गणेश चतुर्थी

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जय जग वंदन जय शिव नंदन,
जय जय हो भवानी के नंदन।
तुम बिन न होय कोई कार्य पूरन,
अबकी बार करो कोरोना का निवारण।।

आप है अष्ट सिद्धि के दाता,
तुम ही हो नव निधि के दाता।
तुम ही सबके क्लेश निवारण,
करो तुम मेरे क्लेश निवारण।।

मूषक है तुम्हारा अपना वाहन,
मोदक प्रिय कहलाते गजानन।
जब जब भीर पड़ी भक्तो पर,
सबके हरते हो देके तुम दर्शन।।

तुम ही हो सब विघ्न निवारक,
अष्ट सिद्धि नव निधि दायक।
करता हूं कोटि कोटि प्रणाम,
तुमको प्रसन्न करना आसान।।

अनेकों नामो से पुकारे जाते,
सबके कार्य तुम ही कर पाते।
मेरे कार्य भी निर्विघन कराओ,
अपनी शरण में मुझे बुलाओ।।

आर के रस्तोगी

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जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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