स्पर्श
अजीब बात है
दुनिया भर से हाथ मिलाकर
मेरे हाथों ने
खो दी है
अपनी ऊष्मा
स्पर्श की अनुभूति
जड़ और चेतन के बीच
फ़र्क कर पाने की क्षमता ।
मैं-
महसूस करना चाहता हूँ
सामने वाले के हाथों की
मासूम थरथराहट
उनका स्पंदन ।
चाहता हूँ
महज़ स्पर्श कर
बतला सकूं
हाथ और
लोहे के ठंडे छड़ के
बीच का फ़र्क ।
नमस्ते और
अलविदा के लिए
हाथ हिलाने
मिलाने के पार
मैं चाहता हूँ
सामने वाले के होने को
समझना ।।
सिनेमा
सूरज की आँखें
टकराती हैं
कुरोसावा की आँखों से
सिगार के धुंए से
धीरे धीरे
भर जाते हैं
गोडार्ड के
चौबीस फ्रेम ।
हड्डी से स्पेसशिप में
बदल जाती है
क्यूब्रिक की दुनिया
बस एक जम्प कट की बदौलत
और चाँद की आँखों में
धंसी मलती है
मेलिएस की रॉकेट ।
इटली के ऑरचिर्ड में
कॉपोला के पिस्टल से
चलती है गोली
वाइल्ड वेस्ट के काउबॉय
लियॉन का घोड़ा
फांद जाता है
चलती हुई ट्रेन ।
बनारस की गलियों में
दौड़ता हुआ
नन्हा सत्यजीत राय
पहुँचता है
गंगा तट तक
माँ बुलाती है
चेहरा धोता हुआ
पाता है
चेहरा खाली
चेहरा जुड़ा हुआ
इन्ग्मार बर्गमन के
कटे फ्रेम से ।
फेलीनी उड़ता हुआ
अचानक
बंधा पता है
आसमान से
गिरता है जूता
चुपचाप हँसता है
चैपलिन
फीते निकाल
नूडल्स बनता
जूते संग खाता है ।
बूढ़ा वेलेस
तलाशता है
स्कॉर्सीज़ की टैक्सी में
रोज़बड का रहस्य ।
आइनस्टाइन का बच्चा
तेज़ी से
सीढ़ियों पर
लुढ़कता है ।
सीढ़ियाँ अचानक
घूमने लगती हैं
अपनी धुरी पर
नीचे मिलती है
हिचकॉक की
लाश !
एक समुराई
धुंधले से सूरज की तरफ
चलता जाता है ।
हलकी सी धूल उड़ती है ।
स्क्रीन पर
लिखा हुआ सा
उभरने लगता है –
‘ला फ़िन’
‘दास इंड’
‘दी एन्ड’
रील
घूमती रहती है ।