 290 जवान शहीद हुए और 191 आम लोग मारे गए थे. वहीं 5 अगस्त 2019 से 4 अगस्त 2022 के बीच 617 आतंकी घटनाओं में 174 जवान शहीद हुए और 110 नागरिकों की मौत हुई. यह आंकड़ें इस बात की गवाही देते हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी देखने को मिली है. धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र में भी विकास हुआ है. बीते 4 सालों में जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ देखी गई है. भयमुक्त माहौल ने पर्यटकों को यहां आने की वजह दी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में 1.88 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर आए और यहां के खूबसूरत नजारों का लु्त्फ उठाया. जम्मू-कश्मीर बीते साल प्रधानमंत्री डेवलपमेंट पैकेज के तहत 58,477 करोड़ रुपए की लागत की 53 परियोजनाएं शुरू की गई थीं. ये प्रोजेक्ट्स रोड, पावर, हेल्थ, एजुकेशन, टूरिज्म, फार्मिंग और स्किल डेवलपमेंट जैसे सेक्टर्स में शुरू हुए थे. केंद्र शासित प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए नई केंद्रीय योजना के तहत 2037 तक 28,400 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी. इस योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाएगा और जम्मू-कश्मीर में औद्योगीकरण का एक नया दौर शुरू होगा.

धारा 370 खत्म होते ही जम्मू-कश्मीर से दोहरी नागरिकता का प्रावधान भी समाप्त हो गया. पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता था, वहीं अब उसे अन्य राज्यों की तरह 5 साल कर दिया गया है. केंद्र शासित प्रदेश से विधान परिषद को भी समाप्त कर दिया गया है. वहीं 7 विधानसभा सीटें बढ़ी हैं. इनमें 6 सीटें जम्मू और 1 सीट कश्मीर घाटी में बढ़ी है. बता दें कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत राज्य का बंटवारा कर दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू – कश्मीर और लद्दाख बने थे. जम्मू-कश्मीर में ‘अपना झंडा और अपना संविधान’ वाली व्यवस्था को भी खत्म कर दिया गया है.

किसी भी राज्य का विकाश तभी संभव है ,जब उस राज्य में लॉ एंड आडर्र के प्रती जीरो टोलरेंस की नीति लागू हो . इस सम्बन्ध में राज्य के एल.जी. मनोज सिन्हा ने कार्यभार ग्रहण के दौरान ही साफ कर दिया था कि अब राज्य के विकाश में बाधक बनने वाले तत्वों को राज्य में सर उठाकर चलने नही दिया जाएगा.सरकार और प्रशासन के प्रती कश्मीरियों के बढ़ते विश्वास का ही प्रभाव है कि 28 वर्षों बाद इस बार मोहर्रम का जुलूस लाल चौक पर शांतिपूर्ण समपनं हुआ .इसमें खुद एल .जी . मनोज सिन्हा ने हिस्सा लिया .अमरनाथ यात्रा का इस वर्ष रिकार्ड तीर्थयात्रियों की सहभागिता के साथ शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढना भी घाटी में लौटते अमन चैन का परिचायक है .इस वर्ष घाटी में शहनाईयां भी खूब बजी .इससे पहले जो लोग घाटी के बाहर शादी समारोह का आयोजन किया करते थे ,वही आज घाटी के वादियों में शादी कर उसे यादगार बनाने में कोई कसर नही छोड़ रहे है .विकाश के पथ पर आगे बढ़ता जम्मू – कश्मीर देश के अन्य राज्यों के साथ आज भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में अपना बहमूल्य योगदान दे रहा है .

नीतेश राय

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